लकी रिंग--------

हमारे जीवन में सुख और दुःख दोनों आते हैं। परंतु दुर्भाग्यवश किसी-किसी के जीवन से दुःख जाना ही नहीं चाहता। मानों उनके जीवन में दुखों ने अपना घर बना लिया हो।

दुःखो से परेशान इंसान नकारात्मक सोच, रोग, अशांति से घिरा रहता है। उन्हें इनसे निकलने का मार्ग नज़र नहीं आता। वे हताशा की जिंदगी जीने में मजबूर हो जाते हैं। उनका लक (भाग्य) साथ नहीं देता। 
व्यक्ति इनसे छुटकारा पाने की कोशिश करता है। कुछ उपाय ढूंढता है।

वास्तुशास्त्र एवं फेंगशुई में ऐसे परेशानियों से निकलने के उपाय हैं.....। जिनमें कुछ आध्यात्मिक और वैज्ञानिक सहमति के हैं.....।

    लकी रिंग! जी हां, लकी रिंग उपाय का एक जरिया है। लकी रिंग से तात्पर्य, कछुए की अंगूठी से है। वास्तुशास्त्र की भाषा में इसे "लकी रिंग" कहा जाता है। 
    वैसे यह अंगूठी आजकल फैशन में है.....। लोगों को पहने हुए खुब देखा जाता हैं.....।

वास्तु-विद्धा के मुताबिक "कछुए की अंगूठी" लोगों के लिए "शुभ" माना जाता है।

       इस तरह की अंगूठी को लकी मानने के तर्क है.....। 
         आध्यात्मिक दृष्टि से माना जाता है कि कछुआ नामक प्राणी "भगवान विष्णु" का रूप (अवतार) है। जिनका संबंध धन की देवी "लक्ष्मी मां" से है। अर्थात कछुए के साथ लक्ष्मी का वास है। जहां लक्ष्मी है वहां सुख-शांति-समृद्धि है। आनंद का वातावरण बना रहता है। इसलिए कछुए अंगुठी को लकी मानते है। ऐसी अंगुठी को धारण करना शुभ माना जाता है।

इसके कई फायदे हैं- 1) जिंदगी से परेशान व्यक्ति इस अंगूठी के धारण करने से उसका मन शांत होता है।
2) मन में उम्मीद जगती है।
3) मन-मस्तिष्क की उग्रता शांत होती है।
4) तंगी दूर होने लगती है और उन्नति के मार्ग नज़र   आने लगते हैं।
5) घर में शांति और सौहार्द्र का वातावरण महसूस करने लगता है।
6) धन प्राप्ति के रास्ते नजर आने लगते हैं।
7) यह अंगूठी सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने लगता है। जिससे आत्मबल बढ़ता है।
8) तन-मन स्वस्थ रहता है।
9) व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
10) जीवन के दुखों से, धीरे-धीरे छुटकारा पाने लगता है।

       वास्तुशास्त्र के अनुसार, यह बात सही है कि लकी रिंग धारण करने से लोगों को फायदे मिलते हैं लेकिन कुछ विशेष बातें ध्यान देने की जरूरत है। तभी व्यक्ति को शुभ लाभ मिलते हैं....।

विशेष बातें- 
                1)व्यक्ति को कछुआ अंगुठी चांदी की ही बनीं पहननी चाहिए। किसी दूसरे धातु की नहीं।
                2) पुरुष और महिला दोनों को ही दाहिने हाथ की तर्जनी या मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए।
                3) अंगुठी को धारण करने से पहले गंगा जल से धो लेना चाहिए।
                4) इसे पहनने के बाद अंगुली में गोल-गोल घुमाना नहीं चाहिए। स्थिरता जरूरी है।
                5) शुक्रवार के दिन लकी रिंग को पहनना चाहिए।
                6) अंगूठी पहनने वक्त ध्यान रहे, कछुए की मुंह अपनी तरफ होना चाहिए और उसका पिछला हिस्सा बाहर की ओर होना चाहिए।

           इन विशेष बातों के अलावा वास्तुशास्त्र के जानकार, पंडित, ज्योतिष की राय लेकर भी कछुआ अंगुठी धारण किया जा सकता है।

      कुल मिलाकर वास्तुशास्त्र व फेंगशुई के उपायों को आजमाकर जीवन की परेशानियों को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं। 
     कम से कम इनसे मन दृढ़ तो होता ही है......।
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