पशमीना प्रदर्शन ---

 🙏 दोस्तों, 

                    पशमीना, लद्दाख की एक चरवाहा समूह है। यह समूह वहां के भारतीय सीमा के अंत तक यानी 'भारत-चीन' सीमांं में अपने पशुओं को चराने जाते थे। लेकिन उनका कहना है अब वो पिछले कुछ समय से वहां तक जा नहीं पा रहें हैं। उनके वहां जाने में रोक लगा दी गई हैं।

7 अप्रैल 2024 अर्थात रविवार को वे अपने इस हक के लिए भारत की उस सीमा तक एक मार्च (प्रदर्शन) करेंगे। इस प्रदर्शन का नाम लद्दाख की ओर से "पशमीना मार्च" का नाम दिया है।

लेकिन क्यों रोका गया है?

क्या वजह है?

आखिर सालों से अपने क्षेत्र की देशीय सीमा तक पहुंचने में उन्हें किसने रोका है?

इस तथ्य को हम सभी देशवासियों का जानना जरूरी हैं। क्योंकि भारत मे कई सीमा क्षेत्र हैं। हालांकि लद्दाख पहाड़ी व वर्फीली सीमा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। फिर भी है तो हमारे ही देश की सीमा...।

तो आइए खबरों के मुताबिक जान लेते हैं पशमीना मार्च (प्रदर्शन) के क्या कारण...है? 

दोस्तों, जैसा कि हममें से अनेक लोग जानते हैं लद्दाख में पिछले माह 6मार्च (2024) से 21 दिनों तक 'प्रोटेस्ट अनशन' (नमक+पानी का) चला। कई अवार्ड विजेता 'सोनम वांगचुक' के नेतृत्व में यह अनशन चला।... बताया जाता है उसके बाद वहां की महिलाएं भी 10 दिनों के लिए खुले आसमान तले दिन-रात अनशन पर रही। जिनका अनशन आज (4-3-2024) पूरा हुआ। इसके बाद तीन दिन के लिए फिर से सोनम वांगचुक तथा वहां के कुछेक नेता मोर्चा संभालेंगे। 

इन सबों के पिछे का कारण है- वहां के लोगों के कहे अनुसार 'भारत सरकार' ने हमें धोखे में रखा। हमसे किए वादों को बार-बार टालती रही। और अब पूर्ण वोट से जीतने के बाद वादा पूरा करने में अस्मर्थ जता रही हैं। इसी कारण वे प्रोटेस्ट अनशन शांतिपूर्ण कर सरकार को याद दिलाना चाहते है। 

इसमें महिला, पुरुष , युवा तथा हर वर्ग के लद्दाख वासी शामिल हैं।

लद्दाख वासियों का कहना है हमारा कल्चर, प्राकृतिक देन की हमें रक्षा करनी हैं साथ ही लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देना होगा। 370 धारा हटाने के दौरान भारत सरकार के कहे अनुसार इन वादों को पूरा करना होगा। उन्होंने झूठ और धोखे से हमारे वोट बटोर लिए। 

खबरों के मुताबिक लद्दाख में नेतृत्व करने वाले 'सोनम वांगचुक' की ओर से कहा गया है कि- 7 अप्रैल से युवा अनशन पर बैठेंगे तथा उसी दिन 'पशमीना प्रदर्शन' देश की अंतिम सीमा तक की जाएगी।

जहां हमें यानी चरवाहों को जाने से रोका जा रहा हैं। दरअसल, उनके कहे अनुसार चीन ने वहां की सीमा अतिक्रमण कर ली है। इसलिए हमें हमारे देश में, हमारे राज्य से वहां तक जाने के लिए रोका गया हैं। जो पहले नहीं हुआ था। हमें लद्दाख तक सीमा बंद किया जा रहा हैं।

लद्दाख वासियों के  कहे अनुसार हमारे इस कठीन समय में देश के कई लोग जैसे- पत्रकार, धर्म गुरु, राजनेता हमारे पास आ रहें। हम सबों का लद्दाख में स्वागत करते हैं। हमें खुशी है देश हमारे साथ है। हम शांति से अपनी मांग सरकार को बताना चाह रहे हैं। उन्हें  उनके किए वादों को याद दिलाना चाह रहे हैं।हमें किसी से जबरदस्ती या लड़ाई नहीं करनी हैं। हम किसी 'पालिटिकल माफिया' के शिकार नहीं हो सकतें।

उनका आगे ये भी कहना है- हमारा इरादा लोकतंत्र बहाल करने का है। हम  भारत की सीमा तक जाना चाहते हैं। क्योंकि हम भारतीय नागरिक हैं।

हम देशवासियों और सरकार को बताना चाहते हैं लद्दाख की सीमा खतरें में है। यही कारण है कि यहां के 'पशमीना चरवाहे' भारत-चीन सीमा तक जा नहीं पा रहे हैं। उन्हें जाने से रोका गया हैं। 

इन्हीं वजहों से 'अनशन' और अगले रविवार 7अप्रैल को हमने शांति पूर्वक 'पशमीना मार्च' का आयोजन किया है। 

लेकिन ऐसे में सरकार ने यहां 'अर्द्ध सैनिक' वल तैनात कर दिया है। यह बल युद्ध में कारगर होता हैं।

पर यहां  युद्ध जैसा कुछ नहीं। फिर भी ....?

खैर, हम अपना अनशन, प्रदर्शन सब बारी-बारी से शांति पूर्वक करेंगे। जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती। सिर्फ हमारी मांगे हम शांतीपूर्ण याद दिलाना चाह रहे हैं।

लद्दाख नेतृत्वकारी 'सोनम वांगचुक' की ओर से देशवासियों को मैसेज है- देश में विकास के नाम पर विनाश हो रहा हैं। सभी अपने अपने राज्यों में आवाज उठाएं। 

दोस्तों, हम सिर्फ आवाज उठाएंगे और कुछ नहीं उठाएंगे। हमारे हक के लिए लद्दाख का हर वर्ग बारी-बारी से शांति पूर्वक अनशन पर बैठेंगा।

भारत सरकार से हमरी अपील है हमें दिए गए अपने वादे पूरे करें। दुनिया में देश का नाम बदनाम करने की नौबत नहीं आनी चाहिए।

देश के पहाड़ी इलाके में बैठकर अपनी समस्या के लिए वे भारत सरकार व भारत वासियों के नजर आकृष्ट करना चाह रहे हैं। इसलिए अनशन और प्रदर्शन का मार्ग अपना रहे हैं। 

खबरों के मुताबिक वे महात्मा गांधी के 'नमक' आंदोलन की राह पर चलना चाह रहे हैं...। जिससे उन्हें उम्मीद है....।

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