जय सीताराम------

एक मछली पूरे तलाब को नष्ट कर देती है. इस कहावत के अनुसार भाजपा पार्टी सठीक है.
जय श्री राम, जय श्री राम, कह -कह कर कुछ लोग काफी मजे ले रहे है. ऐसा कर वे अपने को पवित्र कर रहे है, या अपना सुधीकरण करने में लगे है?
या फिर राजनीति को धर्म के साथ जोड़कर किसी को चिड़ाने जैसी ओछी हरकत कर रहे है. ऐसी हरकतों से सिर्फ आम आदमी का ही नुकसान हो रहा है. न ही धर्म हो रहा है और न ही राजनीति.
मुँह में राम राम भीतर में कसाई काम.
इन हरकतों से कहीं हिन्दूधर्म का मजाक, दुसरे धर्मों के आगे तो नहीं उड़ा रहे या भगवान राम को दुःखी तो नहीं कर रहे है? ये भाजपा वाले.
भाजपा के कुबेर अपनी सीता से अलग है तो भाजपाई वाले, भगवान श्री राम को सीता माता से अलग कर देगें? ये कैसी बात है?जहाँ तक हम जानते है, कहीं भी, किसी भी राम मंदिर में भगवान राम अकेले विराजमान नहीं रहते उनके साथ सीता माता भी रहती है .फिर उन्हें राम जी से अलग कैसे किया जा सकता हैं? भगवान राम और सीता माता को अलग करना अन्या ही नहीं महा पाप है.
हनुमान जी जब अपनी छाती चीर कर दिखाए थे तो उनके हृदय में अकेले भगवान राम नहीं थे. बल्कि राम के साथ सीता जी भी थी
अतः भाजपा के भक्तों, भगवान राम जी के सोकोल्ड भक्तों जय श्री राम का नारा न लगाकर, जय सीताराम का नारा लगाना चाहिए. वरना् सीता माता का श्राप लग जायेगा जैसे उनके श्राप से नदी सूख गई थी वैसे ही भाजपा पार्टी भी सूख कर खत्म हो जायेगी