अमानवीय घटना------

दोस्तों 🙏
                  According to News आज के इस लेख में कुछ अमानवीय घटनाओं का जिक्र करना चाहेंगे। लेकिन एक नोटिस- लेख के अंत में आप सभी से एक सवाल का सही उत्तर जानना चाहेंगे। अगर संभव हो सके तो Comment box पर लिख भेजें .....।
                  खैर, दोस्तों हमारे देश में एक ऐसा जाना-माना राज्य है जहां से, इन दिनों कुछ ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं जो इंसान को शर्मशार कर रही हैं। बात मध्य प्रदेश की है। इस उन्नत राज्य की घिनौनी हरकत, सभ्यता की सारी हदें पार कर चुकी हैं। जिस कारण देश के सभ्य समाज के लोगों का सर शर्म से झुका जा रहा हैं। 
हो सकता है इससे पहले भी इस प्रदेश में इस तरह की अमानवीय घटनाओं को अंजाम दिया गया हो। तभी शायद सजा "नाटकीय" मोड़ पर है।
यहां हम बात कर रहे हैं M.P. के - पेशाब विसर्जन, मल खिलाना, जूते व पैर चटवाने जैसी ओछी व घृणित घटनाओं का.....जिनका विडियो सोशल मिडिया में निंदा का विषय बना हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार विशेष व्यक्ति ने सभ्यता और मानविकता को तार-तार कर दिया है।
इस लेख में हम इनमें से एक घटना का ज़िक्र करेंगे।  जो किसी एक व्यक्ति द्वारा घटाई गई है तथा और घटनाओं को अनेकों ने मिलकर अंजाम दिया है। परन्तु लेख में जिस घिनौनी घटना की चर्चा करेंगे वो घटना एक अकेले ने ही अंजाम दिया है। उस अकेले  ने अपने साथ अनेकों को इस लपेटे में ले लिया हैं। यहां बात "पेशाब कांड" की है। 
पेशाब कांड का आरोपी उच्च कुल और देश के सबसे ताकतवर पार्टी से ताल्लुक रखने वाला बताया जा रहा व्यक्ति है। 
कहा जाता है इस आरोपी ने खड़े होकर एक बैठे विक्षिप्त आदिवासी इंसान के ऊपर मूत्र त्यागने का घिनौना कार्य किया है। यह सूचना झूठी नहीं बल्कि शत-प्रतिशत सही है।
विडियो देख लग रहा था मानो आरोपी किसी स्ट्रीट टायलेट में शुल्क देकर मूत्र त्याग रहा हो.....।
आदिवासी व्यक्ति उससे इतना डरा हुआ था कि वह किसी प्रकार का प्रतिवाद नहीं कर पा रहा था और न ही वहां से भाग पा रहा था। जाति या सत्ता के भय ने उसे हिलाने नहीं दिया या फिर यह भी हो सकता है कि वह आदिवासी मानसिक रूप से विक्षिप्त होने की वजह से मजबूर था। वैसे हमें लगता है ऐसी घिनौनी हरकत करने वाला शायद खुद मानसिक विक्षिप्त रहा होगा ....। 
"मूत्र कांड" के आरोपी ने घृणित कार्य किया पर उसके पक्ष में उसके अपने, घर-परिवार, कुछ बाहरी कहीं न कहीं इस अपराध में उसका साथ देते सुनाईं में आ रहें हैं।
आइए जान लेते है इसमें ऐसे कौन-कौन लोगों का आंशिक समर्थन हैं- सबसे पहली बात, कहते है वातावरण का प्रभाव इंसान पर पड़ता है। एक इंसान किस वातावरण में पला-बढ़ा है उसके व्यवहार से पता चलता है। घर और बाहर दोनों खास होते हैं। इसके अलावा✓ मां....कहा जाता है मां एक बच्चे के लिए दस टीचर के समान होती है। मां की शिक्षा का प्रभाव बच्चे पर सबसे ज्यादा पड़ता है। सूत्रों के अनुसार यहां अपराधी की मां स्वयं एक स्कूल टीचर रही है। एक शिक्षिका ने अपने बच्चे को कैसी शिक्षा दी हैं? तथा अपने विद्यार्थियों को इनके द्वारा कैसी शिक्षा मिली होगी? सवाल और भी कई उठते हैं। दूसरे है ✓पिता..... दोस्तों आप लोगों ने मूत्र कांड के आरोपी के पिता को सोशल मीडिया के विडियो में जरुर देखा होगा? रोते-रोते अपनी आपबीती नाटकीय ढंग से देते हुए। उनका कहना है, मेरे बेटे ने ऐसा कौन सा अपराध कर दिया है जो हमारे घर की महिलाओं पर अत्याचार और दुर्व्यवहार किया जा रहा हैं? हमें सुबह से शाम चार बजे तक थाने में रोक कर रखा गया। हमारे परिवार की एक छोटी तीन साल की बच्ची को भी रोका गया उसके खाने तथा दूध की थाने में कोई व्यवस्था नहीं की गई। वो छोटी बच्ची भूखी रही। कहते हुए पिता गडियल आंसू बहा रहे थे। पिता को अपने बेटे के कूकृत का जरा भी अफसोस या शर्म नहीं। उन्हें अपने परवरिश का दुःख नहीं बल्कि उनका कहना है -उनके बेटे ने ऐसा क्या कर दिया? अर्थात पिता के लिए यह सामान्य बात है। यानी यहां और भी अनेक सवालों का जन्म होता हैं। अब पिता के बाद ✓बहन के बारे में जान लेते हैं उनका इस घिनौनी हरकत में क्या कहना हैं? बहन अपने मकान के सामने खड़ी हो चीख-चीख कर कह रही है, उसके भाई के साथ साजिश रची गई है। उसे किसी विशेष राजनीतिक पार्टी के लोगों ने शराब पिलाकर ऐसा करवा है। खबरों के अनुसार प्रशासन की ओर से उनका मकान वुलडोजर से जब तोड़ने आए तो इस बारे में वो कहतीं है - मेरी मां स्कूल टीचर थी और उन्होंने उस मेहनता के पैसों से यह मकान बनवाया है। इसलिए इसे तोड़ने नहीं दिया जाएगा। और हुआ भी वही असली पक्का मकान के बग़ल में टीना की छावनी को तोड़ा गया। जबकि दूसरों के कई मामलों में बुलडोजर का हिसाब कुछ और ही मिलता है। यहां बहन को अपना मकान दिखाई दे रहा है परन्तु अपने भाई का घिनौना अपराध नहीं दिख रहा। बात बुलडोजर की भी है। साथ और भी कई प्रश्न इसके इर्द-गिर्द घूमते नजर आते हैं। अब बात आती है मूत्र कांड के आरोपी राज्य ✓मध्यप्रदेश पुलिस -प्रशासन की ..... जघन्य कृत्य कर आरोपी को आप विडीयो के जरिए देखेंगे तो पाएंगे उसकी चाल, रौब, अकड़, ऐंठ जैसे उसे न अपने अपराध का बोध और न ही प्रशासन का भय....। आरोपी को कोई अफसोस नहीं, मानो किसी को उसने चैलेंज किया हो......। इन्हीं बातों से समझ आता है आरोपी को श्रेय दिया जा रहा है। अब राज्य के ✓मुख्यमंत्री जी की बात आती है..... अपराधी के पाप को धोने के लिए उन्होंने प्रायश्चित क्यों किया? क्यों आदिवासी पीड़ित का पैर धोया?  आपने माफी क्यों मांगी? ऐसे कई प्रश्न उठते हैं।
खैर, लेख में बतलाएं गये बातों पर ध्यान दिया जाता तो साफ हो जाता हैं आरोपी को मदद मिल रही है। प्रत्येक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ..... जो कि कतेई उचित नहीं है ......।
इस मूत्र कांड के आरोपी ने अपने साथ औरों को भी इस गुन्हा की चपेटे में ले लिया है। जिनका इस मामले में कोई लेना देना नहीं, जिन्होंने कुछ किया नहीं, जो सम्मान जनक जीवन व्यतीत कर रहे हैं उन्हें भी आरोपी ने अपने घिनौने काम में शामिल कर लिया है ......।
आरोपी को जरा भी अंदाजा नहीं कि उसने देश व समाज के कईयों को अपराधी बना दिया है। शर्मशार कर दिया है। 
कैसे .....? यहीं सोच रहे होंगे न....? आईए जान लेते है .....
खबरों के अनुसार मूत्र कांड के दो दिन पहले देश के प्रधानमंत्री जी उसी राज्य में एक जन समारोह भाषण में गर्व के साथ अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं के कार्य की तारीफ करते हुए सुने गये। और इसके कुछ समय (दो दिन) बाद इन्हीं के पार्टी के उच्च स्तरीय सदस्य ने "मूत्र-कांड" जैसे घिनौना आपराधिक काम किया। इससे प्रधानमंत्री जी के गर्व तथा भाषण में पानी नहीं उसने पेशाब कर दिया। 
हर राज्य का सर्वोपरि वहां के मुख्यमंत्री होते है। उनके पद की मान-मर्यादा होती है। ऐसे में उन्हीं के राज्य में अगर किसी मुख्यमंत्री जी को अपने घुटनों के बल बैठकर एक साधारण व्यक्ति का पैर धोना पड़े तो ...... जबकि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया जिसकी उन्हें इतनी बड़ी सजा मिले। इसके बाद नम्बर आता है ✓पार्टी का.... जिस पार्टी से आरोपी जुड़ा है उस पार्टी के लोगों को अपने-अपने क्षेत्र में सवालों के घेरे में घिरना पड़ रहा हैं। गलती न करने के बावजूद पब्लिक तथा विपक्ष के आगे शर्मिंदगी उठानी पड़ रही हैं।
दोस्तों, जैसा कि सूत्रों से पता चलता है मूत्र कांड का आरोपी उच्च कुल यानी ब्राह्मण जाति से आता है। इस आरोपी ने अपने समाज की मिट्टी खराब कर दी है।
प्राचीन प्रचलित कथाओं अनुसार ऋषि मुनियों ने मानव (हिन्दू) समाज को, उसके कार्य और भाव (स्वभाव) से उसे चार भागों में बांटा था- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। इनमें ब्राह्मण को सर्वश्रेष्ठ रखा गया। उसी प्रकार चार आश्रम बनाए थे। इनके पीछे ऋषि-मुनियों का कुछ लॉजिक था।
लेकिन उच्च कुल के ब्राह्मण जाति के एक व्यक्ति ने नीच काम कर ब्राह्मण समाज को लज्जित कर दिया।
मध्य प्रदेश के "मूत्र-कांड" आरोपी ने इंसानियत को शर्मशार कर दिया लेकिन उसे तथा उनके परिवार को जरा भी अफसोस नहीं......।

(प्रश्न -क्या मध्यप्रदेश के "मूत्र कांड" जैसे घिनौनी  घटना का आदिवासी समाज को न्याय मिलेगा?)
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