सिंगल माता-पिता--------

पुलिस के आने पर होटल के मालिक की मौजूदगी में रुम नं. 310 का दरवाजा तोड़ा गया। अंदर पुलिस को एक युवक और युवती की लाश पड़ी मिली। साथ ही एक सुसाइड नोट भी मिला। 
प्राथमिक जांच से पुलिस को पता चला दोनों ने एक साथ सुनियोजित तरीके से आत्महत्या की थी। शादीशुदा थे। शायद पति-पत्नी होगें। 
सुसाइड नोट में पहले लिखा था, हमारी मौत के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है। हम स्वंय मौत को गले लगा रहे हैं। 
दोनों की उम्र 20-21के आस- पास लग रही थी।  वे होटल वाले शहर के नहीं लग रहे थे। किसी दूसरे शहर से थे। उनके आईकार्ड से पुलिस को इन बातों का पता चला। 
           होटल वाले ने पुलिस को बताया, दोनों न्यूली-मैरेड लग रहे थे। लेकिन सर, आत्महत्या करने के लिए वे यहां आए थे। जरा भी शक नहीं हुआ। देख कर लगा अच्छे परिवार से हैं। बस एक दिन पहले ही आते थे। दूसरे दिन सुबह बाहर नहीं निकले। फिर साफ-सफाई के लिए दरवाजा भी नहीं खोला। हमें लगा नई शादी है...उम्र भी कम है...छोड़ो..... अपने हिसाब से निकलेंगे। पर शाम होने चली... अभी तक बाहर नहीं आए। शक होने लगा तब जाकर थाने फोन किया। 
पुलिस छानबीन कर, लाश ले चली गई। मिले पते पर पुलिस फोन कर घर वालों को थाने बुलाई। 
दूसरे दिन अधेड़ उम्र के पति-पत्नी थाने पहुंचे। वहां उन्हें शवगृह ले जाकर सनाक्त करवाया गया। 
शव देख दोनों के होश उड़ गए। 
वे दोनों अपने-अपने माता- पिता से कह गए थे कि दोस्त के जा रहें हैं। जैसा कि पहले भी जाते आए हैं।
         इधर पुलिस आश्चर्य चकित हो गई। उसकी कुर्सी हिल सी गई। जब उन्हें युवक और युवती के बारे में पता चला। 
पति ने बताया ये दोनों हमारे बच्चे हैं। रिश्ते में भाई- बहन लगते हैं।
दरअसल, यह युग का परिणाम है। आजकल इंसान की जिंदगी भागदौड़ और व्यस्तता से भर गया है। हर वर्ग के अधिकांश नारी-पुरुष कमाई को अपना लक्ष्य बना लिए हैं। अपना-अपना कैरियर बनाने में लगे हैं। आजाद जिंदगी जीने की चाह रखते हैं।
रिश्ते, पारिवारिक परम्परा, जिम्मेदारी आदि से अपने को अलग करते जा रहे हैं। पहले संयुक्त परिवार हुआ करता था लेकिन आज ऐसा बहुत कम मिलता है। एकाकी जीवन जीने की सोच ने घर बना लिया है। 
कमाई के चक्कर में कई पति-पत्नियों को अलग रहना पड़ता हैं। जिससे रिश्तों में फर्क आता रहा है। शादीशुदा जिंदगी में इसका बुरा प्रभाव पड़ता दिख रहा है। अनेक शादियां असुरक्षित हैं या टूटती जा रही हैं। ऐसे में नारी-पुरुष शादी की जिम्मेदारी को नापसंद कर रहे हैं।
कमाऊ, पढ़े-लिखे, खुली सोच वाले लोग भविष्य के लिए सिंगल माता- पिता की चाह रख रहे हैं। और वे ऐसा कदम उठा भी रहे हैं। 
विज्ञान, चिकित्सक विभाग तथा कानून की ओर से सहयोग भी मिल रहा हैं। 
शादी के लिए वे बाध्य नहीं हैं। ऐसा उनका मानना हैं। 
ऐसी ही आजाद जिंदगी के बारे में, थाने में बैठे अधेड़ उम्र के पति-पत्नी ने भी सोचा था। 
दोनों अच्छे पदों पर नियुक्ति थे। आत्मनिर्भर थे। 
पढ़े-लिखे, आधुनिक सोच और आजाद जिंदगी जी रहे थे। उन्होंने शादी नहीं की पर अपनी-अपनी जिंदगी में सिंगल माता-पिता बने। 
अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देने लगे। जिंदगी पटरी पर अच्छे से चल रही थी।
लेकिन एक समय आया जब प्रकृति के नियमानुसार उम्र का एक पड़ाव पार किया। शरीर में ताकत कम होने लगी। किसी ने दिमाग में जीवन साथी की दस्तक दी। 
उन्होंने सोचा बच्चे बड़े हो रहे हैं हो सकता है विदेश पढ़ने जाए.... या फिर अपने शादी- ब्याह के बारे में सोचें... शायद उन्हें ऐसी जिंदगी पसंद हो...तब जीवन एकल हो जाए तो....?
बढ़ती उम्र में अकेलेपन की चिंता....। जो जरुरी भी है और दुखदाई भी।
उम्र के इस मोड़ पर आकर कुछ और सोचा.....।
पति ने अपनी बेटी से पूछकर अपने जीवन-साथी के लिए अखबार में विज्ञापन दिया और पत्नी ने अपने बेटे से पूछकर अखबार में दिये विज्ञापन में संपर्क किया। 
इधर दोनों बच्चे अपने माता-पिता के जीवन की व्यस्तता के चलते कम उम्र में ही एक दूसरे के संपर्क में आ गए थे। यह संपर्क उनके अकेलेपन और सूनेपन को दूर करता था। जीने को प्रेरित करता था। अतः दोनों अपने-अपने माता-पिता के, जीवन-साथी की सोच में बांधा न बने। 
उधर माता- पिता को अपने-अपने बच्चों की यह खबर नहीं थी। वे अंजान थे कि दोनों के बीच प्रेमी- प्रेमिका का रिश्ता हैं। इधर बच्चें भी नहीं जानते थे कि उन दोनों के माता-पिता एक-दूसरे के जीवन साथी बनने जा रहे हैं।  
सारी बातें हो जाने के बाद उन्होंने अपने हम उम्र के चार लोगों को साथ ले मैरेज ऑफिस जाकर कोर्ट-मैरिज कर ली और पास ही के एक रेस्टोरेंट में जाकर खाया। 
इस प्रोग्राम में दोनों के बच्चें शामिल नहीं थे।पर उन्हें मालूम था।
शायद, अपनी-अपनी जगह सब बड़े थे.....।
दो दिन बाद पति, अपनी पत्नी और उसके बेटे को साथ ले अपने घर आये। उन्होंने अपनी बेटी को बुलाकर परिचय करवाया। दोनों बच्चे अवाक हो एक-दूसरे को देखने लगे। 
उन्होंने कहा- आज से हम चारों, यहां एक साथ मिलजुल कर रहेंगे। ये, आपकी मां और यह आपका भैया। 
मां ने आगे बढ़कर बेटी के सिर पर हाथ फेरते हुए उसे प्यार किया।
 फिर बेटे से बोले- बेटा! ये आपकी बहन और मैं..
बीच में ही बेटा आश्चर्य हो पूछा- ये आपकी बेटी है?
       दोनों बच्चे अजीब उलझन में फस गए। वे सोचने लगे ये क्या हुआ?
जैसे-तैसे दिन बीतने लगे। मां-बाप की शादी के महिने भर बाद बेटा और बेटी दोनों बाहर मिले। और बेटे ने उससे कहा- ये हमें भाई-बहन के रिश्ते में कैसे बांध सकते हैं? हमें भाग जाना पड़ेगा।
ऐसा सोच, दोनों दो दिन बाद घर से निकल गये।
मंदिर में शादी की और दूसरे शहर के होटल का कमरा बुक करवाया।
एक दिन होटल में रुके पर उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। आगे कैसे क्या करें? कफि उलझन में फस गए थे।अन्त में दुनिया छोड़ने का निर्णय लिया और सूसाइड नोट लिख ज़हर खा लिया।
चढ़ते सूरज की रोशनी में जोश था। तब चारों ओर प्रकाश ही प्रकाश था। पर ढलती सूरज की रोशनी में होश आया, तो वो बच्चों के चिंताओं के साथ भस्म हो गया। और आत्मनिर्भर-जीवन का चेहरा ही बदल गया.....।
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