पर्व -ःबुद्ध पूर्णिमा---------

ब्यूटीलेख की ओर से समस्त विश्व के बौद्ध धर्मावलंबियों को बुद्ध पूर्णिमा के त्यौहार की शुभकामनाऐं............
एक साल में बारह महिनें होते हैं और प्रत्येक महीने में एक अमावस्या व एक पू्र्णिमा आता है।अमावस्या के15 दिन बाद पूर्णिमा फिर पूर्णिमा के 15 दिन बाद अमावस्या। इसी क्रम में हर माह एक अमावस्या औक एक पू्र्णिमा आता रहता हैं। हिन्दु शास्त्रों के अनुसार दोनों के ही अलग-अलग महत्व हैं........
चूंकि आज पू्र्णिमा है अतः इस दिन चाँद पूर्ण गोलाकार और उज्जवल दिखाई देता है। इस दिन चाँद का प्रकाश रात में चारों ओर ऐसे फैलता हैं मानों किसी ने रोशनी जला रखी हो। रात का अंधेरा कही गुम हो जाता हैं।
हिन्दुमतानुसार हर माह के पू्र्णिमा का विशेष महत्व हैं अतः हर पूर्णिमा का दिन शुभ माना जाता हैं। कई घरों में इस दिन सत्यनारायण की पूजा-अर्चना,व्रत-कथा आदि की जाती हैं। गरीबों व ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दी जाती हैं। ऐसा करने से जीवन में सुख-शान्ति, स्मृद्धि, यश, वैभव बढ़ता हैं।
साल के हर पू्र्णिमा में कई विशेष दिन का संयोग है। जैसे-राखी पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा, बुद्ध पू्र्णिमा आदि.....
बैसाख (मई) माह में जो पूर्णिमा पड़ता है वह बुद्ध पू्र्णिमा कहलाता है।
बौद्ध धर्म के अनुयायियों का यह सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दिन उनके भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। सिर्फ जन्म ही नहीं इस दिन उन्हें जीवन सत्य के ज्ञान की प्रप्ति भी हुई थी तथा साथ ही परिनिर्वाण हुआ था। अर्थात्
बैशाख पूर्णिमा में संयोगवश विशेष तीन घटनाऐं घटी थी....1) भगवान् बुद्ध का जन्म हुआ....2)सत्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और....3)इसी दिन उन्होंने अपना देह त्याग दिया था।
 इसीलिए इस दिन को पर्व के रुप में मनाया जाता है......
करीब 563 ईसा पूर्व एक बैसाख माह की पूर्णिमा में अलौकिक,असाधारणजीवात्मा शिशु का जन्म हुआ। उनका नाम सिद्धार्थ रखा गया बाद में वे गौतम और बुद्ध के नाम से जानें, जाने लगे........।
पिता राजा शुद्धोधन व माता महारानी  मायादेवी थी।
माता-पिता, राजमहल, राज्यवासी आदि सभी शिशु के जन्म की आस लगाए बैठे थे और वह दिन आया जब शिशु के रुप में भगवान बुद्ध ने जन्म लिया। जन्म होते ही सबों के मन में खुशीयों का माहौल सा बन गया। सबों की आश, इच्छा पूरी हुई। इच्छा यानि सिद्धी अर्थात् मन की इच्छा पूर्ण होना, इसलिए शिशु का नाम सिद्धार्थ रखा गया......। इनका जन्म जिस कुल में हुआ उस कुल का गौत्र गौतम था। अतः वे गौतम के नाम से भी जाने, जाने लगे........। कठीन तपस्या के पश्चात् ,कई सालों बाद उन्हें जीवन सत्य के ज्ञान की प्रप्ति हुई। ज्ञान यानि बोध। और तब से वे बुद्ध कहलाये..........।
इस तरह विश्व-संसार उन्हें इन तीन नामों से जानते हैं........।
इनके जन्म के बाद किसा ऋषिमुनी ने इनकी भविष्यवाणी की थी कि यह शिशु आगे चल कर सम्राट बनेगा या आध्यात्मिक पथ प्रदर्शक........
पिता अपने शिशु को आगे चल कर सम्राट बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने उसे संसार के समस्त सुखों से घेरे रखा और दुःखों को स्पर्श नहीं करने दिया।
इस तरह शिशु सिद्धार्थ धिरे-धिरे किशोर हुये फिर युवा। युवा अवस्था में उनका विवाह करवा दिया गया। उन्हें राहुल नामक एक पुत्र की प्रप्ति भी हुई परन्तु उन्हें सपनों में संसार के दुःख, कष्ट दिखने लगे। उनके रातों की नींद उड़ गई। उन्हें अपने सपनों का कारण समझ नहीं आ रहा था। वे विचलित रहने लगे।
और एक दिन आया जब वे अपने साथी के साथ नगर घुमने निकले। नगर में घुमने के दौरान उन्हें कुछ दृश्य देखने को मिले। जो संसार का सत्य था। इन वास्तविकता से वे अपरिचित थे। उन्होंने एक रोगी को देखा, फिर एकवृद्ध और बाद में एक मुर्दे को सामने से जाते हुए देखा, जिसे लोग शमशान ले जा रहे थे।
सुख-ऐश्वर्य में पले सिद्धार्थ मन यह देख व्यथा से भर गया।
इसके बाद उन्होंने, नगर में संन्यासियों को घुमते देखा। वे आश्चर्य-चकित थे। उनके भाव देख मित्र ने बताया-जीवन में रोग होते रहते हैं, वृद्धाअवस्था आती हैं और एक दिन यह जीवन खत्म हो जाता हैं.....इसलिए ये संन्यासी जीवन के मर्म को समझने का प्रयास करते हुए मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
सारी बातें देख-सुन उनका मन झकझोर सा गया और उनके मन में तीव्र वैराग्य पैदा हुआ।
करीब 29 वर्ष की उम्र में एक रात को वे अपनी पत्नी, पुत्र व घर छोड़ चले गये। सिद्धार्थ ने संन्यास ग्रहण किया ततपश्चात् एक पीपल के वृक्ष के निचे बैठ कई सालों तक कठोर तपस्या की। कई वर्षो बाद उन्होंने अपनी आँखे खोली, भगवान् बुद्ध बनकर। उन्हें सत्य ज्ञान की प्राप्ति हुई।
इसके बाद उन्होंने मानव जीवन को कल्याण हेतु उपदेश दिये।अपने उपदेशों के माध्यम से लोगों को उनके जीवन के सत्य से परिचय करवाया.....सांसारिक दुःखों के कारणों का विशलेषण किया......मानव मन में चेतना
जाग्रत की.......
इसलिए बोध धर्मावलंबियों के साथ-साथ समस्त देश बुद्ध पूर्णिमा के दिन को शुभ दिन मानते हुए विशेष महत्व देता हैं।
यह दिन मानव कल्याण व उदारता का प्रतिक भी हैं................