काश

बात हो रही थी अमरिकन राष्ट्रपति जी के भारत सफर की। उनके आने से हम भारतवाषी गर्वित और उत्साहित थे। उनका स्वागत बड़े जोर-शोर सेकिया गया था परन्तु दो-तीन बातें मुझे खटकी ।
पता चला उनके स्वागत के लिये अमिरी-गरिबी और स्वच्छ-अस्वच्छ के बीच दीवार खड़ी की गई। शायद कुछ ढ़कने के लिये। पर बाद में पता चला यह दीवार पहले से ही लगाई जा रही थी। मन को जरा शान्ति मिली।
स्वागत के दौरान दूसरी बात पर ध्यान गया। राष्ट्रपति जी के स्वागत में सोने-चाँदी के बर्नतनों में भोजन परोसा गया।
इन दिनों सोने के भाव से करीब-करीब हम सब अबगत है फिर भी ऐसा स्वागत? थोड़ी देर में ध्यान आया -ओहो, भारत सोने की चिड़िया है, नहीं थी जो भी हो।मन को इस बार भी शांति मिली।.....
फिर उनको दीदार करवाने के प्रोग्राम की ओर ध्यान गया था। संसार के सात आश्चयों में से एक माना जाने वाला,प्रेम का प्रतिक ताजमहल का दीदार करवाया गया। जिसे मुगल सम्राट शाहजहाँ ने बनवाया था कई सौ
वर्ष पहले ,जो आज भी प्रेम की मिशाल के रुप में हमारे सामने खड़े हो हमें प्रेम का अहसास दिलाता है।
काश, वर्तमान में हम भारतवाषी इस प्रेम के प्रतिक से नफरत का सबक न ले, समस्त जाति-धर्म से प्रेम करते तो कितना अच्छा होता। तभी इस प्रोग्राम पर हमें गर्व महसूस होता। खैर, यह प्रोग्राम अच्छा लगा।
परन्तु ,दूसरे ही पल मैं सोच में पड़ गई । हमारे भारतवर्ष में ओर भी कितने सौन्दर्य, कलात्मक दीदार के लिये हैं जिसे देख कर कौन आजीवन याद न रखे। फिर ताजमहल ही क्यों?