चंदन की खुशबू---------

प्रेमी के "चाह" को वक्त और समाज के जंजीरों ने बांध रखा था परन्तु वह अपनी खुशबू को भूलाए नहीं भूला।

"चाहत" हर परिस्थिति में बरकरार रहता हैं... माता-पिता का अपने संतान के प्रति हो या प्रेम-प्रेमिका का अपने प्यार के प्रति.... कोइ अपने पालतू जीव-जंतुओं के प्रति भी गंभीर होते हैं। दुनिया में और भी अनेक चाह हैं जिसके प्रति कुछ लोग संवेदनशील रहते हैं। 
दरअसल, मन की गहराई को नापना हर किसी के बश की बात नहीं हैं......।

चंदन, खुशबू पड़ोसी थे। वे बचपन में पड़ोसी बच्चों के साथ खेल बड़े हुए। वर्तमान में दोनों की उम्र करीब 15से20 साल के बीच हैं।

एक दिन चंदन की मां, घर आए किसी रिश्तेदारनी को दरवाजे तक छोड़ने आई। उसी वक्त खुशबू वहां से गुजर रही थी। 
नमस्ते! आंटी जी....। इतना कह मुस्कुराती हुई वो आगे निकल गई।
जबाव में उन्होंने कहा-हां बेटा, खुश रहो....।
फिर अपनी रिश्तेदारनी से बोली- ये लड़की बचपन से ही मुझे बहुत प्यारी लगती है। इस पर, मुझे लाड़ आता हैं। लगता है यह मेरे "चंदन की खुशबू है"....। इसे घर की बहू बनाने का मन करता है.... लेकिन...
लेकिन क्या?... वो पूंछ बैठी...।

चंदन की मां बोली, हमलोग बस एक मामले में इनसे बड़े हैं। हम ब्राह्मण है और वो गैर-ब्राह्मण। बाकी हर मामले में वे लोग हमसे ऊपर है। उसके पापा अच्छे बिज़नेसमैन है।धनी परिवार है। अपनी गाड़ी, कोठी, नौकर-चाकर सब हैं.... ज़रा रुक कर बोली-मुझे चंदन के पापा का पेंसन मिलता है। जिससे मां- बेटे का गुजारा चल जाता हैं। दो कमरे छोटा सा मकान है, बस....। ऐसी परिस्थिति,इस तरह की किसी चाह को इजाजत नहीं देती...। लेकिन ये लड़की मुझे बहुत ही अच्छी लगती है।

चंदन भी पसंद करता है...?
अरे, नहीं। उसे इस बारे में कुछ पता नहीं। वैसे भी वो अभी पढ़ाई कर रहा है। फिर उम्र भी शादी लायक थोड़े ही है।
चंदन की मां, आजकल अच्छा लड़का मिलना सौभाग्य की बात है। चंदन तो हीरा है हीरा....जब सास को लड़की पसंद है तब....मौका देख एक बार बात चलाकर देखना। ज़माना बहुत बदल गया है। जैसा सोच रही हो, उल्टे भी हो सकता है.....। रिश्तेंदारनी ने मुस्कुराते हुए कहा।

बे-मन और मायूसी से सिर हिलाकर हां भरी और उनको विदा कर अंदर आई।
परिस्थितियों ने संकोच को जन्म दिया और संकोच ने कदम को रोके रखा।पर मन पे किसी का वश न था। मां की मन की इच्छा ज्यों की त्यों रही....।

उधर चंदन ने भीतर से मां की बातों को सुन लिया था। मानों, गर्म लोहे पर हथौड़ा पड़ा हो....।
चंदन अपनी मां के मुंह से खुशबू का नाम सुन उसके प्रति आकर्षित हुआ.....।
अब वह दिन-रात उसी को याद किया करता था। आने-जाने में उसके मकान की ओर निगाहें दौड़ता। अगर रास्ते में खुशबू के आमने-सामने होता तो पचास तरह की इधर-उधर की बातें करने लगता।
जबकि ऐसा पहले नहीं था। 
शायद चंदन, खुशबू को प्यार कर बैठा था और उसकी मां उसे मन-ही-मन लाड़ करती थी।
लेकिन चाहने वाले मां-बेटे की चाह की खबर से लड़की बेखबर थी।

इन सबों के बीच चंदन ने सी.ए.पूरी की और तुरंत उसे अच्छी कंपनी में नौकरी भी मिल गई।

नौकरी का पहला दिन एटेंड कर चंदन खुशी-खुशी घर लौट रहा था कि उसे रास्ते में खुशबू मिल गई।
उसे देख वह इधर-उधर की बातें करने लगा। खुशबू भी फ्रीली उससे बातें करने लगी। थोड़ी देर में चंदन धीरे से उसके हाथ में अपना हाथ रख बोला- खुशबू, मुझसे शादी करोगी....?
झटके से अपना हाथ हटाकर बोली- पागल हो गए हो क्या?
इतना कह तुरंत वहां से चली गई।
बेइज्जती और दुःख से उसकी आंखें छलक आई। मायूस हो चूपचाप घर आ गया।
अपनी मां को इस बारे में कुछ नहीं बताया। खाना खाया, मां से ऑफिस की बातें की और अपने कमरे में सोने चला गया। 
दिन और महिने बितते रहे। अब वो खुशबू के सामने नहीं पड़ता। जानबूझकर समय और रास्ता बदल लेता। लेकिन अपनी चाह को कम होने नहीं दिया। 
चंदन हमेशा अपना व्यक्तित्व को कैरी करता  था .....। पढ़ा-लिखा और संस्कारी जो था....।

एक दिन मां ने देखा उनका बेटा अपने कमरे में तकिये पर मुंह छुपाए सिसकारियां भर रहा हैं...।
बेटे को ऐसा देख उसके सिरहाने बैठ सिर सहलाते हुए पूछी, क्या बात है? तबियत ठीक नहीं है?
चंदन अपनी मां से लिपट गया और रोते हुए बोला- आपको मालूम है, खुशबू की शादी होने वाली है..?

क्या? .....यह सुन मां को धक्का लगा। जैसे उनसे उनकी कोई प्यारी चीज छिन रही हो। एकाएक वो चकित हुई। उन्होंने महसूस किया, उनका बेटा खुशबू को प्यार करता है। उसे वो भी चाहता है।

मां ने मायूसी से पूछा- तु, खुशबू को चाहता है...?
हां मां,... मैंने कुछ महीनों पहले उससे शादी की बात की थी। पर वो नाराज़ हो चली गई।

मां को समझ नहीं आ रहा था कि वो खुद को समझाएं या बेटे को... क्योंकि खुशबू को वो भी मन ही मन बहुत लाड़ करती थी।

शादी की बात ने मां-बेटे को दु:खी कर दिया था।
पर दोनों हालात के आगे बेबस थे।
एक दुःखी और लाचार मां ने बेटे से बस इतना ही कहा- किस्मत में जो लिखा होता हैं, वही होता है।तू, उसे भूल जा....।

खुशबू के शादी को चार महीने बीत गए। और चार महीने बाद वह अपने पिता के घर वापस चली आई। 
"प्लेन-क्रेश" में खुशबू के पति की मृत्यु हो गई थी। अपनी विधवा बेटी को उसके पापा ही ससुराल से ले आए।

मां-बेटे को जब इस बात का पता चला तो दुःख के मारे दोनों का कलेजा फट सा गया। इनके घर पर भी गमी का माहौल बन गया।

दो-चार दिन अपने को संभालने के बाद चंदन अपनी मां से बोला-मां, क्या मैं खुशबू से शादी कर सकता हूं?
अभी ऐसी बातें नहीं करते, बेटा। बाद में देखते है। मां ने कहा...।

लेकिन साल भर में ही उसके घरवालों ने उसकी दूसरी शादी करवा दी।

चंदन की मां को कुछ कहने का मौका ही नहीं मिला। फिर दोनों को चोट पहुंची।

किस्मत का खेल बड़ा निराला है। दूसरी शादी के डेढ़ महीने बाद खुशबू फिर से अपने पापा के आ गई और छः महीने बाद उसका तलाक हो गया। दरअसल, लड़का "ड्रग-एडिड" था।

लड़की और उसके परिवार वाले कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे थे। उधर चंदन और उसकी मां से खुशबू का दुःख बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

इस घटना के कुछ-एक महिने बाद अपने बेटे को बिना बताए मां उनके घर पहुंच गई और उसका हाथ मांग, पर चंदन की मां को खाली हाथ लौटना पड़ा। 

इधर खुशबू के लिए चंदन का हृदय लहूलुहान होये जा रहा था। वह ईश्वर से प्रार्थना करता.... हे, ईश्वर उनकी जिंदगी में खुशियां भर दो। उसकी जिंदगी संवार दो। वो जहां भी रहे, खुश रहे। 

कहा जाता है, प्यार खुशी और त्याग का नाम है।

खुशबू के जीवन की परेशानी चंदन को उसके प्यार की, ओर गहराई में लिए जा रहा था।

फिर से एक बार और बड़ी धूमधाम से खुशबू की सगाई करवाईं गई। लड़का, मां-बाप का इकलौता संतान, बेशुमार दौलत का मालिक था। इस बार घरवालों को अपनी बेटी की किस्मत और भगवान पर भरोसा था........ कुछ अनर्थ नहीं होगा। इसी विश्वास और भरोसे के साथ शादी की तैयारी कर रहे थे। सगाई के आठ महीने बाद खुशबू की (तीसरी बार) शादी जो होने वाली थी।

मंदिर- मस्जिद, ज्योतिष-पंडित, और न जाने कहां-कहां के चक्कर लगाने के बाद उन्हें पता चला कन्या की तीसरी शादी फलदाई होगी। उसकी जिंदगी के सारे काले बादल छंट गए हैं। बेटी के जीवन में वो सारी खुशियां आ रही हैं, जो उनके सोच से बढ़कर हैं।
इसलिए उसके घरवाले उत्साह के साथ खुशी-खुशी शादी की तैयारी में जुटे थे। 

लेकिन इसी बीच आठवें महीने से पहले ही खुशबू के पापा को लड़के के बारे में पता चला कि, उसे नर्भ की प्रोब्लम है। दवाई खिलाकर सगाई करवाई गई थी। 

पांचवें महिने में उसके पापा ने सगाई तोड़ दी।

पिछले कुछ सालों से खुशबू की जिंदगी में तुफान उठा था। उसे अपनी जिंदगी से मोह कम होने लगा। दुःख और शर्म के मारे उसे अपनी जिंदगी बोझ लगने लगी थी।

एक दिन खुशबू की मां चंदन के घर के आगे से गुजर रही थी। संजोगवश चंदन की मां दरवाजे पर खड़ी थी। 
उन्हें देख खुशबू की मां संकोच हो मुस्कुराई।
वो कुछ कहना या रुकना चाहती थी पर ऐसा न कर
सकी और आगे बढ़ गई।

एक वो वक्त था जब बेटे की मां संकोच कर रही थी और आज बेटी की मां संकोच कर रही है। वक्त, वक्त की बात है......।

चंदन की मां ने यह महसूस किया। उन्हें आवाज लगाकर बुलाई। पास आने पर चंदन की मां का हाथ पकड़ रोने लगी। उसकी मां उन्हें अंदर लाकर बैठाई। एक गिलास पानी दिया और पास बैठ उनके दुखड़े सुनने लगी। इतने में चंदन ऑफिस से घर आया। खुशबू की मां को देखते ही बोला- क्या बात है आंटी? खुशबू को कुछ हुआ तो नहीं? वो ठीक है ना?
हां, ठीक है....बस इतना कह चंदन को आवाक हो देखने लगी। उन्होंने कुछ महसूस किया। पर चुप रह गई....।
चंदन के अंदर जाने के बाद वो बोली- अच्छा जी, मैं चलती हूं।
दरवाजे तक छोड़ने आई चंदन की मां उनका हाथ अपने हाथों में ले बोली- बहनजी, एक बार मेरी कही बात पर गौर कर देखिएगा....।

प्यार, प्यारा होता है जो हर सूरत में ग्रहण योग्य होता है

शायद चंदन के घर की रोटी ही उसके नसीब में थी।
अतः तीसरी शादी की तारीख में खुशबू की शादी चंदन से हो गई।

मंदिर- मस्जिद, ज्योतिष-पंडित  सबों का कहना सच साबित हुआ। खुशबू की तीसरी शादी फलदाई हुई। 
इस घर में उसे मान, अपनापन, सुख-शांति, लाड़-प्यार सब कुछ मिला। जो एक लड़की को उसके ससुराल में मिलना चाहिए।

आखिर भाग्य ने "चंदन की खुशबू" को अलग होने नहीं दिया.....।

आज, खुशबू एक पांच साल की बच्ची "महक" की मां है........।

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