समाज का दूसरा वर्ग-------

रेड लाइट एरिया में भी लॉकडाउन का काफि असर पड़ा हैं। जहां रात,रात नज़र नहीं आता हैं वहां इस दौरान रात,रात नज़र आ रहा हैं। चारों ओर संनाटा। उनके (सेक्स वर्कर) साथ तो असल में हमेंशा समाजिक दूरियां बनी रहती हैं। इस दौरान वो सब रोटी को तरस रहीं हैं।
हालांकि बताते है इनके श्रेणी के अनुसार परेशानियां हैं। जो भी हो कुछ संस्थाओं व पुलिस के द्वारा बांटी जा
रही सामग्री से कुछों का गुजारा चल रहा है। फिर भी परेशानी हैं। ऐसे में वहां के दलाल वर्कर अब व्यापारी बन गये हैं। दलाल वहां के सेक्स वर्करों के जेवर गिरवी रख कर रुपये दे रहे हैं। 5 से 20 प्रतिशत प्रतिमाह के दर से।
अभी साहूकारी बाद में इन्हीं की दलाली...
रात के अंधेरे में दूसरा व्यापार (कालाबाजारी) भी खुब चल रहा हैं। लॉकडाउन के संकट में भी। सरकारी राशन दुकानों में राशन सामग्र अवैध तरीके से बेचा जा रहा हैं। कालाबाजारी की जा रही है। राशन दुकानदार, राशन कार्ड वालों को कम तौलकर या सामग्री न होने का बहाना कर सामग्री बचा लेते हैं। फिर उसे उन व्यापारियों को बेच देते हैं जो उसे खरिदने वाले होते हैं।
समाज का एक वर्ग भूखों की मदद कर रहा है वहीं दुसरे वर्ग की यह हालत हैं।
कुछ और हैं, जो नीचता की सारी सीमाऐं लांघ चूके हैं। उन्हें दिन या रात से कोई मतलब नहीं दुष्कर्म में लगे हैं।
दुनियां का बड़ा से बड़ा देश इस जानलेवा बिमारी से परेशान है वहां ऐसे वर्ग के लोगों को जरा भी खौफ़ नहीं...........