अथाह नफरत...?

 🙏 दोस्तों,

                     नफ़रत! एक ऐसी भावना मानी जाती है जो नापसंद को दर्शाता है। जिससे मनुष्य के मन में क्रोध पैदा होता है। 

क्रोध सिर्फ और सिर्फ बर्बाद करता है। नफ़रत करने वाले, अपने और दूसरे व्यक्ति या समूह दोनों का नाश कर बैठते हैं।

दरअसल, ईर्ष्या से ही मन में ऐसी भावना पैदा होती है। वो व्यक्ति मेरे से अमुक मामले में बीस है, उसके पास वो है जो मेरे पास नहीं है, उसे सब इज्जत करते हैं, मानते हैं, चाहते हैं पर मुझे नहीं करते... यही सब कारणों से ईर्ष्या, फिर उससे नफरत...।

मनोवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो व्यक्ति अगर किसी को किसी कारणवश नापसंद करता है तब उसके प्रति मन में नफ़रत पैदा हो जाती है। और यही नफरत जब सीमा पार (अथाह) कर जाती है तब क्रोध, आक्रोश और क्षति के रुप में हमारे सामने आता है।

हमारे देश में अथाह नफरत, अंतहीन नफरत की झलक दिखाई पड़ रही है। वर्तमान में जिसकी चपेट में एक व्यक्ति, उनका परिवार तथा उनके समर्थक हैं।

सालों-साल पनपते नफरत ने भाषा शैली व जान को मात दे रखा हैं। कई ऐसे उदाहरण हमारे समक्ष है जिसकी लपेट में आम तथा खास लोग शामिल हैं।

        इस लेख में हम उदहारण के तौर पर नफरत की एक ताज़ी घटना की चर्चा करेंगे...।

खबरों के मुताबिक जनवरी के 14 ता: (2024) से कांग्रेस पार्टी की भारत न्याय यात्रा, राहुल गांधी जी के सौजन्य से शुरू की गई है। जो की मणिपुर से शुरू हुई है। अनुकूल परिस्थितियों के जरिए दो-तीन राज्यों से होते हुए कांग्रेस पार्टी की न्याय यात्रा असम राज्य पहुंची।

यात्रा को इस राज्य में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा हैं। 

मिडिया रिपोर्ट के अनुसार 19 जनवरी को असम राज्य में न्याय यात्रा पर हमले की निंदनीय घटना घटी, जो अब तक बरकरार है। 

यहां का प्रसाशन गैरजिम्मेदाराना रवैया अपना रहा है। कारण, शायद यह यात्रा विरोधी दल का है...या किसी एक व्यक्ति के प्रति अथाह नफरत का भी हो सकता है....।

असम राज्य में चल रही भारत न्याय यात्रा में गैर दल के लोगों का प्रवेश करना, धक्का-मुक्की, विरोध व उत्तेजित नारेबाजी करना, पथराव, तोड़-फोड़, गलत इशारेबाजी, हो-हल्ला मचाना, रास्ता रोकना, यात्रा को आगे बढ़ने से रोक लगाना, हमलावर होना और इस बीच यहां की पुलिस व प्रशासन का मुकबधिर हो वहां खड़े रहना प्रतिकूल वातावरण को दर्शाता है। अथाह नफरत वया करता है।

इस पर कई लोगों का कहना है राज्य सरकार ऐसा कार्य अपने कार्यकर्ताओं से करवा रही है।... इसलिए करवा रही हैं क्योंकि कहीं न कहीं न्याय यात्रा का सकारात्मक प्रभाव उनके डर का कारण भी बन रहा है। परंतु हमारे विचार से ऐसा नहीं है....डर इंसान को दबाए रखता है न कि उद्दंड बनाता है? डरे लोग दुबके-सहमें रहते हैं। इस प्रकार से खुलकर अपशब्दों व हथियारों के जरिए आक्रमण नहीं करते...। ऐसा काम उग्रवादियों का ही हो सकता हैं...।

देश के लिए जिस दल, परिवार ने तथा परिवार के सदस्यों ने प्रतिकूल व अनुकूल, हर परिस्थितियों में अपने जीवन का समस्त समय, अनुभव यहां तक की जान भी न्यौछावर कर दिया हो उनके प्रति इतनी नफ़रत, इतना खौफ....? यह अकृतज्ञता है। किसी के उपकार को अस्वीकार करना, न मानना अकृतज्ञता ही कहलाता है। 

आज हमारे देश का माहौल कुछ ऐसा ही है या यूं कहिए बना दिया गया है कि अधिकतर देशवासी अकृतज्ञ बन गए हैं...। जो  हमारे या देश के लिए सही मायने में ठीक नहीं है।

किसी के उपकार को न मानना या भूल जाना अलग बात है। उपकार को अस्वीकार करना भी और बात है। लेकिन बदले में बेइज्जत करना, अपशब्दों से प्रहार करना, नफ़रत करना, औरों को खिलाफ करना, साजिश रचना सभ्यता नहीं है। ये राजनीतिक नहीं, असभ्यता है...। ओछी हरकत है...।

राहुल गांधी जी की भारत न्याय यात्रा के दौरान अब तक असम एक ऐसा राज्य है जहां यात्रा से जुड़े कार्यकर्ताओं व लीडरों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा हैं। उनके जान का खतरा भी बताया जा रहा हैं।

सोशल मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इजाजत मिलने के बाबजूद रोका जा रहा है, मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है। बाधाऐं पहुंचाई जा रही हैं। 

पोस्टर और बैनर फाड़ने का भी मामला सामने आया हैं। वहां के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को घायल करने की बात भी सामने आई है। उनके नाक से खून बहते हुए देखा गया है। लेकिन असम राज्य के आमलोग भारी संख्या में भारत न्याय यात्रा के समर्थन में यात्रा  दल के साथ नजर आ रहे हैं। उनके साथ सड़कों पर नजर आ रहें हैं।

खबरों के अनुसार आज सुबह वहां के एक मंदिर के थोड़ी दूर प्रवेश रोक पर कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ता धरने पर बैठ गये, साथ ही राहुल गांधी जी भी बैठ गए। उनका कहना है हम मंदिर में भगवान के दर्शन क्यों नहीं कर सकते? हमने क्या ग़लती की हैं? हमने परमिशन ले रखी है बाबजूद उसके हमें रोका गया हैं। हम कारण जानना चाहते हैं। वहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यह बातें कही। राहुल गांधी जी रोक की वजह जानना चाहते है ...। 

सुनने में आया है, मंदिर में सबों को जाने की अनुमति है सिर्फ राहुल गांधी जी के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है। इतनी नफ़रत? इतनी नफ़रत ठीक नहीं, लोगों के अनुसार इसलिए वहां की जनता उनके साथ, उनके पास रास्ते में धरने पर बैठ गई हैं। और भगवान से भजन के जरिए प्रार्थना कर रही है- सबको सन्मति दे भगवान।

         

 पूरे देश में भारत न्याय यात्रा के दौरान हुए हमले और फिर राहुल गांधी जी को मंदिर प्रवेश में रोक, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की चोट पर निंदा की जा रही है।

अंत में लेख के जरिए हम इतना कहना चाहेंगे- नर में नारायण अर्थात भगवान का बास होता है। अतः नर की (मनुष्य) सेवा अगर किसी भी रूप में की जाए तो वहीं असल में ईश्वर की सेवा व पूजा-अर्चना होती है। अगर सही मायने में कोई भी व्यक्ति या समूह ईश्वर से प्रेम करता हो, उसे मानता हो तो मनुष्य की सेवा ही ईश्वर को संतुष्ट कर सकता है...।

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