थाली का महत्व---------

थाली का संबंध भोजन से जुड़ा हैं। इस निर्जीव वस्तु का मोल सजीव मानव के लिए अनमोल हैं। यह कभी-कभी मानव पर भारी पड़ता हैं। थाली अपने महत्व की वास्तविकता को तब उजाकर करता है जब कोई, अपने घर
 बैठकर शान्ति से भोजन करता हैं। भोजन कैसा भी हो- शाकाहारी, मांसाहारी या किसी राज्य व समाज के अपने-अपने ढ़ग से बनाये भोजन थाली में ही करते है। और उसका लुफ्त उठाते है। वैसे पत्तल, कागज के प्लेट और भी कई तरह की चीजों से बनी थालियों में भी भोजन किया जाता हैं। परन्तु धातु (स्टील, पीतल आदि) की थाली में भोजन करने व कराने का महत्व अलग ही हैं।
बजारों में बना बनाया खाना मिलता हैं। थाली के पकवान के हिसाब से दुकानदार 50 रु.की थाली 100रु. की थाली आदि कितनी तरह की बेचते हैं। सरकार की ओर से तो बहुत ही कम में गरीबों के लिए थाली की व्यवस्था हैं। लोग इससे अपना काम चलाते हैं।
पहले लोग पीतल, कांसे की थाली में खाते व खिलाते थे ,जो शान माना जाता था। वैसे अब अधिकांश लोग स्टील की थाली ही पसंद करते हैं।
फिर कई लोग जिस थाली में खाते है उसी में छेद भी करते हैं। कहावत होने के बावजूद कहीं-कहीं यह सच सावित होता है।
भारत अर्थात् हमारे देश में कई अमीर वर्ग के लोग महमानों को सोने, चांदी की थाली में भोजन परोसते हैं। यह शॉही दर्जे की बात हैं।
दूसरी ओर इसी देश में  कईयों के पास थाली ही नहीं हैं। बड़े दुर्भाग्य की बात हैं। शायद इसीलिए वे न थाली की महिमा को समझते है और न ही महत्व को परन्तु भोजन व भूख उनके लिए मायने रखता हैं।
थाली का उपयोग हम पूजा में भी करते हैं। पूजा की थाली होती है, जिसमें पूजा की सामग्री रख भगवान् जी की पूजा करते हैं। आरती की भी थाली होती हैं, जिसमें आरती का सामान रख भगवान् जी की आरती उतारी जाती हैं
। इसके अलावा थाली के अनेक उपयोग है। जिसे समय-समय हम प्रयोग में लाते हैं।
महिने भर पहले टी.वी. समाचार के माध्यम् से देखा गया था विदेश में कहीं लोग अपने घरों की खिड़की, बालकनी व छत पर (चढ़कर) ताली (थाली नहीं) बजा रहे थे और फूल वर्षा रहे थे।पता चला कोरोना के इलाज में फंसे डॉक्टरस व नर्स जो अपने घर- परिवार से दूर थे और अब वे काफी दिनों बाद अपने-अपने घर को लौट रहे थे तो उनके स्वागत् के लिए वहां की जनता ऐसा कर रहे थे।
ताली बजाकर किसी का हौसला बढ़ाया जाता हैं, किसी को उत्साह दिया जाता है और फूलों से किसी का अभिनन्द किया जाता हैं।
भरत को यह तरीका भाया और उसने इसे अपनाया। अच्छी बात सीखने में कोई बुराई नहीं।
भरत सरकार के कहे अनुसार समस्त देशवासी ने भी लाकडाउन के दौरान अपने-अपने घरों में रह कर ताली बजाई, फूल बरसाऐं साथ ही साथ थाली,शंख और घंटी भी बजाई। जिससे उत्साह और स्वागत में चार चांद लग गये। समस्त भारतवासियों ने इसमें काफी रुची दिखाई।
इसके बाद आया दीये जलाने का कर्यक्रम (प्रोग्राम) ।इसमें भी सबों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और अपने-अपने घरों में रह कर समाजिक दूरी को मानते हुये दीये जलाये। इसमें हमें आस्था व विश्वास दिखा।
भरतीयों ने पहले थाली बजाकर उत्साह दिया, फिर दिये जलाकर कोरोना रुपी अंधकार को दूर करने की कोशिश की। सबों ने सरकार के इस फैसले का तहदिल से स्वागत किया।
अब सवाल उठता है थाली (थाली बजाने का) का इस्तमाल लॉकडाउन के दौरान हम सबों के पक्ष में रहा या किसी वर्ग के विपक्ष में भी......
दरसल, ऑनलाइन सामान की बिक्री की छूट दिये जाने से देश (भारत) भर के खुदरा व्यापारी नाराज हुये।उनका कहना है, यह देश के खुजरा व्यापारीके खिलाफ एक साजिस है। लॉकडाउन को सफल बनाने में देश व राष्ट्र के
खुदरा व्यापारी का अहम योगदान रहा हैं। अपने व्यापार में नुकसान (बंद के दौरान) होने के बावजूद जरुरतमंदों को सहायता में पूरा योगदान दिया है। इस संकट की घड़ी में व्यापारी भी देश के लोगों को भोजन व रुपये से सहयोग करते रहे हैं। हमने सरकार के हर फैसले का साथ दिया, हर अपील का सम्मान के साथ स्वागत किया । फिर ई-कॉमर्स कंपनियों अर्थात्वि देशी स्वामित्व वाली कंपनियों को ऑनलाइन सामान बेचने में क्यों छूट दी
गई.......जबकि व्यापार में नुकसान झेल रहे देश के खुदरा, थोक, छोटे व मध्यम व्यापारियों के हित की चिंता न कर , उनके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा हैं।
अतः इस फैसले से दुःखी हो इसके खिलाफ व्यापारियों ने फैसला लिया है कि घर में रहकर सामाजिक दूरियों का पालन करते हुए पहले की ही तरह थाली, शंख और घंटी बजाकर इसका विरोध करेगें। अगर थाली बजाकरलॉकडाउन को सफल बना सकते है तो फिर वही थाली बजाकर अपने हितों की अनदेखी करने वाली सरकार के विरोध देश भर के खुदरा व्यापारी प्रदर्शन करेगें।
व्यापारी के इस एलान के तुरंत बाद सरकार ने थाली के सामने घुटने टेक दिये और यू-टर्न ले लिया।
सरकार की ओर से चार दिन पहले ही ई-कॉमर्स कंपनियों को ऑनलाइन कई सामान बेचने की अनुमति दे दी गई थी लेकिन अब थाली के विरोध प्रदर्शन के चलते इस छूट को वापस ले लिया गया हैं।
ये सब थाली की ही महीमा है। इसका बड़ा महत्व है।
इससे अर्थात् थाली से कई बातें जुड़ी हैं- भोजन, भूख, दोस्ती-दुश्मनी, पुजा-पाठ, दिखावा, शाही अंदाज, रोजगार,स्वागत्, प्रोत्साह, प्रेरणा, साथ, आस्था, विश्वास, परख, विरोध, प्रदर्शन आदि इस तरह की तमाम बातें, इस
निर्जीव थाली से जुड़ी हैं। अतः कभी-कभी इसके महिमा और महत्व को समझना जरा भारी पड़ जाता हैं................।