बीसीजी का टीका-------

दुनियां में सबसे पहले बीसीजी के टीके का इस्तमाल 1920 में हुआ था। जो टीवी और सांस से जुड़ी समस्याओं को रोकने के लिये दिया जाता हैं। यह टीका जन्म के तुरन्त बाद नवजात शिशुओं को दिया जाता हैं।
अपने देश में अर्थात भारत में 72 साल से जिस टीके (बीसीजी)का इस्तेमाल हो रहा हैं, उसे दुनिया अब कोरोना से लड़ने में मददगार मान रही है।
कोरोना वायरस को रोकने के लिए वैज्ञानिकों को इस टीके से नई उम्मीदें जगी हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि, बीसीजी वैक्सीनेशन से वायरल इन्फेक्शन से लड़ने में मदद मिलती हैं। अतः इससे यह आशा लगाई जा रही है कि
कोरोना से जुड़े मामलों में यह वैक्सीनेशन एक बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। क्योंकि वैज्ञानिकों ने पाया हैं कि दुनिया के जिन देशों में इस टीके का प्रयोग होता हैं वहां कोरोना का प्रकोप कम पाया गया हैं।मौतें कम पायी गई हैं। वैसे मौसम की बात भी हैं। वैज्ञानिक इस टीके से उम्मीद लगाये अपने अनुसंधान को आगे ले जा रहे हैं।अगर वैज्ञानिक इस टीके से कुछ हल निकाल पाये तो दुनिया इस महामारीको मात दे देगी।
एक भगवान से दुआ मागते है और दुसरे भगवान से उम्मीद लगाते हैं।