धोखेबाज-----------

समाज के अनेक सामाजिक तथा असमाजिक तत्वों व किस्सों से हमारा अदालत भरा पड़ा हैं।
वकील साहबों के पास इसी समाज से नये-नये कैश आते रहते हैं। कुछ उलझे हुए, चौंकाने वाले, अविश्वनीय, अमानवीय और न जाने कैसे-कैसे कैश आते हैं। कई बार कैश हिस्ट्री सुन कर वकील भी भौंचक्के से रह जाते हैं। 
किसी वरिष्ठ महिला वकील साहिबा से एक कैश जानने का मौका मिला था। किस्से की जानकारी के साथ ही अपने कानून के बारे में भी कुछ जानने की जानकारी मिली। 
कुल मिलाकर मामला काफी इंटरेस्टींग था.....।
अपना कानून क्या कहता है उसकी थोड़ी बहुत जानकारी होना जरूरी है। 
कहते है कानून के हाथ काफी लम्बे होते है। इसमें बहुत दांव-पेंच भी होते हैं। परन्तु यहां आये किस्सों के हीरों-हीरोईनें कुछ कम नहीं वे भी नये-नये दांव चलते हुए यहां तक पहुंचते हैं। नई-नई रचनाएं रच डालते हैं। उन्हीं रचनाओं के एक किस्से की जानकारी मिली। जिसे साझा किए बिना रहा नहीं जा रहा।
वरिष्ठ महिला वकील से जिस किस्से के बारे में पता चला वह एक धोखेबाज व्यक्ति का है।
किसी दक्षिण-भारतिय सरकारी कर्मचारी की शादी 45वर्ष पहले अपने ही समाज की एक लड़की से हुई थी। शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए। 5-7 साल सब कुछ ठीक रहा। पर उसके बाद ऐसा कुछ हुआ कि दोनों का आपसी सहमति से तलाक हो गया। 
बात शायद विशेष सुख के तलाश की थी......।
तलाक़ के साल भर बाद ही उस सरकारी कर्मचारी ने दोबारा अपने ही समाज की दूसरी लड़की से शादी कर ली। हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार। यहां भी उसके दो बच्चे हुए।
 परन्तु दूसरा बच्चा होने के बाद से ही वह व्यक्ति किसी भी तरह परिवार का ख्याल नहीं रखता था।
आर्थिक दिक्कतों के चलते दूसरी पत्नी को अपने स्थानिय कोर्ट यानी अदालत में मामला करना पड़ा। 
अपने और दोनों बच्चों के भरण-पोषण के लिए।
भरण-पोषण के मामले में उस व्यक्ति ने अदालत से कहा यह मेरी पत्नी नहीं है। अतः ये मेरी जिम्मेदारी नहीं। और मैं इसे भरण-पोषण का खर्च नहीं दूंगा।
कैश अदालत में चलता रहा।
उसी बीच करीब दो साल बाद उस व्यक्ति ने फिर अपनी पहली तलाकशुदा पत्नी से दोबारा शादी कर ली। रजिस्टर्ड मैरेज। और इस बात को छुपाये रखा।
जब व्यक्ति की उम्र 50वर्ष हुई तब उसने प्लानिंग कर बी.आर.एस. रिटायरमेंट ले लिया। पर इसके कुछ समय बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। 
उसे न ईश्वर सजा दे पाई और न ही कानून.....।
दो पत्नि तथा उनके चार बच्चों की जिंदगी के साथ धोखे का खेल खेलता हुआ खुद दूनिया से चला गया परन्तु उन सबों को समस्या में डाल गया। एक बार भी उसने इन जिंदगियों के बारे में नहीं सोचा। जीते जी समाजिक और आर्थिक परेशानी दी और मरने के बाद कानूनी। उसने सिर्फ अपने आर्थिक तथा शारीरिक सुख के बारे में ही सोचा। 
उस इंसान को अपनी सरकारी नौकरी का जरा भी डर नहीं था या शायद इसी सरकारी नौकरी को उसने अपना हथियार बना रखा था।
अधिकतर लोग सरकारी नौकरी को ज्यादा महत्व देते हैं कारण इसमें सुविधा के साथ ही सिक्योरिटी भी है। रिटायरमेंट के बाद बुढ़ापा, पेंशन के जरिए आराम से कटता है। आजीवन पेंशन मिलता रहता है। दुनिया में उसके न होने के बाद भी परिवार (पत्नी) को पेंशन मिलता है। 
लेकिन इस धोखेबाज व्यक्ति ने अपने आफिस के नौकरी विभाग में अधिकार (पेंशन) के तौर पर किसी दावेदार का नाम नहीं दे रखा था।
उसके मौत के बाद पेंशन की बात सामने आई। और यह पैचीदा कैश बना।
चूंकि वह व्यक्ति सरकारी कर्मचारी था अतः उसके मौत के बाद उसकी पत्नी का नियमानुसार फैमिली पेंशन बनता है पर उस कोलम में किसी का नाम नहीं था।
मौत के बाद इस व्यक्ति के पेंशन के लिए दो महिलाएं सामने आई और दोनों ने ही फैमिली पेंशन का दावा किया।
पहली महिला पत्नी का कहना था कि आपसी सहमति से हुए तलाक की कापियां उसके पास है तथा दोबारा शादी की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी उसके पास है। इसलिए फैमिली पेंशन मुझे मिलना चाहिए। 
दूसरी महिला पत्नी का दावा था कि वो मृतक की शादीशुदा पत्नी है तथा उनके दो बच्चों की मां भी है। अतः विधवा फैमिली पेंशन मुझे मिलना चाहिए। 
दोनों महिलाओं की दलीलें सुनने के बाद सरकारी कर्मचारी के विभागिय आदेशानुसार दूसरी पत्नी को ग़लत कहा गया और उन्हें फैशन न देने का फैसला लिया गया।
ऐसे में दूसरी पत्नी ने फैमिली कोर्ट में आवेदन किया। लेकिन फैमिली कोर्ट में भी उसे गलत कह पेंशन न देने को कहा। 
इस पर वह महिला हाईकोर्ट में अपील की। यहां उसके सारे पेपर्स, प्रमाणपत्र देखें गये। तत्पश्चात् हाईकोर्ट ने फैसला लिया और कहा- फैमिली कोर्ट का आदेश गलत है। क्योंकि दूसरी महिला पत्नी के भरण-पोषण का कैश अदालत में चल रहा है तथा इनका मृतक व्यक्ति से तलाक नहीं हुआ है। अतः ये ही उसकी शादीशुदा पत्नी मानी जायेगी। 
हाईकोर्ट ने और कहा- पहली महिला पत्नी का तलाक हो चुका था और ऐसे में अर्थात अदालत में कैश चलने के दौरान रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट से दूसरी शादी नहीं होती।
मृत्क व्यक्ति का पहला तलाक हुआ था पर दूसरा नहीं इसलिए रजिस्ट्रेशन वाली शादी को नहीं माना जाएगा। पेंशन दूसरी महिला पत्नी को ही मिलेगा।
एक सरकारी कर्मचारी धोखेबाज व्यक्ति दो औरतों और उनके चारों बच्चों के साथ धोखे का खेल खेलता हुआ कानून पर सब छोड़ पृथ्वी से चुपचाप चला गया। 
वरिष्ठ महिला वकील साहिबा से इस कैश की जानकारी के बाद यह महसूस हुआ कि कुछ लोग रिश्तों की पवित्रता का मौल नहीं दे पाते........।
जो बहुत ग़लत है........।
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