एक रुपया--------

इस समय देश भर में गरीब, भूखे, जरुरतमंद लोगों के लिए सरकार के अलावा कई संस्थाऐं व संगठन अपने हिसाब से सहायता में लगी हैं। फिलहाल सबों का एक ही उद्देशय हैं इस लॉकडाउन के दौरान देश का
कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे। सबों का फोकस भूख पर ही हैं। खायेगें तो जीवीत रहेगें और जीवीत रहेगें तो आगे कुछ कर पायेगें।
ऐसे ही सहायता के दौरान एक स्वैछाचारी संगठन "कोबरा ग्रुप" का नाम सामने आया हैं। जो समाज के सामूहिक कार्यों में हिस्सा लेती रहती हैं।
पश्चिम बंगाल के किसी पंचायत क्षेत्र से यह अपना कार्य करती हैं।
लॉकडाउन के दौरान इस ग्रुप ने अदभूत बीड़ा उठाया हैं। अनोखा व मददगार।
 कीमत, मात्र 1रु.......
उनके मदद की कीमत एक रुपया है। शायद इस ग्रुप का मानना है हर मूल्य का अहसास सबों को होना चाहिए। कई बार हम, मुफ्त में आईचीजों की कदर नहीं करते। या ऐसा भी हो सकता हैं लोगों को अनोखे आनन्द का आभास कराना इसग्रुप का उद्देशय हो.......
दुकान में जाकर हम मोल-भाव करते हैं और अगर थोड़ा भाव कम करवा लिया तो खुश हो जाते है। सोचते है कम पैसों में मिल गया। यही सोच खुश हो जाते है। हालांकि ऐसा अधिकतर महिलाओं में होता हैं।
वैसे इस ग्रुप की बात केवल मात्र धारण हैं।
अदभूत् मेले का आयोजन किया है इस ग्रुप ने।
हम सोच सकते है मेले में बहुत लोग एकत्रित होते हैं। भीड़ जुटती हैं। फिर कोरोना के इस संकट में ऐसे आयोजन की क्या जरुरत.......
पर हमें घबराने की जरुरत नहीं, उन्होंने लॉकडाउन के सारे नियमों को ध्यान में रखते हुए इस मेले की व्यवस्था की हैं। मेले के माध्यम् से मदद और खुशी दोनों दी जायेगी। बाकई इस मेले में जाकर बच्चें, बुड़े, जवान, महिला, पुरुष सभी खुश हुए।
इस ग्रुप के सदस्यों ने अपने आस-पास के क्षेत्रीय 8 गाँवों के करीब 100 दरिद्र परिवारों के लिए यह आयोजन किया। 8गाँवों के बीचों बीच जगह में मेला लगाने का फैसला लिया है। यहां सिर्फ दरिद्र परिवार के लोग ही आ
सकते है उनके अलावा और कोई मेले में नहीं आ सकता।
मेले में 13 प्रकार की सामग्री मिलेगी वो भी मात्र 1रु में। यहां माचिस से शुरु कर दाल,चावल,आटा, आलू ,बिस्कुट आदि इस प्रकार की कुल 13 सामग्री दी जायेगी। 13 प्रकार की सामग्री मात्र 1रु में......
कितनी खुशी की बात हैं......1रु में एक भी सामान नहीं मिलता और इस मेले में 13 तरह के समान मिलेगें।
मेले का नाम "अन्नपूर्ण मेला "रखा गया हैं।
गाँव के लोग यहां आकर सेनिटाइजर से हाथ साफ कर वहां रखे एक बड़ेसे गुल्लक में खुद ही 1रु डालकर मेले से 13 प्रकार की सामग्री लेगें।
मुफ्त में नहीं 1रु में.........
सही में अदभूद व्यवस्था........मेले में गुल्लक.......
साधारणतौर पर गुल्लक बचत की ओर इशारा करता है। बच्चों में बचत की सीख गुल्लक के माध्यम् दी जाती हैं। जो आगे चल बैंक बनता हैं। गुल्लक में कहीं न कहीं भविष्य के संकट का हल छिपा रहता हैं।
कोबरा ग्रुप ने मेले में गुल्लक रख, शायद बचत सीख के साथ ही साथ मजेदार अनुभूती से लोगों का परिचय करवाया हैं। 1रु में 13 प्रकार की सामग्री दे दरिद्र परिवारों को खुशी भी दी हैं।
वैसे इस वर्ग (दरिद्र) का बचत से कोई लेना देना नहीं होता क्योंकि उनका वर्तमान बीमार (आर्थिक) रहता है। अतः भविष्य का क्या...........
खैर, कोबरा ग्रुप का यह सामूहिक कार्य रुपी आयोजन कई बातों की ओर संकेत करता हैं। जो गहन योग्य हैं..............