साढ़ेसाती-------

हाल ही में मेरे एक परिचित ने मुझसे कहा- हमारे देश में साढ़ेसाती लगी है.....समझती है साढ़ेसाती का मतलब...?  क्या होता है, साढ़ेसाती...?

मैं कुछ समझ पाती या जवाब दे पाती उससे पहले उन्होंने मुझे समझाना शुरू कर दिया.......। 
वे बोले- ज्योतिष एक विद्या है। प्राचीन काल से अब तक, भारत इसे मानता आया है। राजा हो या रंक, शिक्षित हो या अशिक्षित, आस्तिक हो या नास्तिक करीब हर कोई ज्योतिषी शास्त्र को मानता आया हैं। बल्कि विश्वास के साथ इस विद्या में रुचि लेते आए हैं। मुझे भी रुचि है.....।

खैर, ज्योतिष जानकारों तथा पंडितों के अनुसार नौ ग्रह और बारह राशियां हैं। ये सभी ग्रह बारी-बारी से एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते रहते हैं।

जैसा कि हम जानते हैं शनि भी एक ग्रह है। ज्योतिष शास्त्र में इसे क्रूर ग्रह माना जाता है।

वैसे तो शनि किसी भी राशि में ढाई साल भ्रमण करते रहता है लेकिन कर्मफल के कारण कभी-कभी शनि एक ही राशि में साढ़े सात वर्ष तक धीमी गति से भ्रमण करता है। इस अवधि को 'साढ़ेसाती" कहा जाता है।
 साढ़े सात साल  भ्रमण के दौरान शनि उस राशि को प्रभावित करता रहता हैं। उस पर कुप्रभाव डालता है। वैसे कुछ अच्छे फल भी देता हैं पर बुरे का असर ज्यादा डालता हैं। इस अवधि में लोग तबाह हो जाते हैं बर्बाद हो जाते हैं। उसे चारों ओर से संकट घेरे रहता हैं.....।

साढ़ेसाती का कुप्रभाव व्यक्ति विशेष पर ही नहीं बल्कि देश व राष्ट्र में भी पड़ता हैं। जैसा कि हमारे देश में भी पड़ा है।

विगत कुछ वर्षों से ध्यान दिया जाए तो हम पाएंगे हमारा देश चौतरफा संकटों से घिरा हैं। पूरे देश भर में दंगे-फसाद, लड़ाई-झगड़े, छिना-झपटी, तु-तु, मैं-मै, जैसे अशांत वातावरण का माहौल बना हुआ हैं।
देश आर्थिक संकट से घिरा है।
बेरोजगारी बढ़ गई हैं।
अत्यधिक मुल्य वृद्धि हो रही हैं।
कोई किसी को मान नहीं देता।
मानव की मानवता लुप्त होती नजर आ रही हैं।
इंसान, मनुष्य को जानवर और महिलाओं को खिलौना समझाने पर उतारू हो रहे हैं।
हर स्तर पर अत्याचार हो रहे हैं।
लोगों में डर और खौफ ने जन्म ले लिया है।
प्रक्रति का हर सजीव असुरक्षित महसूस कर रहा हैं।
जाति-धर्म, भाषा, क्षेत्र, खान-पान, पहनावा आदि मौलिक अधिकारों को लेकर एक दूसरे के आमने-सामने खड़े दिख रहें हैं।
प्राकृतिक आपदा का कहर जारी है।
इन सबों के बीच बीमारी, महामारी की चपेटे में पूरा देश घिर गया है।
जरुरत के मुताबिक दवा व इलाज की व्यवस्था तथा सुविधा बन नहीं पा रही हैं।
घर-परिवार में अकाल मृत्यु हो रही है।
पवित्र गंगा में लाशें बहती नजर आ रही है।
मृत मानव शरीर को पशु-पक्षी नोंच रहें हैं।
लोग अपनों से ही दूर भाग रहे हैं।
छाया भी साथ छोड़ रही है।
चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है।
इस घड़ी में देखने या संभालने वाला कोई नहीं है।
समझ नहीं आ रहा कि हम कौन सी दुनिया में जी रहे हैं....? शनि की साढ़ेसाती ने ऐसा कहर डाला है......।

ऐसे में राजा हरिश्चंद्र के जीवन का एक अंश याद आ रहा है.......।

लेकिन इन सबके बीच शनि महाराज जी की कुछ कृपा, कुछ लोगों को प्राप्त हैं...... साढ़ेसाती के बीच कुछ लोगों के व्यापार बुलंदी पर हैं। उनको आरम, सुख-सुविधा, चैन, वाही-वाही जैसे अनुकूल परिस्थितियां, शनि जी प्रदान कर रहे हैं।

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार साढ़ेसाती की अवधि में अनुकूल व प्रतिकूल दोनों ही परिस्थितियों का प्रभाव इस तरह से हमारे ऊपर पड़ रहा हैं। 

इतना कह कर वे थोड़ी देर रुके ही थे कि मुझे बोलने का मौका मिला। मैंने समय न गंवाते हुए तुरंत कहा- साढ़ेसाती के बाद, शनि की ढैया के लिए तैयार रहें।  यह क्रर ग्रह हमें और ढ़ाई साल परेशान करेगा। अपने संकट के जाल में फंसाए रखेगा। उसके बाद शायद, हो सकता है, देश व देशवासियों को साढ़ेसाती और ढय्या से मुक्ति मिले.....।

मेरी बात सुनकर वे ठहाके मार हंसने लगे। क्योंकि वे समझ गए थे उनका इशारा मैं समझ गई थी। साथ ही मेरे कहने का अर्थ भी वे समझ गए थे।

खैर, बात तो काफी हद तक सही है। हमारा देश चौतरफा "एमर्जेंसी पीरियड" से गुजर रहा है।

ईश्वर से यही प्रार्थना है कि जल्द से जल्द सब ठीक हो जाएं.....।
साढ़ेसाती हो या शनि की ढैया, जो भी हो सारे कुप्रभावों
से देश और  समस्त देशवासियों को मुक्ति मिले।

अच्छे दिन फिर से लौट आए......!

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