मोहर-----

देश को झगझोर देने वाले यौन उत्पीडन कांडों में से एक निर्भया कांड भी है।
करीब 7 साल से चल रही कानूनी लड़ाई के बाद अंतिम मोहर लग ही गई और लीवर खींच इस मामले के गुनहगारों को सजा मिली। देर से ही सही पर न्याय मिला, राहत मिली। अभी भी कई दुष्कर्म हमारे सामने हैं। जिन पर भी मोहर लगाना बाकी हैं।
वैसे मेरा मानना है ऐसे जघन्य दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न कार्यों में तब ही रोक लग सकती है जब फांसी देने की हर एक प्रक्रियाओं (रुपान्तर नहीं) को (कोठी से तख्त तक की) सबों के सामने रखा जाये।तभी भावी दुष्कर्मी सचेत होगें और महिलाऐं सुरक्षित।
न्याय मिलने के बावजूद निर्भया के मां के चेहरे में अभी भी मायुसी और उदासी नजर आई। दर्द के घुट पी-पी पर उनके मुहं से मानों शब्द निकल रहे हो।
दूसरी ओर कुछ लोग जशन मनाते, मिट्ठाई बाटते, जीत का चिन्ह दिखाते खु
शी मनाते दिखे। परन्तु यह मामला न्याय मिलने का और गुनहगारों को सजादिलाने का हैं। यह अत्यन्त गंभीर मामला है। इसमें हमें गंभीरता दिखानी चाहिये क्योंकि अभी भी कितनी और निर्भया की चिखें गुंज रही हैं । उन पर भी मोहर लगाना बाकी हैं।