धन्यवाद------

जहा तक मुझे याद है, यह घटना दो-एक वर्ष पूर्व उड़िसा की हैं।
किसी गांव का अति से अति दरिद्र परिवार का एक आदमी आर्थिक अभाव से लाचार, बेवश और मजबूर, अस्पताल से बिमार पत्नि के शव को कंधे में लादकर 10 कि.मी. पैदल चल घर की जा रहा था। साथ में 13-14 वर्ष की बेटी भी रोते हुए ,अपने मजबूर पिता के साथ पैदल जा रही थी। कोई सुनने व सहायता करने वाला नहीं था। पर मिडिया के माध्यम से यह घटना और दृश्य जब देशवासियों के सामने आयी तो लोगों के होश उड़ गये।इस घटना से सब स्तब्ध हो गये। हम में से ही कुछ संवेदनशील व्यक्ति के होश उड़ गये। तत्काल वे सहायता के लिये आगे आये और उन्होंने सहायता भी की।
आज कोरोना जैसे महामारी की परिस्थिती में हजारों की संख्या में देश की राजधानी दिल्ली (विशेषकर) से मजदूर अपने-अपने कंधों में लाश की जगह गरीबी, लाचारी, मजबूरी और भूखे बच्चों को ढोकर कई मीलों, कई कोसों अपने-अपने घरों की ओर पैदल पलायन कर रहे थे।भूखे पेट दो-तीन दिनपैदल चलना.....।महामारी की समस्या अलग......।
पूरे देश ने टी.वी. पर अपने-अपने घरों में बैठ कर देखा। उस एक व्यक्ति को देख तब हम दंग रह गये थे ।आज हजारों को देख हमपर क्या बित रही होगी, यह समझाना कठिन हैं। देखने वाले की मनोस्थिति कैसी हो रही होगी........।
इसी बीच दिल्ली की एक ओर चौंकाने वाली घटना हमारे सामने आई- निजामुददीन मरकज.....।बताते है वहां 2361 के करीब लोग एकत्रित थे। वे एक जगह जमा थे। मजदूरों की तरह रास्ते पर नहीं निकल पड़े थे। खैर, इस
सिलसिले में कईयों की तरफ से कई बातें सामने आई। आपराधिक मामला वगैरे....वगैरे....परन्तु, टी.वी. पर ही देखा गया उन्हें पर्दे वाले लगजरी बसों से विभिन्न राज्यों के स्थानों में भिजवाने की व्यवस्था की गई।किसने करवाई
क्यों करवाई पता नहीं। पर यू.पी. ,बिहार के पलायन मजदूरों के नसिब में पैदल के अलावा अमानविक व्यवहार हाथ लगा।
इन दिनों हमारी सरकार की ओर से समय-समय पर देशवासियों को विभिन्न उपकरणों के जरिये धन्यवाद,सामूहिक शक्ति, लक्ष्मण- रेखा, सामाजिक दूरियां, श्रृंखला आदि के लिये सूचित कर सहयोग करने को कहा जा रहा हैं। लेकिन, दिल्ली पलायन और मरकज की घटना के लिये दिल्ली की दोनों सरकारों व  यू.पी. और बिहार की दोनों सरकारों को धन्यवाद के लिये कोई उपाय नहीं बताया जा रहा हैं ताकि हम अपने घरों में रह दरवाजें, बालकनी व खिड़कियों से चारों सरकारों को धन्यवाद दे सके। मजदूरों के लिये.......