हृदयाघात, गोल्डन-आवर्स -------

हृदयाघात से मतलब "दिल के दौरे" से है।
यह किसी भी व्यक्ति को अचानक से हो सकता है। इसलिए इसकी जानकारी के साथ सतर्क रहना बहुत जरूरी है।
अगर किसी व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ता है तो उसके तुरंत बाद के दो घंटे उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। जिसे "गोल्डन-आवर्स" कहा जाता है।
विशेष समीक्षा के दौरान पता चला है कि भारत में करीब 20लाख लोगों की मृत्यु हृदय संबंधी बीमारी से हो जाती हैं। इसमें करीब 40%लोगों की मृत्यु हृदयाघात से होती हैं तथा इनमें से प्रत्येक वर्ष 10%मृत्यु "अचानक हृदयाघात" से होती हैं। जिनकी उम्र 55वर्ष से कम की होती हैं। 
इस बीमारी के बारे में हममें से अधिकांशों को इसके बारे में ठीक से नहीं मालूम और न ही हम सचेत हैं। 
      इसके लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए- 1)पहली बात यह बीमारी क्या है और किसे कहते है? जो जानना बहुत जरूरी है.....।
किसी स्वस्थ व्यक्ति के अचानक से दिल का धड़कना बंद हो जाए और वह वेहोश हो जाए तो उसे "अचानक हृदयाघात" कहते है। ऐसे में उसके हृदय की कोशिकाएं काम करना बंद कर देती है।
2)कैसे लोगों को इस तरह का खतरा हो सकता हैं, यह जानना भी जरूरी है- डाक्टरों के मुताबिक जिन लोगों के शरीर में कुछ समस्याएं जैसे, कोलेस्ट्रॉल,सुगर, हाईपरटेंशन, थाइराइड हैं तथा  जो लोग शारीरिक परिश्रम नहीं के बराबर करते हैं यानि की एक्टीभ नहीं रहते, ऐसे पचास साल के अधिक उम्र वाले व्यक्तियों को "अचानक हृदयाघात" का रिक्श रहता हैं।
उनका हृदय ठीक से काम नहीं करता। इसी कारण उन्हें यह अटेक करता है.....।
3) "अचानक हृदयाघात" के, विशेष लक्षण महसूस किए जाते हैं जिस ओर ध्यान देना अति आवश्यक हैं- जिनमें उपयुक्त समस्याएं हैं, वे अगर सिने में दर्द, जोर-जोर से दिल का धड़कना, थकान, कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत, पेट की गड़बड़ी आदि महसूस करें तो उन्हें डाक्टरों की सलाह लेनी चाहिए। 
चालीस वर्ष के उम्र वाले व्यक्तियों को भी यह बिमारी हो सकती हैं। उसका कारण जीवन शैली तथा जीवन में अत्यधिक तनाव, दबाव, परेशानी हैं।
4)इस बीमारी से बचने के प्रथामिक उपाय जानना आवश्यक हैं- इससे बचने के लिए सालाना चेक-अप की आवश्यकता है। जो व्यक्ति उपयुक्त लक्षण महसूस करते हैं। उन्हें नियमित रूप से डाक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। ताकि डाक्टर उन्हें सलाह देते रहे और जरुरत पड़ने पर इलाज कर स्वस्थय रख सकें।
जिन व्यक्तियों के शरीर में सुगर, कोलेस्ट्रॉल, हाईपरटेंशन, थाइराइड बगैरे हैं, खासकर उन्हें हमेशा सतर्क रहना चाहिए। उन्हें अपने प्रति उदासीनता नहीं होना है।
"अचानक हृदयाघात" जिन्हें हो गया हो उन्हें समय न गवाएं तुरंत अस्पताल या पास के किसी नर्सिंग में ले जाना चाहिए। क्योंकि डाक्टरों के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को अचानक हृदयाघात हो जाए तो उसके अगले दो घंटे बहुत महत्वपूर्ण है उसके जिंदगी के लिए।
हार्ट-एटक के बाद के दो घंटे को डाक्टरी भाषा में "गोल्डन-आवर्स" कहा जाता है। कारण हार्ट-एटक से जितनी भी मौतें होती हैं, वो इन्हीं दो घंटों में हो जाती हैं। इसलिए अगर इन दो घंटे के भीतर ही मरीज को डाक्टर के पास लाया जाय तो मौत को रोका जा सकता है। 
किसी भी कारण से ये दो घंटे का अनमोल समय नष्ट नहीं करने चाहिए। मरीज़ के लिए यह समय जिंदगी और मौत का हैं। अतः मरीज और परिवार वालों को सतर्क रहना चाहिए। लक्षणों पर ध्यान देते रहना चाहिए। तथा चेकअप करवाना न भूलें। सबसे महत्वपूर्ण बात "गोल्डन-आवर्स" को हमेशा याद रखना है और दूसरों को भी इसकी जानकारी देनी चाहिए। 
किसी एक व्यक्ति पर और का भी जीवन निर्भर करता है इसलिए हमें अपने साथ-साथ दूसरों के लिए भी जीना है, स्वस्थय रहना है।
                         _______________