आदरणीय सीएम और पीएम-------

सहयोग भाव को संवेदना या सहानुभूति कह सकते हैं।यह एक प्रकार की अनुभूति है। यदि किसी प्रकार की संकटापन्न परिस्थिति में व्यक्ति फंस जाये तो हमें सहयोगिता का हाथ बढ़ाना चाहिए। संवेदना एक ऐसा गुण है जिससे समाज के प्रति, व्यक्ति के प्रति दायित्व-बोध का भाव पैदा होता हैं।समाजिक प्राणी होने के नाते हम प्रत्येक व्यक्ति का समाज के प्रति कर्तव्य होता हैं। यह कर्तव्य और दायित्व तब ज्यादा बढ़ जाता है जब हम समाज, राज्य और देश के उच्चपद पर हो।
बंगाल की सीएस (वर्तमान) कोरोना के इस महामारी के संकट में अपने दायित्व व कर्तव्य को बखूबी निभाने की कोशिश में नज़र आई।
लॉकडउन के दौरान,जब आम व खास लोग अपने-अपने घरों में थे, डरे थे तब एक मात्र उन्हें देखा गया, वो विभिन्न अस्पतालों में पहुँच गई। डॉक्टरों से मिली उनसे बातचीत की। डॉक्टरों से लेकर मरीजों तक की खबर ली। ऐसी परिस्थिती में उनके अस्पतालों में पहुँचने से किसी डाक्टर साहब नेकहा था- सीएस के आने से मरीजों में जोश पैदा हुआ हैं। वो बाजारों में भी पहुँच गई।वहां दुकानदारों व ग्राहकों से बात कर उनकी परेशानियों को सुन,हल निकालने की कोशिशें की। अपने हाथों में चोक लिये दुकान के सामने सामाजिक दूरी को बनाये रखने के लिए रास्ते में गोलाकार चिन्ह बनातीं नजर आई। राज्य के डॉक्टर, चिकित्सा विभाग के लोग, पुलिस, सफाई कर्मी आदि के साथ वो भी अकथ प्रयास करती नजर आई।
ऐसी है राज्य की सीएम........
दुसरी ओर आयरलैंड के पीएम.....।
 वे अपने पीएम के पद को एक ओर रख कोरोना संक्रमित मरिजों की देखभाल के लिये खुद आगे आये। सेवा के लिये।
कोरोना की इस लड़ाई में आयरलैंड की जो तस्वीर सामने आई हैं, सच में चौकाने वाली हैं।मरीजों के इलाज के लिये एक बार फिर वे (पीएम) डॉक्टर के रुप में उनके समक्ष आये। अपने कर्तव्य और दायित्व को निभाने की कोशिश में उन्होंने यह निर्णय लिया। जो सराहनिय है।
दरअसल, राजनीति में आने से पहले आयरलैंड के वर्तमान प्रधानमंत्री (पीएम) डॉक्टर रह चुके है। और कोरोना के इस बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उन्हें एक बार फिर से इस पेशे से जुड़ना पड़ा। जो काबिले तारीफ़ है।
ऐसे है देश के पीएम........
संवेदना बोध के भाव अपने दायित्व बोध का पालन कराता हैं......
यही इन्सानियत है.......