बुढ़ी दादी-------

थरथराती आवाज में बुढ़ी दादी अपने पोते वंश से बोली- मेरा चश्मा ठीक करवा ला। एक कांच टूट गया है कुछ दिखाई नहीं देता। कितने दिनों से भुगत रही हूं......।
पहली बार कहने से जब कोई जवाब नहीं मिला तो वो फिर रुक-रुक कर बोलने लगी.....। इतने में वंश ने मजाकिया तौर पर अपनी दादी से कहा- दादाजी तो रहे नहीं फिर इस उम्र में किसे देखोगी....? अभी समय नहीं है। बाद में देखता हूं....।
अरे बेटा..... दादी कुछ बोलती, इतने में पोता बीच में ही बोला- कहा न अभी समय नहीं है। बाद में देखता है। बड़बड़ाओं मत......।
95बर्षीय बुढ़ी दादी का भरा-पूरा परिवार था। पर वो अकेली अपने कमरे की पलंग पर लेटी या बैठी रहती थी। या फिर, आया (कामवाली)से बात कर लेती। पर वह भी उसे ज्यादा घास नहीं डालती। परिवार का प्रभाव जो पड़ा था उस पर। 
लाचारी का नाम बुढ़ापा हैं। अगर जी गये तो बाद में इसी राह से शायद सबों को चलना पड़ता हैं....
परिवार ने उन्हें सारे भौतिक सुख-सुविधाएं उपलब्ध करवा रखी थी। पर समय और मान ही नहीं दे पाते थे। इन दो चीजों से वो वंचित थीं। 
वास्तविकता यह है कि पुरानी चीजों की हम कदर नहीं कर पाते। हमें लगता है ये बिना मतलब की बेकार चिज़ है। अतः उसे बोझ समझने लगते हैं। ऐसा सदियों से चला आ रहा है.....।
पर कभी-कभी पुरानी चीजों की भी जरूरत आन पड़ती हैं। 
कई घर-परिवार में बड़े तो बड़े बच्चे भी पीछे नहीं रहते। मज़ाक में वे कभी कभार बुजुर्गो का मजाक उड़ाते हैं और इसे अपने पन की संज्ञा देते हैं। 
प्रकृति जितनी सुंदर है उतनी ही भयाभय है। वैसे ही बुढ़ापे का आना तैय है उतना ही तैय है, दुर्दशा का साथ आना।
बुढ़ी दादी का बेटा सुबह, करीब नौ बजे अपना व्यापार संभालने के लिए निकल जाता है और रात करीब नौ बजे तक ही वापस आना होता है। बड़े शहरों में ट्राफिको का होना स्वाभाविक है अतः घर लौटने में देरी हो ही जाती है। थके-हारे खाना खा सीधे बिस्तर पर जाना पड़ता है।पर कभी कभार अपनी मां से चलते फिरते कुछ कह बोल लेता है। 
बेटे की बहू इन दिनों साड़ी त्याग सलवार सूट में आ गई। पोशाक के साथ उनमें बहुत कुछ बदलाव आया है। जो पहले ऐसा नहीं था। 
कुछ सालों पहले भी बुढ़ी दादी हल्के-फूल्के घरेलू कामों में बहू का हाथ बंटाती थी। दोनों बातचीत के जरिए काम कर लेते थे। स्टेंड पर बर्तन जमाना, सब्जियां काटना, एकादबार चाय बनाना आदि कर लेती थी। 
पर अब वो ठीक से उठ-बैठ नहीं पाती और अपने कमरे में ही लैटी या बैठी रहती है। बहू से बात भी नहीं हो पाती। लेकिन दादी चाहतीं है उन्हें सब समय दे..... उनसे बात करे.......। पर ऐसा न होने से वो दुखी रहतीं है। 
बहू समय पर सासूमां को उनके कमरे में खाना भिजवा देती है। बाहर जाने पर खाने की कह बोल जाती है। कभी कभार उनके दरवाजे पर खड़ी हो उनकी देखभाल करने वाली आया से या उनसे एकाद बार बात कर लेती है। बस.....।
पति के निकलने के बाद फोन पर चिपकी रहती है। पीहर वाले, किट्टी मेम्बर्स, फ्लैट की फ्रेन्डस, सोशल मीडिया आदि में व्यस्त रहतीं है। दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं। अतः वे अपना खुद ही कर लेते हैं। 
दोनों भाई- बहन वंश और वंशीका आधुनिक युग के पढ़ें-लिखे, मन मौजी बच्चे हैं। वे हमेशा अपनी धुन में रहते हैं। मोबाइल, लैपटॉप, सोशल मीडिया, यार- दोस्त, कालेज, मार्केटिंग आदि के जरिए उनका दिन बीत जाता हैं। और एकाध बार बुढ़ी दादी से हंसी-मजाक, तमाशा कर लिया करते हैं। 
दादी उस जमाने और इस जमाने तथा उम्र व अकेलेपन के बीच फंसी रहती है।
एक दिन बेटा वंश नहाकर बाथरूम से निकला ही था कि उसका ध्यान अपनी मम्मी की बातों पर गया। जो हॉलरुम की खिड़की में खड़ी किसी से फोन पर कहा रही थी कि- मेरी सासू मां परसों चार कम सौ की हो जायेगी....। जन्मदिन है.....। पहले का राशन-पानी जो मिला है.....। इस तरह की बातें कर हंसी-मजाक में लगी थी। 
दादी का 96वां बर्थडे है। यही बात वंश ने नोट कर लिया। उसके दिमाग में घंटी बजती। वह फटाफट तैयार हो मम्मी से कह अपने दोस्त के निकल गया।
उसे परसों अपनी बुढ़ी दादी का बर्थडे जो मनाना है। या इसके पीछे कुछ और उद्देश्य है...?
पोता अपनी दादी के लिए समय नहीं निकाल पाता था,पर पिछले दो दिनों से अपनी बहन और दोस्तों के साथ मिलकर चुपचाप दादीमां के बर्थडे की तैयारियों में लगा था।
आज बुढ़ी दादी का हैप्पी बर्थडे है। सो दोनों भाई- बहन सुबह- सुबह एक साथ उनके कमरे में पहुंचे और उनको विस किया। ताली बजाती, उन्हें गले लगाया, चुमा, प्यार किया। दोनों भाई- बहन उनसे लिपट गये। 
दादी यही सब चाहतीं थीं। वह काफी खुश भी हो रही थी परन्तु वज़ह समझ नहीं पा रही थी। क्योंकि उनके साथ ऐसा सदियों बाद हो रहा था। आज का दिन उन्हें कुछ अलग लग रहा था। पर कुछ कह या पूछ नहीं पा रही थी। मौका ही नहीं मिल रहा था कुछ कहने का। इस बीच वंश बोला- दादी, आपका चश्मा कहां है...? दीजिए ठीक करवा लाता हूं।
वह चश्मा ले चला गया। 
आज शाम बच्चों ने घर पर पार्टी रखी। बुढ़ी दादी के जन्मदिन पर.....।एक बड़ा सा केक लाया गया और उसे डाइनिंग हॉल में टेबल पर रखा गया। रंगीन कागज़ के फूलों और लड़ियों, रंगीन गुब्बारों
और एल.ए.डी. लाईटों से पूरे हाॅल को सजाया गया। कैमरे और म्युजीक की व्यवस्था भी की गई। खाना होटल से मंगवाया गया।
शाम को परिवार वालों के अलावा दो-चार दोस्त आये। दादी को नये कपड़े और नया चश्मा दिया गया। 
शाम 7बजे करीब उन्हें सहारा दे कर केक टेबल तक लाया गया और हाथ पकड़ कर केक कटवा गया। फिर दादी को खिलाया गया और सबों ने भी खाया। इसके बाद दादी से कहा गया हम गाना बजाते आप डांस करोगी। हम भी आपके साथ डांस करेंगे।आज आपका हेप्पी बर्थ डे है, दादी.....
हो ओ.......सारे बच्चे खुशी से झूम उठे और बुढ़ी दादी को उत्साह देने लगे। पर दादी ने मना किया लेकिन बच्चे रुकने वाले कहा थे। उन्हें दादी के डांस वाला विडियो सोशल मीडिया में जो वायरल करना था। आजकल एक से एक वीडियो वायरल हो रहे हैं। खुशी, कामयाबी, आनंद, शोहरत न जाने क्या-क्या चाह है आजकल.......।
आखिर बुढ़ी दादी को न चाहते हुए भी इस उम्र व परिस्थिति में थोड़ा बहुत अपने हाथ-पांव हिलाने  ही पड़े।
आंख मारे वो लड़की आंख मारे....गाना चला रखा था। 
वंशीका इसी बीच दादी के पास गई और उसके घुंघट को थोड़ा और लम्बा किया। फिर बोली- एक बार और हो जाय....।
केक काटने से घुंघट में ठुमके लगाने तक का वीडियो बच्चों ने बनाया और उसे दूसरे ही दिन वायरल कर दिया। 
दादी के इस उम्र का डांस लोगों ने खुब पसंद किया तथा चंद घंटों में लाखों से भी ज्यादा लोगों ने लाइक किया। लोगों के कॉमेंट्स आये,रिश्तेदारों के फोन आने लगे। सब खुशी-खुशी इस वीडियो को इंजोय कर रहे थे। बच्चे खुशी से गदगद हो रहे थे। बच्चों ने जैसा चाहा, वैसा ही हुआ।
पुरानी चीज उनके काम आई......।
उधर वीडियो वायरल होने के 48घंटे बाद बुढ़ी दादी को अस्पताल में भर्ति करवाना पड़ा। उन्हें सांस की दिक्कत हो रही थी। 
शायद अपने जन्मदिन वाले दिन कुछ ज्यादा ही हिलना-डुलना पड़ा था। जो उनके उम्र और स्वास्थ्य के लिए ठीक न था। या फिर बुढ़ापे ग्रसीत बीमार की सिकायत हो गई थी। जो भी हो डाक्टरों ने सिरीयस कंडीशन बताया।
7दिन बाद बुढ़ी दादी का एक और वीडियो वायरल हुआ......।
इस वीडियो में वह फूलों और चंदन से सजी, कफ़न ओढ़े कांच की गाड़ी में नजर आ रही थी......। तथा गाड़ी के आसपास कुछ उदास चेहरे नजर आ रहे थे। शायद वे रिश्तेदार हो.......।
बच्चों द्वारा वायरल किया दूसरा वीडियो भी लोगों ने खुब लाईक किया। 
इतने लोगों के लाईक करने के बावजूद बुढ़ी दादी बुढ़ापे में अकेली थी। पर वो दुनिया से अकेले नहीं गई, अपने साथ अकेलेपन को ले गई।
यही सच है.....सच यह भी है कि पुरानी चीजें भी कभी कभार काम आती है..... बहुत काम आती हैं.... अचानक किसी के काम आ सकती है.....।
   जैसे बुढ़ी दादी आई.......।
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