नववर्ष--------

ब्यूटीलेख की ओर से समस्त भारतवासी व प्रवासी भारतवासियों को बैसाख नववर्ष की ढ़ेरों शुभकामनाऐं .......
ईश्वर से प्रार्थना है कि वे सबों को स्वस्थ्य रखें और स्मृद्धि प्रदान करें।
साधारण तौर पर हम अंग्रेजी माह के अनुसार ही चलते आये हैं। अतः हिन्दी माह का ध्यान उतना नहीं रख पाते। फिर भी हमारी कोशिश रहती है कि हिन्दी माह न भूले। कुछ त्यौहार है जो भूलने भी नहीं देते।
 हम भारतीय 12 ऋतुओं को और 12 माह को जानते तथा मानते हैं। मौसम और माह के अनुसार व्रत, तीज, त्यौहार का पालन करते हैं। भले ही उनमें अंग्रजी माह ही क्यों न जुड़ा हो........
देश के विभिन्न राज्यों के त्यौहार साल के इस बैसाख माह में मनाया जाता हैं।
नववर्ष के रुप में ...13-14-15 (अप्रैल) ताः के बीच यह मनाया जाता हैं।
बैसाख नववर्ष का त्यौहार पंजाब, बंगाल, असम, मणिपुर,केरल आदि अनेकों राज्यों में मनाते हैं। कोई किसी नाम से तो कोई किसी नाम से मनाते हैं।यह त्यौहार कही न कही फसल व कृषि से जुड़ा हैं।
लोग अपने-अपने घरों की साफ-सफाई में, रंगोली बनाने में, घर सजाने में, नये कपड़े पहनने में, तरह-तरह पकवान बनाने में, पवित्र गंगा स्नान में जुट जाते हैं।कई राज्य नृत्य, गीत-संगीत, कीर्तन के साथ इस त्यौहार को मनाते हैं। पंजाब में लंगर का आयोजन करते हैं। बंगाल में व्यापारी (बंगाली) इस दिन अपने व्यापारिक नये बही-खाता बनाते हैं। मणिपुर में वहां के लोग अपने आस-पास के पहाड़ की चोटी पर चढ़ जाते हैं ताकि वे अपने दैनिक जीवन में ओर ऊपर जा सके।ऐसी मान्यता हैं।
खैर, अपनी प्रथा, विश्वास, परम्परा, मान्यता के अनुसार विभिन्न राज्य के विभिन्न समाज इस बैसाख को मनाते हैं,उत्सव और त्यौहार के रुप में।
पर इस वर्ष कोरोना का संकट ऐसा आ पड़ा हैं कि लोग इस उत्सव को मना नहीं पा रहे हैं।
बस घर बैठे ईश्वर से सबों के कल्याण की प्रार्थना कर रहे होगें............