पिंक अक्टूबर------

स्तन कैंसर यानी ब्रेस्ट-कैंसर.....। जी, हां! चिकित्सा विभाग की ओर से पूरे "विश्व" में हर साल अक्टूबर के महीने में विश्व की महिलाओं को "स्तन-कैंसर' की जानकारी दी जाती हैं। उन्हें जागरूक किया जाता हैं। तथा चिकित्सा विभाग की ओर से "पिंक" कलर का "बैच" लगाया जाता है।
चूंकि ब्रेस्ट-कैंसर से संबंधित बैच का रंग पिंक है तथा विश्व भर जागरण प्रोग्राम पूरे अक्टूबर महीने किया जाता है इसलिए इस महीने को "पिंकअक्टूबर" भी कहते हैै।
महिलाओं में स्तन- कैंसर जैसी बीमारी का प्रभाव उनके जीवन-शैली से पड़ता है। अतः प्रोग्रामिंग के माध्यम से इसकी पूरी जानकारी दी जाती हैं कि उनकी जीवनशैली कैसी होनी चाहिए।
बीमारी का कारण, लक्षण, उपाय और सावधानियों के माध्यम से पूरे अक्टूबर महीने महिलाओं को सचेत किया जाता हैं।
पहले 45 से50 साल की महिलाओं को स्तन-कैंसर होता था पर अब 25 से 30 बर्ष की महिलाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ा हैं। इसका ख़ास कारण जीवनशैली है। 
ब्रेस्ट-कैंसर तीन प्रकार के होते हैं- साधारण, मध्यम और आखरी स्टेज.....।
स्तन कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि से ब्रेस्ट में एक गांठ बनती है, जिसे स्तन-कैंसर कहते है।
आजकल की जीवनशैली अनुसार अधिकांश महिलाएं अधिक उम्र में शादी करती हैं तथा एक बच्चा धारण करती है। उस पर स्तन पान या तो नहीं करती या फिर दीर्घ समय मौका नहीं मिलता। जिससे कैंसर होने की संभावना रहती है। इसके अलावा अधिक मोटापा, हार्मोन्स बदलाव, शराब, धूमपान जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करना कारण है। अनुवांशिक भी एक कारण हो सकता है। 
यह कैंसर होने पर महिलाओं को कुछ परेशानी महसूस हो सकती हैं- थकान, पूरे शरीर में दर्द, सिर में दर्द और दांतों व ह्रदय संबंधीत परेशानियां....।
इसके अलावा भी कुछ विशेष लक्षण हैं..... जैसे-स्तन के आकार में बदलाव, गांठ महसूस करना, निप्पल के अग्रभाग का मुड़ना वह लाल रंग का हो जाना, स्तन में सूजन आना, दबाने पर दर्द होना, कोई तरल या चिपचिपा पदार्थ का निकलना आदि भी ब्रेस्ट-कैंसर के लक्षण हैं।
महिलाओं को चाहिए कि वे हर महीने अपने महावारी से पहले खुद चैक करें। स्तनों को देखकर, दबाकर, टटोलकर खुद महसूस करें- गांठें, सूजन, निप्पल व तरल पदार्थ को....। वे अपनी शारीरिक संबंधी परेशानियों का भी नियमित ध्यान रखें। अगर कहीं कुछ महसूस या संदेह हो रहा हो तो मैमोग्राफी (एक्स-रे) की सहायता लें। 
मैमोग्राफी एक तरह का उपकरण है। इसका उपयोग कर शुरूआति कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
इस कैंसर के उपायों के तौर पर नियमित रूप से एक्सरसाईज और योगा करें। सूरज की तेज किरणों से खुद को बचाएं, गर्भ निरोधक गोलियां, नशिलें प्रदार्थ, पत्तेदार सब्जियां, मिर्च, गाजर आदि का परहेज करें.......।
तथा फाईवरयुक्त भोजन, कम वसा वाला दूध, फल-सब्जी आदि का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करें.....।
ब्रेस्ट-कैंसर के कुछ घरेलू उपचार भी हैं-
यह बीमार स्तन कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि के कारण होता है अतः इस वृद्धि को रोकने के लिए इस रोग से पीड़ित महिलाओं को काली चाय व ग्रीन टी का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। यह चाय कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि को रोकता हैं। तथा जिस खाद्य पदार्थों में विटामिन डी और विटामिन सी पाया जाता हैं वो भी स्तन कोशिकाओं के अनियंत्रित वृद्धि को रोकता हैं। इसके अलावा गेहूं के जवारे का जूस पीना फायदेमंद होता है।
अभी हाल ही में कलकत्ता एयरपोर्ट की ओर से जागरूकता अभियान जैसा कदम उठाया गया था।
मूलतः हवाई जहाज से यात्रा करने वाली अनेक महिलाओं तथा एयरपोर्ट की महिला कर्मचारियों को सचेत कर उन्हें पिंक बैच लगाया गया।
स्तन-कैंसर जैसी बीमारी, महिलाओं के शरीर में अपना बसेरा न बसा पाये इसलिए कैंसर-अस्पताल के डाक्टरों की टीम के सहयोग से अक्टूबर 2020 में यह जागरूक प्रोग्राम रखा गया।
कोरोना संकट काल में ये सराहनीय है.........।

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