प्रशिक्षण कैलेंडर-------

वैज्ञानिक युग से पहले मनुष्य पूर्णरुप से प्रकृति पर निर्भर था। पर इस वैज्ञानिक युग ने मनुष्य को अनेकों भौतिक सुख-सुविधाओं से जोड़ दिया हैं। जिससे मानव समाज को कई सुविधा हुई, पर साथ ही कई असुविधाऐं भी।
वैसे फायदा और नुकसान हम मानव पर निर्भर हैं। इस सदी में विज्ञान की आँधी ने हमें इंटरनेट तक पहुँचा दिया हैं। घर बैठे पूरी दूनियां मुट्ठी में आ गई है।इसे इस्तमाल कर घर बैठे देश- विदेश की हर छोटी-बड़ी जानकारी हम मिनटों में ले सकते है।
व्यापार, मनोरंजन, शिक्षा, रोजगार, टाईमपास, रिश्ता, स्वास्थ्य आदि अनेक क्षेत्रों में इंटरनेट का बड़ा योगदान हैं। हमने कभी सोचा नहीं था, हमारी जरुरत की हर चीज आसानी से घर बैठे हमें  प्राप्त हो जायेगी।
सभी जानते हैं इन दिनों कोरोना के चलते दूनियां भर में लॉकडाउन चल रहा हैं। हर क्षेत्र में तालाबंदी हैं। अतः शिक्षा क्षेत्र भी बंद हैं। जो जीवन के लिएअत्यन्त आवश्यक है। शिक्षा के बिना मानव जीवन  में अंधेरा ही अंधेरा हैं।
किसी कृतिम प्रकाश से प्रकाशमय नहीं किया जा सकता।
हमारी सरकार ने इसे बढ़ी गंभीरता से लिया हैं और इस तरफ ध्यान दिया हैं। सरकार ने अहम कदम उठायें हैं जिसमें विज्ञान का कोई तोड़ नहीं। इसी के सहयोग से आज घर बैठे बच्चे अपनी पढ़ाई कर पा रहे हैं।
इंटरनेट का इस्तमाल कर सोशल मिडिया के जरिये पढ़ाया जा रहा हैं।
शिक्षा की ओर ध्यान देते हुये सरकार ने एक कैलेंडर जारी किया हैं। इस कैलेंडर को बच्चों यानि विद्यार्थिओं, शिक्षकों व अभिभावकों की सहमती तथा सहयोग से बनाया गया हैं, ताकि बच्चे नियमानुसार पूर्णरुप से आनंदपूर्वक अपने-अपने घर बैठ शिक्षा ग्रहण कर सके।
इस कैलेंडर में दो वर्ग  के विद्यार्थियों की पढ़ाई पर ध्यान रखा गया हैं। एक तो वे जिन्हें इंटरनेट की सुविधा हैं और वे सोशल मिडिया का उपयोग करतेहो तथा दूसरे वे जो इसका उपयोग न करते हो या कोई सुविधा न हो। परन्तु
इस कैलेंडर के माध्यम् से शिक्षकगण दोनों वर्ग के बच्चों को पढ़ा पायेगें।
बहुत ही स्मार्ट कोशिश हैं..........
जिनके पास सोशल मिडिया की व्यवस्था हैं, उन्हें शिक्षक इसका प्रयोग कर अभिभावक की देखरेख में व्हाट्सएप,फेसबुक,टि्वटर, टेलिग्राम,गूगल मेल आदि से जुड़ कर पढ़ा सकेगें। और दूसरे वर्ग के वे बच्चे जो सोशल मिडिया का प्रयोग नहीं करते उनके लिए इस कैलेंडर में दिशानिर्देश दिया गया हैं कि शिक्षक,विद्यार्थियों को फोन कर या मेसेज(एस.एम.एस.) भेजकर उनकी पढाई जारी रख सकेगें।
ऐसा कभी सोचा ही नहीं था, अभिभावकों ने......क्योंकि उनके अब तक की जिदंगी में उन्होंने कभी यह दौर देखा ही नहीं .......
वैसे इस तरह के शिक्षा का आनंद बच्चों के साथ-साथ शिक्षक व अभिभावक भी ले रहे हैं।
सबों में अदभूत् ऊजा हैं............