विश्व दूरदर्शन दिवस----------

मानव, जो पहले प्रकृति पर आश्रित था उसे विज्ञान ने कई भौतिक सुख- सुविधाएं प्रदान की हैं।
      वैज्ञानिक आविष्कार का लक्ष्य मानव कल्याण हेतु हैं।
विज्ञान के आविष्कार का एक फल दूरदर्शन भी हैं।
      विज्ञान और मनुष्य के, बुद्धिमत्ता के फलों और उसके सार तत्वों को, मनुष्य पीढ़ी दर पीढ़ी ध्यान में रखते हुए उन्नति करे इसलिए कई दिवसों का पालन किया जाता हैं। जिसमें "विश्व दूरदर्शन दिवस" भी है या यूं कह सकते है "वल्ड टेलीविजन डे" है। जो हर साल 21नवम्बर को पालन किया जाता है।
      1996 को संयुक्त राष्ट्र की ओर से विश्व दूरदर्शन दिवस पालन की घोषणा की गई। तब से  हर साल 21नवम्बर को "विश्व दूरदर्शन दिवस"के रूप में मनाया जाता है।
इस दिवस पर विश्व स्तरीय बैठक होती है। इससे जुड़े समस्त स्तर के गणमान्य एक साथ बैठकर इस आविष्कार की भूमिका और उसके गुणवत्ता की चर्चा करते हैं। लोगों को दूरदर्शन के महत्व तथा जागरूकता पर भी प्रकाश डाला जाता हैं। मानव समाज में इसकी क्या और कितनी भूमिका है इस पर चर्चा की जाती हैं। आगे के सुगम सफ़र पर गौर किया जाता हैं।
1926-27के करीब अमेरिकन वैज्ञानिक (बेयर्ड) ने
दूरदर्शन यानी टेलीविजन का अविष्कार किया था। उसे इलेक्ट्रानिक रुप देने में और पांच-सात साल लग गए। तब जाकर 1934 में यह पूरा हुआ। इसके दो-चार साल बाद से लोग इसका लुत्फ उठाने लगे।
दूरदर्शन का अंग्रेजी नाम टेलीविजन है। पर 1948में इसका संक्षिप्त नीक नाम "टीवी" रखा गया।
पहले टीवी एक बक्शेनुमा था। बाद में यह  धीरे-धीरे फ्लेट, स्लीम और एल.ए.डी. में परिवर्तित हो गया।
इसके प्रोग्राम काले और सफेद रंग में दिखते थे। आगे उन्नति होने पर 1954में यह रंगीन हुआ। ब्लेक एंड व्हाइट टीवी, कलर टीवी में बदल गया।
1976में इसका एक और परिवर्तन हुआ। इसके स्क्रीन साइज को ज्यादा बड़ा किया गया।
         टीवी, संचार में अपनी एक अलग भूमिका निभाता है। यह मिडिया का बहुत बड़ा स्त्रोत है जो हर समाज, जाति, धर्म तथा समस्त पृथ्वी के मानव समाज को जागरूक करने में मददगार हैं। इसके माध्यम से मनुष्य घर बैठे पूरी दुनिया को देख उसका अबलोकन कर पाता हैं। चारों दिशाओं की गतिविधियों को एक जगह रहकर जानकारी हासिल कर लेता है।
         समुद्र की गहराई से पहाड़ों की चोटियों तक टीवी के माध्यम से पहुंच जाता हैं। वायुमंडल के परिवार से मिंटो में जान-पहचान हो जाती हैं। इसके अलावा जंगल, जीव-जंतु, विश्व के संजीव व निर्जीवों, मनुष्य की भाषाओं आदि अनंत जानकारी मिलती हैं।साथ ही मनोरंजन भी प्राप्त होता हैं।
         टीवी अपने जन्म के बाद से मनुष्य के समय और अकेलेपन में साथ देता आया है। इसीलिए तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र की ओर से विश्व दूरदर्शन दिवस पालन करने का तय किया गया। ताकि इसके इतिहास के बारे में आगे, दुनिया के लोगों को जागरूक किया जाएं। उन्हें इसके इतिहास का पता चल सके.....।
            आजादी के बाद हमारे देश भारत में टीवी पहली बार 1950में आया।
चैन्नई के इंजीनियरिंग करने वाले एक इंजीनियर ने सबसे पहले भारत में टेलीविजन को प्रदर्शन में प्रर्दशित किया। और भारत का पहला टीवी सेट कलकत्ते के एक अमीर परिवार ने खरीदा था। जो कि ब्लेक एंड व्हाइट था।
1982 में पहला कलर टीवी (रंगीन टीवी) भारत में आया और इसी साल राष्ट्रीय टीवी चैनल भी शुरू हुआ।
दूरदर्शन अपने लम्बे सफ़र में बहुत उन्नति कर आज स्मार्ट बन गया है।
विभिन्न गतिविधियों की जानकारी तथा मनोरंजन के साथ ही इस आविष्कार ने इससे जुड़े लाखों लोगों को रोजगार दिये हैं।
कई लोगों को टीवी का नशा है।पर अपना सारा मुल्यवान समय इसमें लगाना सही नहीं हैं......।
विश्व की अच्छाइयों और बुराईयों को टीवी उजागर करता है। परन्तु आजकल इस आविष्कार का गलत  इस्तेमाल कर, इससे जुड़े कुछ स्तर के गणमान्य अपना और अपने-अपने समाज का नुक़सान करने में लगे हैं।
"विश्व दूरदर्शन दिवस" पर, विश्व स्तरीय बैठक में अगर इस ओर ध्यान आकर्षित कर चर्चा की जाय कि, आविष्कार का लक्ष्य मानव कल्याण हेतु हैं....।
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