घुटन------

जो देश बेकारी की समस्या से पीड़ित है वह देश व उसका समाज अनेकों प्रकार से अपराजकता से प्रभावित हो घुटन की जिन्दगी जीने को मजबूर होता है।
हम जानते है कि बेकारी एक गंभीर समस्या है। अच्छे-अच्छे सब डिग्री लिये बैठे है।अपनी योग्यता और शिक्षा के साथ। फिर भी कोशिश जारी है, योग्यता अनुसार अगर नौकरी मिल जाये। नौकरियों की कतार में बैठ नेट खंगाल रहे है।ऐसे शिक्षित और योग्य व्यक्ति दिशाहिनता के कारण अपने आप में हिनता के शिकार हो रहे हैं।ऐसी परिस्थितीकालिन, हाल ही में हिन्दी के एक पत्रिका में पढ़ने में आया- देश में रोजगार के अवसर निरंतर बढ़ रहे हैं। लोगों को बढ़े पैमाने में रोजगार मिल रहे है, साथ ही रोजगार देने की दिशा में यह देश काम कर रहा हैं।
नौकरी की कतार में लगे लोगों को ,देश में रोजगार की वर्तमान दशा और दिशा दोनों ही मालूम होना चाहिए या हैं। इसी का एक उदहारण अत्यनत दुःखी करने वाला है। अपमानीत करने वाला हैं।
एम.बीए. डिग्रीधारी योग्य व्यक्ति को आज की तारिख में रेल में खलासी के तौर पर काम करना पड़ रहा है।वही दूसरी ओर एम.एस.सी. पढ़ाई करने वाले छात्र को नगर निगम में सफाई कर्मी की नौकरी करनी पड़ रही हैं।
इस लाचारी और पीड़ा को समझदार तथा योग्य व्यक्ति ही महसूस कर पायेगें। कहीं न कहीं वे अपनी मजबूरी के अपमान को चूपचाप हर पल सह रहे हैं।
हमारे सामने योग्यता का यह एक पहलू है ।दूसरी ओर बिना योग्यता और डिग्री के ,विशेष पदों पर है।यहां तक कि शिक्षक-शिक्षिका के पद पर भी देखा व जाना गया हैं।
शिक्षित-अशिक्षित, योग्य-अयोग्य के बीच के रिक्त स्थान में कई अराजकताऐं प्रभावित हो रही हैं। कई घुटन की जिंदगी जी रहे हैं। शायद इनमें आपके- मैंरे घर के भी हो।
जिन्हें अधिकार हैं, अगर ऐसे व्यक्ति इन पर अमल करे तो, शिक्षा का मान बढ़ेगा।
शायद........