दशानन दहन-----

   🙏 दोस्तों,

                    

इस साल देश भर में "रावण दहन" अर्थात "दशानन वध" का आयोजन 24 अक्टूबर (2023) को किया गया। देश के विभिन्न शहरों तथा गांवों में यह पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। वैसे तो बताया गया इस साल रावण दहन के दो शुभ मुहूर्त निकले हैं। 23 और 24 ता: परंतु 24 अक्टूबर को ही देशभर में दशानन (रावण) दहन धूमधाम से मनाया गया।

       रावण दहन, दशहरा या विजयादशमी... जो भी कह लें, इनके साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं। कोई कथा शक्ति की देवी माता दुर्गा और महिषासुर राक्षस से जुड़ी हैं, कोई राम और रावण से जुड़ा हैं तो कोई कथा कौरवों और पांडवों के चौपड़ खेल से जुड़ा है।

हिन्दू समुदाय का यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत, असत्य पर सत्य की विजय, अधर्म की हार और धर्म की जीत, शत्रु के नाश का पर्व हैं।

दोस्तों, जैसा कि हम जानते हैं देशभर में अक्टूबर माह के नवरात्रि के बाद रावण (दशानन) दहन किया जाता हैं लेकिन  इसी देश में कुछ ऐसी भी जगहें है जहां रावण दहन नहीं होता। कई लोगों को सूनकर आश्चर्य लगेगा पर यह सच है.... कुछ चुउउउउ पर रावण पुतला जलाया नहीं जाता, उसका वध नहीं किया जाता बल्कि रावण की पूजा-अर्चना की जाती हैं। खबरों के अनुसार झारखंड का ऐसा ही एक शहर है जहां रावण दहन नहीं होता है।

झारखंड के उस शहर में रावण दहन नहीं किये जाने के पिछे एक कारण है- बतलाया जाता है कि शास्त्रों के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंग हैं। जिनमें से एक बाबा "बैद्यनाथ ज्योतिलिंग" है। जिसकी स्थापना रावण ने झारखंड के इस शहर में कई थी। दशानन (रावण) के द्वारा ज्योतिलिंग स्थापना किए जाने पर यह स्थान धार्मिक स्थलों में जाना जाने लगा तथ स्थान पवित्र हो गया था। उन्होंने (दशानन) यह पुन्य का काम किया था। इसलिए इस शहर में रावण दहन नहीं होता है। बल्कि वहां के लोग रावण की पूजा करते हैं। इस गांव में दशानन की पूजा की जाती है। 

इसी प्रकार हमारे देश में और भी अनेक जगहों पर अलग-अलग कारणों से रावण दहन नहीं होता है....।

            देश के अलग-अलग शहरों मे रावण दहन आयोजन में कई नेता-मंत्रियों व हस्तियों ने भी हिस्सा लिया हैं। खबरों के अनुसार चुनाव का मौसम चल रहा है। शायद इसीलिए पार्टियां रावण दहन के जरिए अपने दलों का प्रचार करना चाह रही हो। कुछ भी हो देश की राजधानी सहित देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे रावण दहन में वे लोग हिस्सा ले रहे हैं..... 

जैसे कि -

*भारत की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री जी ने तीर चला कर रावण के पुतले को जलाया। साथ ही उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे श्री राम की प्रेरणा से प्रेरित होकर आगे बढ़े। उनके जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं। अपना उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा- उनके जीवन से सीखना है। हम बहुत कुछ सीखने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी प्राथमिकता है दिल्ली वासियों को अच्छा भोजन और अच्छी शिक्षा देने की कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा और भी अनेक मौलिक जरुरतों को पूरा करने का हमारा प्रयास जारी हैं। चाहे वो गरीब हो या अमीर...... । दहन पर्व पर उनका हृदय से कहना है- दिल्ली तरक्की करे साथ ही पूरा देश हर तरफ से तरक्की करे।

दोस्तों, यह बात बिल्कुल सही है अच्छा भोजन और अच्छी शिक्षा, इन दोनों की पहले जरुरत है। क्योंकि पेट भरा रहेगा तो ही किसी काम में मन लगेगा वरना नहीं। यह भी मानने वाली बात है कि अच्छा भोजन यानी पोष्टिक आहार मनुष्य को स्वस्थ शरीर और तेज़ दिमाग दे सकता हैं। इन्हीं के बदोलत हमें अच्छी शिक्षा ग्रहण करने में मदद मिलेगी। अच्छी शिक्षा देशवासियों को कुरीतियों, भेदभाव, जाति-धर्म, अंधविश्वास जैसे अंधेरे से निकाल प्रकाश की ओर ले जा सकता हैं। अतः दिल्ली के मुख्यमंत्री जी ने रावण दहन पर्व पर जो भी कुछ कहा शत-प्रतिशत सही है। 

        *दूसरी ओर पटना में श्री नीतीश यादव तथा लालू प्रसाद यादव जी ने रावण दहन किया। रांची के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने भी रावण वध किया। इसके अलावा सूत्रों से जानकारी मिली है इस बार श्री नगर में कश्मीरी पंडितों ने अपने वहां रावण दहन का आयोजन किया। जिसमें हिन्दू समुदाय के साथ दूसरे सभी समुदायों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। खबरों से यह भी जानकारी मिली है कि वहां के रावण पुतले को मुसलमानों ने बनाया हैं। यानी वहां से हमें भाईचारे का संदेश मिला है।

*साथियों, जैसा कि हमने देशभर में लोगों को "रावण दहन" को तीर (वाण) से जलाते हुए देखा है। रावण का पुतला धनुष-बाण चलाकर जलाये जा रहें हैं वहीं दूसरी ओर एक अनोखे तरीके से रावण जलाने की बात सामने आई है..... जानीमानी अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने परिवार के साथ अपने घर पर रावण दहन किया। खबरों से पता चला है उन्होंने रावण का एक छोटा पुतला बनाकर दहन का आयोजन किया और उस पुतले को धनुष-बाण से न जलाकर फूलझड़ी जैसी स्ट्रीक से जला। 

रावण पुतले को जलाने की यह विधि सबसे अलग व अनोखी लगी.......। बहुत खूब .....।

*दोस्तों अब बात करते है तेज़-तर्रार, जानीमानी हस्ती की, जिनकी बातों के अर्थ कई लोगों के समझ से परे होती हैं। जो काफी अद्भुत, अर्थहीन बातें करते हुए नजर आती है। शायद आप सब उन्हें जानते होंगे। तो 2023 के रावण दहन में उन्होंने हिस्सा लिया। हाथों में तीर-कमान लिए रावण पुतले को जलाने की बार-बार, कई बार कोशिश की परंतु हर बार नाकाम रहीं। तीर, कमान से ठीक तरह से निकल ही नहीं रहा था। बुराईयों से भरे रावण के  पुतले को जलाने के लिए तीर चल ही नहीं रहा था। उनके पास खड़े कुछ लोग उन्हें गाईड कर रहे थे, समझा रहे थे पर तीन कमान से निकल ही नहीं रहा था। वो भी कोशिश पर कोशिश किए जा रहीं थी पर सफल न हो सकी अंत में पास खड़े किसी को उन्होंने तीर-कमान दे दी। और वो रावण दहन नहीं कर पाईं।

              * मुंह चलाना, जुवान लड़ाना, हाथ चलाना, दिमाग चलाना अलग-अलग बातें हैं। खैर, दोस्तों कहते है जिसको जो काम आए उसे वहीं करना चाहिए। ऐसा करने से समय और इज्जत दोनों बचते हैं। हां, कोशिश करना अलग बात है फिर भी चौतरफा ध्यान रखते हुए ही कोशिश करनी चाहिए। बात कांग्रेस पार्टी से जुड़ी श्रीमती सोनिया गांधी जी की है। सूत्रों से पता चला है रावण दहन में उपस्थित होने के दौरान उन्हें तीर-धनुष देते हुए रावण पुतला जलाने को कहा गया। चूंकि उन्हें तीर चलाना नहीं आता इसलिए उन्होंने सिर्फ तीर-धनुष को अपने दोनों हाथों से छूआ और अपना स्थान ग्रहण किया। सोनिया जी ने तीर चलाने की कोशिश नहीं की,  कारण उन्हें वो काम आता नहीं। उन्होंने समय और इज्जत दोनों का ध्यान रखा। 

इस प्रकार चुनावी मौसम में देशवासियों ने अपने -अपने ढंग से रावण वध करने की कोशिश की जो काफी सराहनीय रही.....।


(प्रश्न:- दशानन के दस सिर के क्या अर्थ हैं?) 


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