गरिमा-------

हमारे प्रधानमंत्री जी व उनकी पार्टी की तरफ से हर क्षेत्र में देशवासियों के लिये हरसंभव विभिन्न कोशिशें की जाती हैं, समय-समय पर। चाह न चाह कर भी हर तरह से ऐसे-ऐसे रास्ते अपनाये जाते है ताकि देशवासी सुख-
शान्ति से रह सके। परन्तु कभी-कभी पार्टी के ही कुछ लोग ऐसी बातें कह देते है या घटनाऐं घटीत करते हैं कि परिस्थिती पार्टी के प्रतिकूल हो जाती हैंऔर किये करायें पर जैसे पानी फिर जाता हैं।फिर तुरंत मांफी भी मांग लेते हैं।ऐसा काम क्यों करें कि मांफी मांगनी पड़े.....।
वे ये नहीं सोचते कि हमारी वजह से पार्टी के अन्य लोगों को कितनी समस्या झेलनी पड़ेगी। उन्हें सोचना चाहिए हम आम जनता नहीं है जो कुछ भी कह दे। हम राजनेता वर्ग से है। हमें सोच समझ कर कुछ करना या बोलना चाहिए। कहीं-कहीं ऐसे लोग लॉकडउन की धज्जियां उड़ा रहे हैं।ताली और थालियां घरों में रह कर बजाने के लिए कहा गया तो वे जुलूस निकाल कर यह काम करने लगे। रात को 9 बजे दीया जलाने को कहा जा रहा हैं वे जुलूस निकाल मशाल जला रहे हैं और तो और महिला कर्ता गोली चला रही हैं।
होश ही नहीं है कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए ।क्योंकि प्रधानमंत्री जी ने ऐसा नहीं कहा।
मांफी मागनें से, बेलगाम बोलने से, दूसरों पर इल्जाम लगाने से हम कब तक अपने को सेफ रख पायेगें.....?
कल को आम लोग भी ऐसा देख देखी करने लगे तब, प्रशासन समस्या में पड़ जायेगी।
खैर, जब कोई खास बने तो उसे अपने खास पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए साथ ही अपने उच्चस्तरीय कर्ताओं के मान का भी ध्यान रखना चाहिए।