किसी ने सुध न ली-----

82 वर्ष के बुजुर्ग का परिवार गुजरात में है।और वे मार्च महिने में गुजरात से उत्तर प्रदेश के बढ़नापुर अपने गांव लौटे थे।
22मार्च को प्रशासन की ओर से उन्हें होम क्वारंटाइन कर दिया गया। घर पर अकेले होने के कारण वे खुद ही इस उम्र में खाना बनाकर खाते थे। किसी तरह की कोई मदद नहीं.......
22 मार्च के बाद 4 अप्रैल को आशा वर्कर ने उनके घर के बाहर एक नोटिस लगा दिया। जिसमें लिखा था -कोई भी इस घर में प्रवेश न करें। यह कोरोना संदिग्ध घर है।
इसके बाद किसी ने भी उस 82 वर्षिय बुजुर्ग की सुध नहीं ली।
पहले 22 मार्च फिर 4 अप्रैल..... जिम्मेदारी खत्म.........
कुछ दिन बाद दुर्गंध आने पर गांव वालों ने पुलिस को सुचना दी। जब अधिकारी बुजुर्ग के घर पहुँचे तो देखा उन्होंने दम तोड़ दिया है। शव पूरी तरह सड़ चूका है और उस पर कीड़े रेंग रहे थे। आनन - फानन में शव कोदफनाया गया और पूरे गांव को सील कर सैनिटाइजेशन का काम शुरु कर दिया गया।
उधर आशा वर्कर का कहना है 22 मार्च को उनके घर गये और 4 अप्रैल को भी उनके घर गये पर किसी तरह की कोई अनहोनी की खबर नहीं लगी।
सबों ने अपना- अपना पल्ला झाड़ लिया। बात गरीब और उम्रदार व्यक्ति की जो थी।
हमारे समाज में बुजुर्गों और गरीबों दोनों की ही अवहेलना होती हैं। घर वाले भी करते हैं और दूसरों की बात तो छोड़ों........
हम भी कभी उम्र की इस दहलीज को छू सकते है अगर जिंदा रहे तो........