सुरक्षा और सुविधा---------

अंग्रेजों के शासन काल में भारत की प्रथम महिला डॉक्टर, 1886में बनी। वह एक महिला चिकित्सक बन सामने आईं। कारण उस जमाने में महिलाओं के प्रश्वपीड़ा की दुर्दशा को उन्होंने करीब से देखा और अनुभव किया था।
महिला के डॉक्टर डीग्री प्राप्त करने पर उन्हें बहुत कटाक्षों का सामना करना पड़ा। जिसमें महिलाओं के स्वभाविक प्राकृतिक प्रक्रिया भी शामिल है। उन्हें सुनना पड़ा था, महिला डॉक्टर बनीं है। अब महिनों के उन चार दिनों का क्या? हर महीने चार दिनों की छुट्टी......
यह सुन उन्होंने उस जमाने में रुई में सूती कपड़े को लपेट कर सिया और अपने लिए नैपकिन तैयार कर , उन दिनों भी अपने डाक्टर होने का फ़र्ज़ निभाया। यह बात 100-150साल पहले की है।
     अब बाजार में रेडिमेट, बने बनाए कई प्रकार के डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध हैं।
पहले महिलाएं अपने उन दोनों में सूती कपड़े प्रयोग में लेती थी। प्रयोग के बाद धोकर, साफ कर,
सुखाकर रख देती थीं। फिर अगले महीने दोबारा प्रयोग में लेती थी। करीब-करीब हर उम्र की महिलाएं ऐसा करतीं थीं। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
कुछ दशकों से भारत में यह परम्परा खत्म हो गई है। इसकी जगह डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन ने ले लिया है। बाजार के इन नैपकिनों की लोकप्रियता बढ़ गई हैं।
छोटी-बड़ी हर उम्र की महिलाओं में बाजार की इन नैपकिनों की मांग बढ़ी हैं। जो कि बाजारों में व्यापक रूप से बिक रहा है।
आजकल की महिलाएं डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन को सहज व आसान महसूस करती हैं। कारण उन्हें बाहर निकलना पड़ता है। कई घंटों घर से बाहर रहना पड़ता हैं।
स्कूल, कालेज, आफिस, बाजार आदि जगहों पर मैंटेन करने के लिए यही नैपकिन सही लगते हैं। इस तरह के नैपकिन से, समय और झंझटों से बचा जा सकता हैं। काफी हद तक यह बात सही भी हैं।
पहले जमाने में महिलाएं अधिकतर घर पर ही रहती थी लेकिन अब जमाना बदल गया है। उन्हें अब कई घंटे घर के बाहर रहना पड़ता हैं। अलग-अलग कारणों से....। अतः "यूज एंड थ्रो" डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन ही सही हैं।
परन्तु, सुविधाओं के साथ ही साथ सेहत की सुरक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए। महिलाओं को अपनी सुरक्षा के बारे में भी सोचना होगा।
एक सर्वे के मुताबिक डिस्पोजेबल नैपकिन अत्यधिक और लगातार उपयोग करने से हर उम्र की महिलाओं को नुक़सान होता हैं। जिसका प्रभाव उनमें धीरे- धीरे पड़ता हैं।
हमारा ध्यान, प्रर्यावरण को नुक़सान न पहुंचे, इस पर है। परन्तु महिलाओं की सुरक्षा पर नहीं हैं।
चिकित्सक और वैज्ञानिकों की ओर से सचेत किया जा रहा है कि महिलाएं, डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन का अधिक उपयोग न करें। कारण बाजार में सर्वत्र उपलब्ध नैपकिन, अधिकतर सिंथेटिक सामग्री के बने होते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
बाजार के अधिकांश नैपकिनों में जेल, सिलिकॉन पेपर, डियोड्रेंट, रेयान (कृत्रिम धागा), प्लास्टिक व सिंथेटिक पदार्थों का प्रयोग होता हैं। जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होते हैं।
दरअसल, नैपकिन शरीर के विशेष अंग में चिपके रहते है। जिसका संपर्क सीधे स्किन से होता है। नैपकिन चार-पांच घंटे शरीर के विशेष अंग में चिपके रहने से वहां का तापमान बढ़ जाता है। जिससे वहां की कोशिकाओं पर इसका प्रभाव पड़ता हैं।
बार-बार यानी कि हर महीने ऐसा होने से कोशिकाएं मृत होने लगती हैं। जिससे कैंसर होने की संभावना रहती हैं। इसके अलावा महिलाओं के प्राइवेट पार्ट पर तापमान के बढ़ने से मासिक-धर्म और यौन संबंधित क्रिया भी प्रभावित होते हैं।
कई महिलाओं में देखा गया हैं, एलर्जी, जलन तथा इन्फेक्शन की भी समस्या होती हैं।
दूसरी ओर देखा जाए तो सूती कपड़ों से तापमान बढ़ने की संभावना बिल्कुल नहीं रहती। सूती कपड़े या सूती नैपकिन महिलाओं को मैडिकली और स्वस्थ संबंधित परेशानी होने नहीं देते। ऐसे नैपकिन के प्रयोग से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। किसी तरह की कोई शारीरिक समस्या नहीं होती। महिलाएं सुरक्षित रहती हैं।
बाजार में कई आर्गेनिक नैपकिन भी पाए जाते हैं। इस तरह के नैपकिन कपास, जूट, बांस, भूट्टे आदि के रेसों से बनाए जाते हैं। इनकी भी काफी मांग हैं। इनके इस्तेमाल से उतनी हानि नहीं होती। पर ध्यान रखना होगा, खेतों में किसान भाई  कई बार कीटनाशक दवा छिड़कते हैं।
यानी प्रर्यावरण के साथ हमें महिलाओं के बारे में सोचना होगा ताकि उन पर या आने वाली पीढ़ियों पर दुष्प्रभाव न पड़े।
चिकित्सक व वैज्ञानिकों द्वारा सचेत किये जाने पर हमरी स्वंय की जिम्मेदारी भी अपने स्वास्थ्य के प्रति बढ़ जाती हैं।
महिलाओं को स्वंय अपने स्वास्थ्य पर ध्यान रखते हुए कोशिश करनी होगी, अधिकतर सूती कपड़ों या सूती नैपकिन का उपयोग करना हैं। सुविधा के लिए बहुत जरूरी हो तभी बाजार के डिस्पोजेबल सैनिटरी नैपकिन या पैड को उपयोग में लाना ठीक होगा।
महिलाओं को चाहिए पहले वें अपनी सुरक्षा पर ध्यान दें..... और चिकित्सकों व वैज्ञानिकों की बातों पर अमल करें......।
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