अनोखा अनुभव-------

जब हम किसी अनुभव को फील (अनुभव) करते है तो आँखें छलक जाती हैं, गर्व सहसूस होता है, अलौकिक खुशी मिलती हैं।
जांच के दौरान एक नवजात शीशु ने डॉक्टर की अंगुली पकड़े रखी और डॉक्टर साहब बस उसे यह आश्वासन देना चाह रहे थे कि तुम सुरक्षित हो जल्द ठीक हो जाओगें।
दरसल, मुंबई की एक दंपति, जिन्होंने अपने पहले बच्चे को जन्म के कुछ घंटों बाद ही खो दिया था। पर भगवान् ने उन्हें फिर एक बार खुशी दी।
प्रसव पीड़ा के दौरान लॉकडाउन के चलते महिला को पास ही के एक नर्सिंग होम में भर्ती करवाया गया।
उन्हें अपने अन्य बीमारियों को नियत्रंण में रखने के लिये दवाईयां लेनी पड़ती हैं। अतः समस्त बातों को ध्यान में रखते हुये स्त्री रोग विशेषज्ञ ने शिशु और बच्चों के चिकित्सक को मदद के लिये बुला लिया। ताकि मां व नवजात
शिशु को कोई दिक्कत न हो।
डॉक्टर की देख-रेख में महिला ने एक लड़के को जन्म दिया। पर डॉक्टर के सामने तब समस्या खड़ी हुई जब जन्म के कुछ ही मिनटों बाद नवजात को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उसका शरीर नीला पड़ गया। उसे फौरन नवजात संबंधी देखरेख की दरुरत पड़ी।
कोरोना वायरस के चलते शहर में लॉकडाउन चल रहा था अतः किसी भी वाहन की व्यस्था नहीं हो पा रही थी। तब डॉक्टर स्वयं ही अपने दुपहिया वाहन में बैठकर उसे नवजात शिशु अस्पताल ले गये। 1.5 किलो मीटर
दूरी तय करने के बाद उसे शिशुओं के आईसीयू में भर्ती करवाया और ऑक्सीजन दी गई। करीब 12 घंटे बाद उसकी हालत स्थिर हुई।
डॉक्टर भगवान् का रूप होते हैं। सही बात हैं।
भगवान् की कृपा या भगवान् रूपी डॉक्टर की कृपा या दोनों की कृपा से इस बार दंपति को बच्चे की खुशी से हाथ धोना नहीं पड़ा।
शिशु और बच्चों के चिकित्सक ने बाद में अपने एक, अनुभव को सांझा किया। उन्होंने कहा- यह मेरे लिए अनोखा अनुभव था। बच्चे ने जांच के दौरान मेरी अंगुली पकड़े रखी और मैं उसे उन 12 घंटों के दौरान यही
आश्वासन देना चाहता था कि वह सुरक्षित हैं और जल्द ही ठीक हो जायेगा।
इस जग में उसका स्वागत् है...........