देश हित----------

कुछ समय पहले, किसी विदेशी राष्ट्रपति ने एक बार अपने देश वासियों को सावधान करते हुए कहा था- भारत एक ऐसा देश है जहां औरतें सुरक्षित नहीं हैं। अतः मेरे देश वासियों वहां मत जाना।
हाथरस कॉड़ ने यह बात सोलह आना सच कर दिखाया है। यहां दलित परिवार से सम्भ्रांत परिवार, नाबालिग से बालिग, नारी जाति असुरक्षित नजर आई।
हमारे देश के वर्तमान शासक, देश के हित और उसकी रक्षा की बात करते हैं। तथा कदम भी उठाते हैं।
ऐसा ही कदम गत शनिवार (3.10.2020) मनाली में, एक लम्बी सुरंग का उद्दघाटन कर किया गया। जो दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है।
दुनिया की सबसे लंबी सुरंग देश व देशवासियों की रक्षा हेतु बनवाया गया है। कारण वर्तमान भारत किसी भी तरह के रक्षा हितों से समझौता नहीं करती।
यहां देश की रक्षा का तात्पर्य और हित की परिभाषा का शाब्दिक अर्थ समझ से परे हैं।
देश, देशवासियों से बनता हैं। क्या, देशवासी अपने घर पर सुरक्षित हैं....?
जो देश, अपने देश की महिलाओं के हितों की तथा सम्मान की रक्षा न कर सके वह देश सुरंग के जरिए  रक्षा हितों की बात कैसे कर सकता है?
जब पूरे देश की नजर हाथरस पर टिकी थी उस वक्त हमारे देश के अभिवावक मनाली में सुरंग को लेकर व्यस्त थे।
हाथरस, यूपी राज्य का एक छोटा सा गांव है। कल तक जिसका नाम शायद ही कोई जानता था, वही गांव आज पूरे भारत का बच्चा-बच्चा जान गया हैं।
गलती न करें हम.... किसी अच्छे कार्य हेतु नहीं। बल्कि अत्यतं निंदनीय और घृणित कार्य हेतु।
हिन्दू रीति-रिवाज को नष्ट करने, सबका साथ न देने, जातिवाद, जुल्म-अत्याचार, दादागिरी, महिलाओं की असुरक्षा, रुतबा आदि विशेषताओं के कारण यूपी का हाथरस सबों की नजरों में आ गया।
खेत में काम कर रही एक लड़की पर चार कमजोर लड़कों ने अत्याचार की हर सीमाऐं लांघ दी, जुल्मों की तमाम सीमाऐं तोड़ दी। जिससे प्रभू की बनाई सृष्टि ही मिटा गई।
यूपी के हाथरस का एक वर्ग अपने जुल्मों से प्रभू की सृष्टि को मिटा देता है और दूसरा आधिकारिक वर्ग मनुष्य द्वारा बनाई गई सामाजिक रितियों को मिटा देता है।
हमारे हिन्दू समुदाय के परंपरा,अंतिम संस्कार को विचित्र रुप दे देता।
मौलिक अधिकारों का हक भी छिन लिया जाता हैं।
जिंदगी और मौत दोनों को ही ये लोग हैंडल करते हैं।
बचपन में एक कहानी सुना था। उसके अनुसार भालू, एक व्यक्ति को सूंघकर, उसे मृत समझकर, छोड़ चला जाता है। लेकिन यूपी प्रसाशन ने मृत को भी नहीं बख्शा.....।
एक पार्थिव पर अपना राजसिंहासन रखा....।
यहां की बागडोर जिनके हाथों है, वे देश के दूसरे क्षेत्रों का उदहारण देकर अपने को बचाने हेतु कवच में खुद को धारण कर लेना चाह रहे हैं।
वर्तमान यूपी में नारी का अपमान, शिक्षा का अपमान, इंसानियत का अपमान हो रहा हैं। साथ ही अपने पद की गरिमा भी नष्ट की जा रही है।
न जाने किस चीज का नशा चढ़ा है.....।
       पिछले कुछ महीनों से कोरोना के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हुई है और अभी भी हो रही हैं।
देखा गया है एक कोरोना मरीज़ के मृत्यु के बाद उनके परिवार वाले संक्रमण के डर से लाशें लेने से मना कर रहे थे। ऐसे में प्रसाशन और डॉक्टर की ओर से उनको दाह करने की व्यवस्था की गई थी। परन्तु यूपी व हाथरस प्रसाशक को मालूम होना चाहिए था कि हाथरस की "मनिषा बाल्मिकी" कोरोना मरीज़ नहीं थी। उन्हें मालूम होना चाहिए था कि भारत के दूसरे क्षेत्रों में कमजोर, जुल्मी लड़के अपने जघन्य अपराध के सबूतों को मिटाने के लिए पीड़िता को खुद जला देते हैं या इलाज के दौरान अगर पीड़िता की मौत हो जाती है तो प्रसाशन की ओर से उसे उनके परिवार को सौंप दिया जाता है। लेकिन इतिहास में यह पहली बार हुआ है, पिड़िता का दाह रातों-रात यूपी प्रसाशन ने किया। और परिवार वालों को इससे बंचित रखा गया। उनके मौलिक अधिकारों को छिना गया।
एक नारी को जड़ और चेतन, दोनों अवस्था में अपमानित किया गया......।हम सबों को अपने पर रख कर इस बात को सोचना व महसूस करना चाहिए।
हाथरस, हिन्दू दाह पर प्रसाशन का कहना है कि अगर ऐसा न किया होता तो दंगे होते, माहौल बिगाड़ता, परिस्थिति वे काबू हो जाता। यानी यहां की प्रसाशन व्यवस्था इतनी कमजोर है कि उन्हें एक नाबालिग, कमजोर, मृत बालिका का सहारा लेना पड़ा..... पार्थिव शरीर का सहारा लेना पड़ा!
सुनने में आ रहा है कि अपने नाकामियों को ढकने के लिए मृत पिड़िता पर लांछन लगाए जा रहे हैं....।
हमने टीवी चैनल में देखा, पं बंगाल की किसी राजनीतिक पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं के साथ भीड़ में, हाथरस के पुरुष पुलिस कर्मियों के हाथों का खेल..... खुलेआम.....।
हमने यह भी देखा, "भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री", की पोती के साथ हाथरस के पुरुष पुलिसकर्मियों की खुलेआम बदसलूकी को.....।
ये जिन भारत की जनता का हवाला देकर अपनी बातें रखते हैं उन्हीं जनता में से एक व्यक्ति का कहना है- जब "देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री" की पोती के साथ ऐसा हो सकता है तो इस देश की आम महिलाओं की क्या बिसात है......!
हाथरस के पुरुष पुलिसकर्मियों के हाथों का खेल पूरे देशवासियों ने देखा.... तथा वे सभी परिवार वाले, जिनका अपना परिवार हैं। वे चिंतित हैं अपने घर की बहू, बहन, बेटियों को लेकर......। क्योंकि उनके घरों में महिलाएं हैं। उनका अपना परिवार है।
ऐसे में सुरंग देश व देशवासियों के हितों की रक्षा कैसे कर सकता है.....?
        ये देश हित के प्रति उदारता का परिचय नहीं है....।

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