बंदों के मालिक----------

कहते हैं ऊपर वाला सबका मालिक है। परन्तु वर्तमान समय में लाकडाऊन की ऐसी परिस्थिति में 10 लाचार मजदूरों के मालिक ऊपरवाला नहीं बल्कि दिल्ली के कृषक भाई है।
दिल्ली के पास ही किसी गांव में 1993 से ये कृषि भाई मशरूम की खेती करते आए हैं। और उनके खेत में मजदूरी के तौर पर बिहार के 10 मजदूर पिछले 20सालों से काम करते आए हैं।
मशरूम की खेती अगस्त से मार्च तक का यह आठ महीना होता है।
खेत में काम करने वाले ये बिहार के मजदूर, पिछले 20 सालों से आठ महीने यहां रह कर मशरूम की खेती में काम करते हैं। और आठ महीने बाद वापस अपने गांव चले जाते हैं। फिर अगले अगस्त के पहले गांव से यहां खेत में काम करने आते हैं। यही सिलसिला सालों से चलता आ रहा है।
मालिक अगर अपने कर्मियों, मजदूरों का ख्याल न रखें तो कौन रखेगा? एक अच्छा और सच्चा मालिक हमेशा अच्छे व बूरे वक्त पर अपने मजदूर भाईयों का ख्याल रखता है। तभी उसकी उन्नति होती है। उसे इज्जत वह मान मिलता है।
इस साल यानी 2020 के मार्च महीने में खेत का काम पूरा कर 10 मजदूर अपने घर गांव जाने की तैयारी कर रहे थे कि अचानक बिना संदेश हमारी सरकार ने पूरे देश में लाकडाउन जारी कर दिया।
और ये बिहार के 10 मजदूर दिल्ली के उसी गांव में फंसे गये। जैसे पूरे देश भर में सब फंस गए।
जब से लाकडाउन हुआ तब से हजारों की संख्या में लोग परेशान घरों के बाहर फंस गए। लोगों ने सोचा 10-15 दिनों में सब सामान्य हो जायेगा। और विभिन्न राज्यों, शहरों में फंसे साधारण लोग, बिमार लोग(जो इलाज के लिए दूसरी जगह गये हो ), अमीर लोग, गरीब मजदूर अपने अपने घरों में पहुंच जायेंगे। इसीलिए सबों ने प्रशासन के कहे अनुसार उनका अनुसरण भी किया। पर लाकडाउन क्रमशः आगे बढ़ता चला गया।
पिछले दो माह से जो बाहर फंसे थे वे सब परेशान हो गए। लेकिन सबसे ज्यादा परेशान प्रवासी भारतीय मजदूर हुए। जिनके कष्टों और दर्दों को हमने घर बैठे महसूस किया। विचलित करने वाले दृश्य देखने को मिले। आजादी के पहले वाले बुजुर्गो का कहना है कि देश बंटवारे के वक्त भी ऐसा दृश्य हमने नहीं देखा। आजादी के बाद पहली बार ऐसे दृश्यों को देख हृदय कांप उठता है। जरा सी एक गलती से देश में समस्या पैदा हो गई। ऊपरी पद वालों को दर्द नहीं होता न ही ऐसे दृश्यों से विचलित होते हैं।
हमारी सरकार के साथ ही साथ अनेक ऐसी संस्थाएं व मालिक है जो अपने-अपने मजदूर भाईयों को सहारा नहीं दिया। उनकी हिफाजत नहीं कर सकी और उन्हें ऐसे ही छोड़ दिया।
लेकिन इन परिस्थितियों में मसरूम खेत के मालिक की बात सामने आई है। उनका बड़प्पन सबों के सामने आया है। जिन्होंने वह कर दिखाया जो औरों को भी करना चाहिए था। हालांकि इनके मजदूरों की संख्या कम थी। फिर भी हैसियत अनुसार मानवता दिखाई।
अचानक लाकडाउन होने की वजह से मसरुम खेती वाले 10 मजदूर अपने गांव न जा पाये तो उनके कृषक मालिक ने उन्हें निकाल नहीं दिया बल्कि उनके रहने व खाने की पूरी व्यवस्था की। और जब ट्रेनें चलनी शुरू हुई तो मजदूरों को ट्रेनों से भेजने की कोशिश की। परन्तु टिकटों की व्यवस्था नहीं हो पाई।
मालिक चाहते थे उनके मजदूर भाई किसी भी तरह सही सलामत अपने घर पहुंच जाए।
एक ओर उनकी देखभाल दूसरी ओर उन्हें उनके घर तक पहुंचाने की कोशिश।
इस बीच फिर पता चला हवाई जहाज चालू की गई। तब तुरंत मसरुम मालिक कृषक भाईयों ने अपने खुद के खर्च से उन सबों के टिकट की व्यवस्था की।
उन 10 मजदूर भाईयों को हवाई जहाज की टिकट मिली।
मालिक भाईयों ने उन्हें नगद तीन-तीन हजार कैश दिया और टिकट। उन्होंने मजदूर भाईयों को हवाई जहाज के सफ़र के बारे में ठीक से जानकारी दी। क्योंकि वे लोग पहली बार यह सफ़र कर रहे थे।
उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि यह सफ़र वे कभी करेंगे। आसमान की ऊंचाइयों पर आवाज करते हुए जाते देखा था पर उसमें चढ़ने का कभी सोचा नहीं था। परन्तु आज मालिक के चलते उन्हें यह यात्रा करने का मौका मिला। इससे वे काफी खुश थे। पर घबराए हुए भी थे। पर पहली यात्रा थी इसीलिए वहां अन्दर कैसे जाना है, चढ़ना कैसे हैं, बैठना, किससे करता कहना है, बगैरे- बगैरे......
दिल्ली एअरपोर्ट पहुंचने पर सब उन्हें देख रहे थे। उनका कहना है- हमने अच्छे कपड़े नहीं पहने थे, अच्छे जूते नहीं पहन रखे थे, सामान के तौर पर हमारे पास थैले थे। सब लोगों के बीच हम अजीब लग रहे थे। इसलिए अजीब महसूस कर रहे थे।
खैर, जो भी हो वहां के विमान कर्मी ने उन्हें से सहायता की।और विमान में सवार हो वे अपने गांव घर की ओर चल दिए।
महरुम किसान मालिक भाईयों का कहना था कि हम उनको लेकर बहुत चिंतित थे। वे सभी सही सलामत अपने गांव कैसे पहुंचेगें, इतने दिनों इसी चिंता में थे। आज अच्छा लग रहा है उन्हें उनके गांव रवाना कर।
इधर जाते वक्त 10 मजदूर भाईयों ने अपने मालिकों का तहदिल से शुक्रिया अदा किया।
काश, ऐसे किसान मालिक भाई सब मजदूर भाईयों को मिलता तो विचलित करने वाले दृश्य हमारे सामने न आते। ऐसे मालिक हर किसी को मिले।
अतः में हम यही कह सकते हैं, दूसरे मालिक इनसे कुछ सिख। चाहे वे देश के मालिक हो या फिर किसी संस्था के.............।
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