सप्तवार, बुधवार व्रत कथा-------

इस दिन शंकर महाराज जी का व्रत व पूजन करना चाहिए। बुधवार को हरे रंग का वस्त्र धारण करना तथा हरी वस्तुओं का सेवन करना विशेष फलदायक होता हैं। इसके अलावा बुध वाले दिन
"ओउम् बु बुधार नमः",  इस जप का करना अत्यंत लाभकारी होता है। माना जाता है कि इससे बुद्धि का विकास होता है.......।
बुध वाले दिन भगवान शंकरजी महाराज का व्रत और पूजन कर यह कथा सुननी चाहिए। जो इस प्रकार से है---
          एक बार एक व्यक्ति अपने ससुराल गया था और वह वहां कुछ दिनों तक रहा।
 कुछ दिनों के बाद उसने अपने ससुराल वालों से अपनी पत्नी सहित जाने की विदा मांगी। पर ससुराल वालों ने अपने दामाद से कहा आज तो बुधवार है। इसलिए आज विदा नहीं करेंगे। आप कल चले जाना। 
परंतु उनके बार-बार आग्रह करने पर ससुराल वालों ने दोनों को विदा कर दिया। और दोनों चल दिए।
कुछ दूर जाने के पश्चात् उनकी पत्नी को प्यास लगी। और उन्होंने कहा- मुझको प्यास लगी है यदि आप पानी ले आओ तो मैं पी लूंगी.......।
इतना सुन वह व्यक्ति रथ से उतरकर पानी लेने चला गया। थोड़ी देर के बाद जब वह पानी लेकर वापस आया तो देखा कि रथ पर उसी के शक्ल-सूरत तथा वैश के कपड़े पहने हुए कोई दूसरा पूरुष बैठा है।
उसे अत्यंत आश्चर्य हुआ कि यह मेरी सुरत का कौन दूसरा आदमी मेरी स्त्री के पास रथ में बैठा हुआ है? उसने क्रोध में आकर कहा- तुम कौन हो जो मेरी स्त्री के पास आकर रथ में बैठे गये हो?
वह दूसरा आदमी कहने लगा, तुम मुझे रोकने वाले कौन हो? यह मेरी स्त्री है और अभी मैं इसे अपनी ससुराल से विदा करवा कर ला रहा हूं।
इस प्रकार दोनों में वाद-विवाद होता रहा। यह देख वहां बहुत से लोग इकट्ठे हो गए।
जब उस स्त्री से पूछा गया कि कौन से तुम्हारे पति है, तो वह भी नहीं पहचान सकी। क्योंकि दोनों के रंग-रुप, शक्ल-सूरत तथा पोशाक एक ही थे।
यह बात राजा के पास पहुंचीं। कुछ समय बाद राजा के एक दूत वहां आ गये और उस स्त्री के असली पति को पहचान के लिए तैयारी करने लगे।
अब वह व्यक्ति (पति) बहुत दुःखी हो गया तथा भगवान से प्रार्थना करने लगा- से, भगवान! यह क्या अन्याय हो रहा है! जो सच है वह झूठा, और जो झूठा है वह सच्चा बताया जा रहा है!
अचानक तब भगवान ने आकाशवाणी की- यह सब बुध देवता की माया से हुआ है। यह व्यक्ति अत्यंत आग्रह करके अपनी स्त्री को बुधवार के दिन अपने साथ विदा कर लिये जा रहा था। इस कारण इसको इस क्लेश में पड़ना पड़ा। इतना कह भगवान बुद्ध अन्तर्धान हो गए।
इसके बाद वह व्यक्ति अपनी गलती पर बार-बार बुध देवता की स्तुति करता हुआ अपनी स्त्री को घर ले आया।
इसलिए ऐसा माना जाता है कि बुध के दिन गमन (जाना) नहीं करना चाहिए। उससे क्लेश प्राप्त होता है। 
        बुधवार के दिन शंकर महाराज जी के व्रत व पूजन के बाद इस कथा को जो पढ़ता या सुनता है उसको बुध के दिन गमन करने का कोई दोष नहीं लगता.....। साथ ही इस दिन जप-मंत्र (ओउम् बु सुधार नमः) का पाठ करने से सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है.....।
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