पिंक स्कूटी योजना---------

पिंक रंग, महिलाओं से संबंधित रंग है। अतः महिला हित कार्य हेतु अक्सर पिंक रंग व शब्द का इस्तेमाल करते हुए देखा गया है।
उत्तर प्रदेश की "सेफ सिटी परियोजना" के तहत वहां के राज्यपाल ने "पिंकी पेट्रोल योजना" शुरू की है।
शनिवार (17-10-2020) को सौ, पिंक पेट्रोल स्कूटी और दस, चार पहिया महिला पुलिस वाहनों को हरी झंडी दिखाई गई है। यह काफिला यूपी के पूरे लखनऊ शहर में भ्रमण करेगा।
100 पिंक स्कूटी की नजर में पूरा लखनऊ शहर क़ैद रहेगा। जिससे महिलाएं अपने को सुरक्षित महसूस करेंगी।
वर्तमान में यूपी की राज्यपाल एक महिला है। इसलिए महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया है।
उनका मानना है कि आज के वर्तमान समाज में महिलाएं, बेटियां, और तो और छोटी-छोटी बच्चियां  भी अपमानित हो रही हैं।
घर और समाज में असुरक्षित हैं। समाज में आपराधिक व विकृत प्रवर्ति के लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। जिससे महिलाएं अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। लेकिन अब इस योजना के माध्यम से पुलिस ऐसे लोगों को चिन्हित करेंगी।
उन्होंने कहा, पिंक पेट्रोल योजना के माध्यम से पुलिस विभाग अपने-अपने क्षेत्रिय इलाकों में जाकर जानकारी देगी। गर्ल्स स्कूल व रास्तों में निगरानी रखेगी। जिससे महिलाओं का कल्याण होगा।
यूपी में महिलाएं कई बार अपने घरों में भी असुरक्षित महसूस करती हैं। यहां छात्राएं, स्कूल जाते समय परेशानी का सामना करती हैं। उन्हें छेड़ा और असम्मान किया जाता हैं। जिससे उनके शिक्षा ग्रहण में बांधा पड़ती हैं।
यूपी महिला राज्यपाल जी का कहना है- साधारण तौर पर अधिकतर महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में नहीं जानती। अतः इस योजना के माध्यम से उन्हें जानकारी दी जाएगी और वे, वेहिचक अपने क्षेत्रिय थाने व स्थानिय अधिकारियों से शिकायत कर अपने को सुरक्षित करने में सफल रहेगी।
बेटियां व महिलाऐं सुरक्षित हैं या नहीं, उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी हैं या नहीं इस चर्चा के साथ ही यह योजना, महिलाओं को सामाजिक तथा आर्थिक रूप से निर्भरशील बनायेगी।
अगर ऐसा नहीं हुआ तो उनका उत्पीड़न होता रहेगा। महिलाओं को सशक्तिकरण बनाना होगा।
उनके सम्मान, सुरक्षा एवं आत्मनिर्भरता हेतु, महिला पुलिस कर्मियों द्वारा चलाई गई इस पिंक पेट्रोल योजना से वे गौरव बोध करेंगी।
वैसे, महिलाओं के कल्याण हेतु यह योजना सिर्फ 180 दिन तक चलेगा।
यूपी के लखनऊ शहर में यह अभियान 180दिनों तक चलने से वहां की सभी महिलाएं, बेटियां तथा बच्चियां अपने को सुरक्षित महसूस करेंगी लेकिन उसके बाद क्या होगा...?
क्या 180दिनों में समस्त महिलाऐं स्वावलंबी हो जायेगी....? तथा यूपी के दूसरे शहरों, गांवों और कस्बों का क्या....?
एक बार के लिए मान लेते है, यह योजना अच्छे परिणाम देंगे। पर पेट्रोल की कीमत का क्या...? हालांकि इसका बोझ सरकार उठाएगी लेकिन कहा से....? देखा जाए तो इसका बोझ इंनडायरेक्ट हमारे ऊपर ही पड़ेगा।
सैकड़ों योजनाऐं, सैकड़ों शिलान्यास, सैकड़ों सुरक्षा हेतु सामान, सैकड़ों घोषणाएं आदि से किसी का खास कल्याण नहीं होने वाला। बल्कि खास-खास लोगों का कल्याण होगा या होता हैं।
जमिनी संयंत्र पर कार्य करने हैं।
यूपी की बाल-आश्रम में नाबालिग बच्चियां गर्भवती पाई जाती हैं, कोई पढ़ी लिखी नौकरी के लिए सिफारिश लेकर जाती है तो उसे भी असम्मानित होना पड़ता है, या फिर गांव की अनपढ़ तथा विशेष जाति की महिला किसी कागजात के लिए जाती है तो भी वही होता है।
हर क्षेत्र में नारियों का उत्पीड़न होता हैं। चाहे वह किसी भी वर्ग या उम्र की क्यों न हो....!
एक शब्द में कहा जा सकता है, यहां महिलाओं का सम्मान ही नहीं हैं।
पुरुष तो पूरुष, महिलाएं अनेक हैं जो ऐसे कामों में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। पुरुषों का साथ देती हैं।
फिर 180 दिन का पिंक पेट्रोल योजना क्रियान्वित होंगी या नहीं, शक है......।
यहां का माहौल, यहां के लोगों की सोच बदलनी होगी।
हमें इंसान को इंसान समझना हैं, उसे सम्मान देना हैं, वहां के लोगों को समझना होगा कि इंसान के हृदय में प्रभू विराजते हैं। वे सिर्फ मंदिर में ही नहीं हैं, इंसानियत को प्रकाशित करना होगा। तथा इन कार्यों के लिए मुहिम चलाना चाहिए, जमिनीत स्तर पर लोगों को जागरूक करना होगा और यह काम लगातार महिनों, सालों चलाना होगा। जैसे जगह-जगह भजन-कीर्तन, प्रवचन होते रहते हैं वैसे ही सोच को वास्तविक रूप देकर समझना होगा।
सिर्फ पुरुषों को ही नहीं महिलाओं को भी, ताकि आगे वे अपने भावी संतान को सही राह दिखा सके।
कई लोग अच्छी-अच्छी बातें करते हैं, सुविचार,सुपरामर्श व्यक्त करते हैं, बड़े अच्छे-अच्छे शब्दों के साथ पर वही खडीपाई लगा देते हैं।
अपने सम्मान हेतु हम महिलाओं को भी समाज के आपराधिक प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों से सतर्क रहना होगा तथा फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा।
अगर हमें लगता है जंगल में शेर है तो वहां जाना नहीं है। अगर हमें लगता है कि इस बील के अंदर सांप बैठा तो उसमें हमें हाथ नहीं डालना। अर्थात परिस्थिति के अनुसार चलना व  सतर्क रहना ही समझदारी है।
शायद, तभी हमारा और अपनों का जीवन गुलाबी रंग से भरा रहेगा......।
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