C/o फुटपाथ---------

68% अंक प्राप्त करने वाली एक होनहार छात्रा का ठिकाना (पता) c/o फुटपाथ है।
यह बात मीडिया के माध्यम से हमें पता चला।
विद्यार्थी जीवन हमारे जीवन की नींव है। जीवन के इस समय का बहुत महत्व है। जिस मकान की नींव जितनी ठोस और मजबूत होगी वह मकान उतना ही टीकाएं होगा। अर्थात विद्यार्थी जीवन अगर ठीक होता है तो उसका भावी जीवन उतना ही सुखद और सम्मानिय होगा। विद्यार्थी जीवन, अपने को तैयार करने का समय माना जाता है। इसलिए किसी विद्वान ने अच्छे विद्यार्थी के गुणों की तुलना करते हुए कहा था- एक अच्छे विद्यार्थी को कौए के समान सजक, बगुले के समान एकाग्रचित्त और कुत्ते के समान नींद वाला होना चाहिए। यानी उसे सजक, एकाग्रचित्त और हल्के नींद वाला होना चाहिए।
विद्यार्थी देश का भावी कर्णधार है। माता-पिता, परिवार, समाज, राज्य व देश का गर्व उस पर निर्भर करता है।
2020 के 10वीं की बोर्ड परिक्षा में 68% अंक प्राप्त कर, मध्यप्रदेश के इंदौर के फुटपाथ पर रहने वाली एक होनहार छात्रा ने यह कर दिखाया है। सुनने वालों को आश्चर्य होने के साथ ही गर्व भी महसूस हो रहा है।
खुद शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ दूसरों को भी उसने संदेश (शिक्षा) दिया है।
यह छात्रा बेघर परिवार की बेटी है। उसके दो छोटे भाई है। पिता ठेला चलाते हैं और मां लोगों के घरों में झाड़ू-पौछा का काम करती है।
मजदूर पिता और नौकरानी मां की बेटी होने के बावजूद उसमें आत्मविश्वास भरा है। वह कठिन परिश्रम को अपना दोस्त मान चुकी है।
5 सदस्यों वाला यह परिवार इंदौर के किसी फुटपाथ पर रहता हैं। और वही फुटपाथ पर रहकर इस परिवार की बेटी ने न सिर्फ अपनी पढ़ाई जारी रखी बल्कि 10वीं बोर्ड परिक्षा में अच्छे अंक भी प्राप्त किए।
एक विद्यार्थी के दिमाग और स्वास्थ्य के लिए अच्छा खान-पान होना चाहिए। पढ़ाई के लिए प्रतिकुल वातावरण होना चाहिए। परन्तु इस छात्रा को ऐसा कुछ नसिब न हुआ। वह इन सब से संचित रही। फिर भी उसने विद्वान के कहे शब्दों को सच साबित कर दिखाया।
मीडिया के माध्यम से जब, निगम के आयुक्त को इस छात्रा और उसके परिवार के संघर्ष के बारे में पता चला तो उन्हें उस पर गर्व हुआ और वो उससे मिलने गई। छात्रा के आत्मविश्वास से वह अचंभित थी। उन्होंने उसके रिजल्ट व संघर्ष की सराहना करते हुए उसके परिवार के लिए एक फ्लैट आवंटित कर दिया। बेघर परिवार को रहने के लिए एक घर मिला।
वैसे तो सरकारी योजनाओं में लोगों को घर मुहैया करवाया जाता है। पर हर बेघर को यह सुविधा नहीं मिल पाता।
बेघर से सरकारी घर तक के आने के रास्ते में अनेकों नियम, कायदे, कानून, पत्थर-कंकड, उतार-चढ़ाव आते हैं। लेकिन इस छात्रा ने अपने संघर्ष व कामयाबी से इन तमाम बाधाओं को ध्वस्त कर अपने रहने का ठिकाना बदल लिया। 68% अंक ने उसका पता बदल दिया।
होनहार छात्रा की कहानी शिक्षा के मौल का महत्व बया करती है। कम से कम उसके दो छोटे भाई शिक्षा के महत्व को समझ पाएंगे। तथा अपनी दीदी के पद चिन्हों पर चलेंगे।
आज उनके घर का पता c/oफुटपाथ नहीं बल्कि भूरी टेकरी, सी-307 इंदौर है...........।
कारण जो भी हो ,निगम के आयुक्त के इस मदद की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। क्योंकि समाज और विद्यार्थीयों के लिए उन्होंने कामयाबी का रास्ता जो खोल दिया............।
धन्यवाद...........।











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