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    🙏 दोस्तों,

                     विज्ञापन हमारे दैनिक जीवन में अहम भूमिका निभाता है। इसी के माध्यम हम बहुत कुछ जान पाते हैं और आगे का फैसला लेते हैं। जीवन के करीब हर क्षेत्र में विज्ञापन हमारी मदद करता है। छोटी से बड़ी, हर चीज का पता हमें घर बैठे विज्ञापन के द्वारा पता चल जाता हैं और उस पर हर कोई भरोसा भी करता हैं। 

विज्ञापन, जानकारी का स्त्रोत है। अर्थात विज्ञापन का शाब्दिक अर्थ जानकारी है। विज्ञापन मालिक अपने फायदे (व्यापारीक) के लिए इसके जरिए हर सूचना लोगों तक पहुंचाने का काम करती है। और हम लोग भी अपने जरुरत के मुताबिक इस पर गौर करते हैं।

लेकिन कुछ ऐसे भी विज्ञापन मालिक हैं जो इसके जरिए लोगों को भ्रमित करते हैं। झूठा प्रचार करते है। लोगों को धोखा देते हैं। इन दिनों इसकी संख्या बढ़ रही हैं और लोग भी अधिक धोखाधड़ी के शिकार हो रहें हैं।

बीना सोचे समझे हम विज्ञापन के चुंगल में फस जाते हैं और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहुत कुछ गंवा बैठते हैं।

अभी हाल ही में देश के सबसे बड़े कोर्ट ने एक ब्रांडेड विज्ञापनदाता को चेतावनी दी है कि देश भर में वे लोगों को अपने विज्ञापन से भ्रमित न करें... लोगों को धोखा न दे... ग़लत दावा न करें... दूसरे को ग़लत साबित न करें। बल्कि साधारण विज्ञापन के जरिए प्रचार व प्रसार करें। वरना कानूनी कार्रवाई के साथ जूर्माना भरना पड़ेगा। साथ ही वर्तमान भारत सरकार का ध्यान भी इस ओर आकृष्ट किया हैं। क्योंकि कहीं न कहीं उनकी भी जिम्मेदार बनती है। 

दोस्तों, यहां बात कर रहे है- हमारे जानें पहचाने, पसंदीदा, विश्वसनीय ब्रांड "पतंजलि" की.....।

दरअसल, तमाम मिडिया रिपोर्ट की खबरों से पता चल रहा है सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि के मालिक व सह पार्टनर को अवमानना नोटिस जारी करते हुए सावधान किया है कि वे अपने "मेडिकल प्रोडक्ट" के विज्ञापन के प्रति वफादार रहें। 

असल में पिछले कुछ सालों से वर्तमान सरकार की क्षत्रछाया में रह कर यह कंपनी (पतंजलि) खुले आम "एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति" को सरासर गलत ठहराते हुए विज्ञापन के जरिए देश के लोगों को भ्रमित कर रही है। और एलोपैथिक चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों को ग़लत ठहरा रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार जहां पूरी दुनिया एलोपैथिक चिकित्सा पर भरोसा करती है, कई इलाजों पर इनका समय-समय पर रिसर्च होता हैं, दुनिया भर में हजारों अस्पताल चल रहें हैं, नई-नई तकनीक की ओर बढ़ा जा रहा हैं वहीं पतंजलि कंपनी, विज्ञापन के जरिए इसकी खामियां निकाल अपने प्रोडक्टों से पूर्ण इलाज का दावा करती है।

खबरों के अनुसार इस ब्रांड का यह मामला पहली बार 2022 में नोटिस किया गया था। तब "भारतीय मेडिकल एसोसिएशन" (IMA) की ओर से कोर्ट में पतंजलि के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। IMA की ओर से तथा ऐलोपैथिक जगत से जुड़े डाक्टरों ने समय-समय पर सरकार की दृष्टि इस ओर आकृष्ट करवाया था। आयुष मंत्रालय ने भी नाराजगी जताई थी।

इनका कहना है दुनिया की सबसे भरोसेमंद ऐलोपैथिक चिकित्सा किसी भी बीमारी का पहले से पूर्ण रूप से ठीक होने का दावा नहीं करतीं हैं, ऐसे में पतंजलि मेडिकल प्रोडक्ट व योग, पूर्व दावा कैसे कर सकती हैं? 

पतंजलि कंपनी का यह भी कहना है- जहां ऐलोपैथिक काम नहीं करती, वहीं हमारा प्रोडक्ट कारगर सिद्ध होता हैं।  

जबकि इस ब्रांड के विशेष प्रोडक्ट गिलोय, आंवला जूस, नूडल बगैरों पर विवाद हो चुका हैं।

इसके अलावा यह बात भी सामने आई है कि कोरोना महामारी के भयंकर समय जब दुनिया भर के ऐलोपैथिक चिकित्सा जगत इलाज, वेक्सीन पर रिसर्च, खोज आदि पर लगी थी ऐसे में अचानक पतंजलि की ओर से दावा किया गया था, हमने कोरोना वायरस से बचने की दवा ढूंढ निकाली है। संभवतः "कोरोनील" नामक दवा बतलाई गई थी। समय 2023 के नवंबर का था। 

पतंजलि ने योग और अपने प्रोडक्ट के जरिए बीमारियों का नाम लेकर कहा- शुगर (मधुमेह) तथा अस्थमा को संपूर्ण ठीक किया जा सकता हैं जबकि ऐलोपैथिक ठीक नहीं कर सकता।

इस प्रकार लोगों को भ्रमित किया जा रहा हैं....।

इसके अलावा विभिन्न विज्ञापनों, फोटो, नेता-मंत्रियों के संग सभा के माध्यम अलग-अलग चिकित्सा जगत की तुलना अपने मेडिकल प्रोडक्ट से कर किसी को ग़लत साबित करना जारी रहा। लेकिन अब कोर्ट ने इस मामले पर गंभीरता दिखाते हुए चेतावनी दे दी है कि साधारण विज्ञापन दें सकते हैं परन्तु किसी को चेलेंज कर , उसकी खामियां निकाल, उसे झूठा बताकर विज्ञापन नहीं दे सकते। न ही देश के लोगों को झूठे विज्ञापन से धोखा दे सकते हैं। वरना सजा और जुर्माना के हकदार होंगे। 

इस पर पतंजलि कंपनी की ओर से निम्न बातें कही  गयी है- 

✓उनका कहना है हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं।

✓हमने कई करोड़ खर्च कर "लेव टेस्ट सेंटर" बनाए हैं।

✓हमारे समस्त प्रोडक्ट सुरक्षित हैं।

✓लेकिन हमारे पिछे "मेडिकल माफिया" पड़ा हुआ हैं।

अपनी सफाई में जानी-मानी पतंजलि कंपनी ने ये बातें कही...।


खैर, जहां किसी को ग़लत साबित करने की नौबत  आती है, वहां भ्रमित प्रक्रिया कारगर होता है। देखा गया है यह 99% सही है। अतः देश के समस्त देशवासियों से हमरी ओर से यही सलाह रहेगी कि किसी भी विज्ञापन की ओर बढ़ने से पहले दाएं-बाएं की सोच लेनी चाहिए।


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