कांगो फीवर----------

2020 में कुछ महिनों से भारत पूरी दुनिया के साथ कोरोना महामारी के संकट को झेल रहा है। इससे पिछा छुड़ाने की लगातार कोशिशें कर रहा है।पर अभी तक सही मायने में सफलता नहीं मिली है।
इस महामारी संकट के बीच भारत के विभिन्न क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुए हैं। कहीं बाड़, कहीं चक्रवर्ती तुफान, कहीं भयंकर आग लगी तो कहीं बहु मंजिला इमारत ढहा.....। कोरोना के साथ हम इन्हें भी झेल रहे हैं। परिस्थिति बहुत ही भयाभय है। साथ ही आर्थिक समस्या घर-घर दस्तक दे रही है।
आत्महत्या की घटनाएं घट रही हैं....।
एक पत्रिका के माध्यम से पता चला, हाल ही के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। पर शायद 2021में आर्थिक वृद्धि बेहतर हो भी सकती हैं।
वैसे कोरोना काल में जब आर्थिक स्थिति ठप पड़ी है ऐसे में भारतवर्ष के एक शख्स सामने उभर कर आऐ है। जो हर घंटे 90 करोड़ रुपए कमाते हैं।
एक ओर भारत की स्थिति खराब, वहीं दूसरी ओर भारत के ही एक शख्स की 90करोड़ प्रति घंटे की कमाई.....।
सुन कर आश्चर्य होता है और अच्छा भी लगता है...।
खैर, जमीनी स्तर पर खड़े हो हम देख सकते हैं वाकई में भारत की आर्थिक स्थिति बहुत ही ख़राब है। साधारण लोग चोतरफा समस्याओं से घिर चुके हैं।
इन तमाम समस्याओं के बीच एक दूसरा खतरा मंडराता नजर आ रहा है।
कांगो फीवर........।
गुजरात के कुछ जिलों में यह बुखार पाया गया है। तथा उसकी सीमावर्ति राज्यों में भी फैलने का खतरा है।
इस "फिवर" का कोई विशेष इलाज नहीं है। जो काफी चिंता का विषय है।
मनुष्य में "कांगो फीवर" पशुओं के जरिए फैलता हैं।
दरअसल, गाय, भैंस,बकरी आदि ऐसे अनेक पशु हैं जिन्हें "किलनी" होती हैं।
किलनी एक प्रकार का कीट है। जिसे हम जानवरों के शरीर का 'जूं 'भी कह सकते हैं।
"किलनी" अर्थात "जूं" जो कि पशुओं के शरीर में लग जाते हैं। जानवरों के शरीर की साफ-सफाई न रखने से उनके चमड़े में यह पैदा हो जाते हैं।
न नहलाने से या गन्दे पानी से नहलाने से यानी सफ़ाई की कमी के कारण पशुओं के चमड़े में "किलनी" हो जाते हैं। जो उनके चमड़े से खून चूसते हैं और चमड़े में ही चिपके रहते हैं।
"किलनी' से पशुओं को खुजली होती हैं, वे चारा खाने की मात्रा कम कर देते हैं। दूध देना भी कम कर देते हैं। उनमें अस्थिरता दिखाई देता हैं। इसके अलावा और भी अनेक लक्षण दिखाई देते हैं।
इसका उपाय शायद एक प्रकार का पशु लोशन और स्प्रे हैं पर यह "किलनी" काफी ख़तरनाक है।एक बार लगने से जल्दी जाती नहीं। 
पता चला है कि पशुओं के "किलनी" से ही मनुष्यों में "कांगो फिवर" फैलने लगा है। और यह वायरस गुजरात के पालघर से फैलना शुरू हुआ हैं।
"किलनी" संक्रमित जानवरों के खुन से और उसका मांस खाने से मनुष्य के शरीर में फैलता हैं।
पशुपालन विभाग के डाक्टरों का कहना है - यह चिंता का विषय है। इसमें पहले से ही सावधानी बरतनी होगी। "कांगो फिवर" न हो इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इस फीवर से करीबन 30% रोगियों के मरने की संभावना रहती है।
महाराष्ट्र अधिकारियों ने भी मनुष्यों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
कोरोना महामारी काल में हमें कांगो फीवर से भी सावधान रहने की आवश्यकता है। खास कर पशुपालकों और मांस विक्रेताओं के लिए खतरा हो सकता हैं। क्योंकि यह संक्रमित हैं अर्थात् एक दूसरे में फैलता हैं। तथा अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है। इसलिए सबों को सावधान रहने की जरूरत है।
ताकि कोरोना संकट काल में "कांगो फीवर" को न झेलना पड़े।
न जाने क्यों चारों ओर से लोगों पर इतने संकट आ रहे हैं। कोरोना संकट, आर्थिक संकट और अब ये कांगो बुखार......।
          देश-दुनिया और समाज में इतनी अराजकता फैली है कि प्रकृति तथा सृष्टि कर्ता, शायद हमसे रुष्ठ हो गए हैं। मनुष्य अपने धर्म विरुद्ध आचरण कर पापों के बोझ तले दबता जा रहा हैं। उसका मन और बाणी भी अपने नियंत्रण में नहीं है। आये दिन नये-नये अकल्पनीय क्रूर घटनाऐं हमारे समक्ष आ रहे हैं।।हो सकता है इसलिए ईश्वर हमें संकटों में डालकर सही रास्ते में लाना चाह रहे हो..... ताकि हम सचेत हो और सुधारें..... पापों से दूर रहे......।
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