फेस माक्स--------

सालों पहले सुनने में आता था गांव की  तरफ जो लोग पालतु जानवर अर्थात् गाय, भैंस, बकरी बगैरें पाला करते थे, वे उनके मुँह में जालनुमा माक्स बांध देते थे। ताकि खेतों में जाकर जानवर उनके फसलों को खा न जाय या नष्ट
न कर दे। अब वो बात रही या इसमें बदलाव आया हैं पता नहीं, परन्तु दुनिया भर के इंसानों में यह प्रचलन शुरु हो गया हैं। कभी-कभी सोच करहंसी आती है- कहीं हम गाय बगैरे......
कोरोना के चलते अब हम उनकी तरह माक्स लगा रहे हैं। useकर रहे हैं।
बिना माक्स के कोई नजर नहीं आ रहा। कारण कोरोना वायरस और सरकार दोनों का डर जो हैं।
लोग तरह-तरह के designवाले माक्स useकर रहे हैं। कोई रुमाल या अंगोछे से माक्स बना रहा है तो कोई cottonकपड़े से। change कर-कर के अपने मुँह में बांध रहे हैं। रंगीन,boder,printed,logoवाली माक्स useकर 
रहे हैं। माक्स लगाने से कई लोगों को दिक्कत भी हो गही हैं। किसी को बोलने में, किसी को सांस लेने में
तो किसी  को गर्मी लग रही हैं। फिर भी जान बचाने के लिए इसका useकर रहे हैं।
वैसे कुछ ऐसे भी है जो अपने गले में लटका रखते है।जरुरत पड़ी तो नाक तक चढ़ा लेते है फिर दोबारा गले में लटका लेते हैं। सरकार ने अपनी तरफ से इसे useकरना जरुरी कर रखा है पर हम है जो कि अपनी मर्जी के मालिक है। जैसे helmetगाड़ी में रखी रहती है सिर पर चढ़ती नहीं... ऐसे लोगों को न अपने सिर की परवाह है न ही जान की....परिवार वाले झन्नुम में जाए। पिछे से सोचते रहे या रोते रहे। हमें क्या लेना।
खैर, कोरोना वायरस को लगा आजकल लोग अत्यन्त फिजुल की बातें करते रहते है। इनकी जुवान कैंची की तरह चलती है। इंसान अपनी बातों से एक दूसरे को जलील करते रहते हैं। बेइज्जत करते है।
 लोगों की बातों में मिठासनहीं रही। बातों में शालीनता नहीं हैं। गांधी जी के तीनों बंदरों में किसी एक पर भी ध्यान नहीं हैं। अतः इन्हें सबक सीखाना ही होगा। यही सोच कोरोना वायरस का आगमन हुआ।
युग-युगान्तर से, समय-समय पर भगवान् मानव का रुप लिये इस पृथ्वी पर आते रहे हैं। लोगों को संदेश देते रहे हैं। उन्हें सही रास्ता दिखा फिर चले जाते हैं। लोगों में भगवान् के अवतार का असर भी पड़ता था।
इस बार भगवान् कोरोना वायरस का रुप ले पृथ्वी पर पधारे है। और सबों के मुँह में पट्टी (माक्स) बांध दिये। कोरोना ने सोचा मुँह में पट्टी बधे रहने से अब इंसान कम बोलेगा, जल्दी से उसे अपनी जुवान गंदी करने का मौका
 नहीं मिलेगा। अपनी कठोर बातों से किसी को आहत नहीं करेगा, किसी को ठेस नहीं पहुँचाएगा। परन्तु कोरोना को मालूम नहीं कि मनुष्य उससे भी ज्यादा खतरनाक हैं। वो उसको नाश करने की कोशिश में लगा हैं।
पहले भगवान रुपी मानव अवतार के प्रवचन इंसान सुन लिया करता था, मान लिया करता था परअब जमाना बदल गया है अतः अब वह किसी की सुनता नहीं, बोलता है। बोलने वाले माक्स के पिछे से बोलेगे या उसे हटा कर बोलेगे। पर किसी की सुनेगें नहीं....
मौका देख कई लोगों ने माक्स को रोजगार के रुप में ले लिया हैं और incomeभी कर रहे हैं, थोड़ा बहुत.....
शायद आगे भी माक्स लगाना अनिवार्य हो जायेगा। और अगर ऐसा हुआ तो माक्स business के पिछे cosmetic business down हो जायेगा। 
खासतौर पर माक्स के चलते महिलाऐं  lipstick नहीं लगा पायेगी। तब यह business ठप्प पड़ जायेगा।
महिलाओं की तुलना में पुरुषों के कपड़ों का खास calektionनहीं रहता। उनके पोशाक में  खास changeनहीं देखे जाते पर अब वे माक्स को fashion के तौर पर use कर सकेगे। machingकर designदार माक्स useकर सकेगें।
फेस माक्स के जीक्र होते ही कई बातें ध्यान् में आ जाती हैं। अच्छी, बुरी,हास्यपद, डरावनी तथा दुःख देने वाली भी......
हाल ही में इंदौर की एक घटना सामने आई हैं। किसी गरीब गांव वाले को लॉकडाउन के चलते उसे अपने गांव जाने को कोई सवारी नहीं मिली परिवार के लिए। पैसों की भी समस्या थी अतः उसने अपनी बैलगाड़ी का इस्तेमाल किया। बैलगाड़ी को दो बैल मिलकर खिचतें है। तब यह गाड़ी आगे चलती हैं। परन्तु उसके पास एक ही बैल था। दूसरा उसने तंगी के कारण बेच दिया था। इसलिए मजबूरन वो खुद ही दुसरा बैल बन बैलगाड़ी को खिचता रहा।
उस पर अपने परिवार के दो सदस्यों को बैठाया और गाड़ी खिचता हुआ अपने गांव की ओर चल दिया।
एक इंसान की मजबूरी तथा मानव और जानवर के इस दृश्य को आईने (शीशें) में कोरोना वायरस ने उतारा या इंसानियत ने.....सवाल का जवाब ढूढ़ निकालना इस जमाने में कठिन सा हो गया हैं.......
संवेदनाओं के साथ सोचने में मजबूर हो जाते है कि वाकई हम अपने मुँह में कोरोना की वजह से माक्स लगाकर वही बन गये जो इस माक्स को use करते थे.....बस माक्स का रंग, रुप, आकार बदल गया पर बांध रहे हैं उन्हीं
 की तरह अपने मुँह में.........