कब्र-------

बचपन में स्कूल जाते रास्तें में कई लकड़ियों की दुकानें नज़र आती थी। वहा लकड़ियों की कई चीजें बनी बनाई नजर आती थी।टेबल-कुर्सी, पटरा,छोटे सिंहासन इस तरह की ओर भी कई चीजें। दुकान के बाहर फूटपाथ पर
एक ओर खाट टाईप की कई पलंग एक पर एक रखी रहती थी। देखकर ही कैसे बेकार किस्म के लगते थे। सोचती थी, पता नहीं कौन खरिदता होगा इन्हें? उस उम्र में खाटों की सत्यता व महत्व को समझ नहीं पाई थी। पर,बाद में समय बितने के साथ-साथ पता चला वे मुर्दा खाट हैं जो कि कारोवार के चलते बनाये रखते हैं। ताकि खरिदारों को समयानुसार मिल जाये।
 जीने के लिये हर छोटी-बड़ी चीजों के कारोबार के जरिये हम अपना जीवन चलाते हैं और यही जीवन जब खत्म हो जाता है, तब भी चीजों की जरुरत पड़ती हैं और उसे  पूरा करने लिये भी कारोवार करते हैं। सत्य है, जीवन और मृत्यु के इस चक्र के लिये हम लगातार काम करते रहते हैं। परन्तु, इसी जीवन की व्यस्तता के कारण इसकी गहराई की ओर कभी ध्यान ही नहीं गया या कह सकते है कि मौका ही नहीं मिला।
लेकिन कोरोना वायरस के चलते ,लॉकडउन ने जीवन में पहली बार समय ही समय दिया है वास्तविकता को जानने का। और जब जाना तो रौनटे खड़े हो गये।
दुनियां में ब्रिटेन, कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। वहा इस संक्रमण से मरने की संख्या इतनी ज्यादा बड़ रही हैं कि लाशों को दफनाने के लिये कब्र भी कम पड़ रहे हैं। और मौतों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में पहले से ही कब्र खोदे जा रहे है जिंदा लोगों के लिये।
ब्रिटेन के क्लाइव काल्वर (कब्र खोदने वाला) बड़े दुःख और हताश के साथ
बताते है- मुझे पहले से ही कब्र खोदने का जिम्मा दिया गया है, जिंदा लोगों के लिये। मेरे लिये इससे बुरी बात ओर क्या हो सकती है।
इस काम ने उन्हें ,जैसे जिते जी मार डाला हो........
मरने के बाद कब्र खोदा जाता है फिर दफनाया जाता है पर कोरोना ने पहले कब्र का इंतजाम करवाया फिर मौत का.......