उठक-बैठक------

पूरे देश में लॉकडाउन को न मानने वाले को सजा या जुर्माने के तौर पर प्रसाशन की ओर से कई व्यवस्थाऐं ली गई हैं। जो लॉकडाउन का उल्लंघन  कर रहे हैं उनमें कईयों को उठक-बैठक के तौर पर सजा दी जा रही हैं।
इस दौरान साधारण तौर पर पुरुषों को ही उठक-बैठक लगाते देखा गया हैं।
परन्तु, भीलवाड़ा जिले में करीबन एक दर्जन महिलाओं को उठक-बैठक लगवाने की खबर मिली हैं। इसलॉकडाउन के दौरान......जिनमें कई उम्र की महिलाओं के साथ-साथ बुजुर्ग महिलाऐं भी शामिल हैं......
भीलवाड़ा के तीखी वनखंड़ में चुल्हा जलाने के लिये महिलाऐं लकड़ियां लेने आई थी। वहां के वनकर्मी ने उन्हें रोक लिया तथा उनसे उठक-बैठक लगवाई। घटना 16 अप्रैल 2020 की हैं........।
समझ नहीं आता ये लोग सरकारी योजनाओं का लाभ क्यों नहीं उठाते। हमारी केन्द्र सरकार ने 1 मई 2016 में उज्जवल योजना शुरु की थी जिसके तहत अत्यन्त गरीब परिवार की करीब 5 करोड़ महिलाओं को मुफ्त में एल.पी.जी. गैस सिलेंडर कनेक्शन दिया गया था।
हमारी सरकार ने स्वच्छ ईंधन,बेहतर व सुविधाजनक जीवन को ध्यान में रखते हुए इस योजना को चालू किया था। इस योजना में काफी पूंजी व मेहनत लगाई गई थी। ताकि गरीब व ग्रामीण क्षेत्रिय भारत की महिलाओं को मदद मिल सके। साथ ही सरकार की ओर से इन बातों पर भी ध्यान रखा  गया कि स्वस्थ्य से संबंधीत विकार, वायु प्रदूषण एवं वन व परिवरण की कम कटाई पर मदद मिलेगी।
सरकार की इस योजना का समर्थन करते हुए देश के करीब 70-75 लाख निम्न व मध्यम् वर्ग के लोगों ने स्वेच्छा से अपने रसोई गैस (सिलेंडर) सबसिडी को छोड़ दिया। ताकि सरकार और चुल्हें में रसोई बनाने वाली महिलाओं को 
मदद मिल सके। परन्तु इन 4-5 सालों में अत्यन्त गरीब व ग्रामीण महिलाओं को इसकी उपयोगीता समझ नहीं आई। इसीलिये एक बार गैस सिलेंडर लेने के पश्चात् इन्होंने दोबारा नहीं भरवाया। ऐसा आकड़ा कहते हैं......
उन महिलाओं ने दोबारा नहीं भरवाया, शायद इसके दो कारण हो सकते हैं।
1)आदत से मजबूर .......व 
2)आर्थिक परेशानी......
चुल्हें में खाना पकाने की आदत व तौर तरिके उन्हें ठीक और सस्ते लगते
 होगें......
दूसरे परिवार की कमाई तथा आर्थिक परिस्थिति ऐसी न होगी कि इकट्ठे और इतने अधिक खर्च कर गैस भरवा सके। क्षमता नहीं होगी हर महिने सिलेंडर भरवा ने का खर्च उठा सके। अतः उन्हें लगा होगा सिलेंडर से हमारा चुल्हा ही ठीक हैं। यही सस्ता पड़ता हैं। इतनी कमाई नहीं कि हर महिनें इतना पैसा लगाकर गैस सिलेंडर भरवाऐं........
यही कारण रहा होगा कि भीलवाड़ा के तीखी वन विभाग क्षेत्र में अत्यन्त गरीब ग्रामीण बुजुर्ग महिलाऐं समेत करीब एक दर्जन महिलाओं ने लॉकडाउन के दौरान सजा के तौर पर उठक-बैठक लगाई.........
महिलाओं के द्वारा चुल्हें जलाने के लिए लकड़ियों का लाने जाना व सजा के तौर पर उठक-बैठक लगाने की घटना से ऐसा समझ आता हैं हमारी केन्द्र सरकार की उज्जवल योजना के पिछे की मेहनत और पूंजी सारी बेकार चली
गई।