विश्व भूख दिवस की श्रेणी में भारत का स्थान--------

अभी-अभी हमारे देश की सरकार ने खेद जताते हुए कहा था, दरिंद्रों, गरीबों और पिछड़ों के उत्थान के लिए हमारी-आपकी सरकार समय-समय पर विभिन्न प्रकार के "सकारात्मक योजनाएं" लागू करती रहती है। परंतु इस तरह की योजनाएं "दूनिया" की नजरों में आते नहीं हैं।
खेद जताने के 24घंटों में ही "विश्व भूख सूचकांक" 2020साल की "भूख श्रेणी" दूनिया की नजरों में आ गई। इस साल 107 देशों में भारत 94वें स्थान पर है।
2012साल में विश्व खुशहाली दिवस की श्रेणी प्रक्रिया शुरू हुई थी। जिसमें 156 देशों को शामिल किया गया था।
छः कारणों को ध्यान में रखते हुए इस श्रेणी का निर्णय लिया जाता हैं। 2016साल में भारत 122वें पायदान में था और अब 2020 में 144वें पायदान पर पहुंच चुका है। विश्व खुशहाली श्रेणी में भारत अपने पड़ोसी देशों से पीछे पायदान पर है।
ठीक इसी तरह विश्व भूख दिवस पर भी हमारा देश पड़ोसी देशों से पीछे पायदान पर है।
कई अंतरराष्ट्रीय संस्था के सौजन्य से प्रतिवर्ष अक्टूबर में विश्व भूख सूचकांक श्रेणी प्रकाशित होते है.....।
विशेषज्ञगण निम्न कारणों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेते है- पांच साल के बच्चों का वजन और कद (उच्चता), पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की मृत्यु दर, कुपोषण, कुपोषण से निपटने के लिए उदासीन दृष्टिकोण, खराब कार्यान्वयन प्रक्रिया, प्रभावी निगरानी की कमी आदि को देख कर..... अर्थात विश्व के दरिद्रों और गरीबी रेखा के नीचे आने वालों को भोजन मिल रहा है या नहीं......अगर मिल रहा है तो क्या वह पोष्टिक भोजन है या नहीं......वह भोजन बच्चों के शारीरिक और मानसिक वृद्धि के योग्य हैं या नहीं....। यही सारी बातें रिपोर्ट में शामिल की जाती हैं। और तब विशेषज्ञ श्रेणी का निर्णय लेते है। कौन सा देश किस पायदान में है। किस श्रेणी में है।
पिछले साल 117देशों में भारत 102 की श्रेणी में था।
इस साल 2020में 132 देशों को शामिल किया गया परन्तु अंत तक 107देश ही, इस वैश्विक भूख सूचकांक में भाग ले पाये। जिसमें हमारा भारत भी शामिल है।
107देशों में भारत इस साल (2020) 94वें स्थान पर है। भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका, नेपाल, बंगालदेश, म्यांमार और पाकिस्तान भी हमारे देश से आगे की श्रेणी में हैं। हालांकि श्रेणी में बदलाव होता रहता है लेकिन 2020साल की श्रेणी में भारत अपने पड़ोसी देशों से पीछे ही है।
नई दिल्ली में वरिष्ठ शोधकर्ता (अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान) का इस बारे में कहना है कि भारत को विश्व भूख दिवस सूचकांक की श्रेणी में परिवर्तन के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों  के क्रियान्वयन (काम) में सुधार लाने की आवश्यकता है। इन राज्यों में वास्तव में कुपोषण अधिक हैं। उन्होंने और कहा-भारत में पैदा होने वाला हर पांचवां बच्चा यूपी में हैं। अधिक आबादी वाले राज्यों में कुपोषण का स्तर अधिक है। इसलिए इस ओर ध्यान देना होगा।
साथ ही उन्होंने झाडखंड की बात भी कही....।
अगर हम विश्व में भारत के इस श्रेणी का बदलाव चाहते हैं तो इन राज्यों में बदलाव लाने की आवश्यकता हैं।
इसके अलावा भारत के ही किसी न्यूट्रिशन रिसर्च की महिला प्रमुख ने कहा है- हमारे देश में पोषण के कई कार्यक्रम तथा नीतियां हैं लेकिन जमीनी हकीकत में वह निराशाजनक हैं।
यानी सारे कार्यक्रम कागज़-कलम तक ही सीमित हैं। और मौखिक रूप में हैं।
उदासीन दृष्टिकोण के कारण भूखों तक पोष्टीक भोजन नहीं पहुंच पाता।
हमारे लिए यह अत्यंत शर्म की बात है कि विश्व खुशहाली दिवस और विश्व भूख दिवस के श्रेणी में हम पीछे है। जबकि हमारे पड़ोस देश हमसे आगे हैं........।
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