महादान--------

हम जानते हैं, इंसान की "जिंदगी' बहुत ही मूल्यवान हैं। फिर वो चाहे किसी भी परिवार, समाज, जाति, धर्म, अमीर, गरीब,दरिद्र, देश या राष्ट्र का क्यों न हो.....। मानव जीवन अनमोल हैं।
लेकिन कई लोग इस महत्त्व को मान देते हैं व कई लोग नहीं देते। 
जीवित कालिन "परोपकार" करना, मानव के "नैतिक कर्तव्यों" में पड़ता हैं.....इंसान अपनी "इंसानियत" को साबीत करता हैं परोपकार कर....। पर मरने के उपरांत भी इंसान अपने इंसानियत धर्म का पालन कर सकता हैं।
मन में सवाल पैदा हो सकता है...वो कैसे? मरने पर तो सब कुछ खत्म हो जाता हैं। फिर यह कैसे संभव है?
जी हां, यह संभव है। इस वैज्ञानिक युग में यह भी संभव है। बस जीते-जी एक "प्लेज-फार्म" भर कर....। महादान कर....। आर्गनस दान कर...।

       अंगदान के मामले में विश्व के उन्नत देशों में भारत अभी भी काफी पिछे है। इसका मूल कारण, जागरूकता और कुसंस्कार हैं। हमारे समाज में तरह-तरह की भ्रान्तियां हैं। धर्म भी आड़े आता है।

अंगदान करने के पिछे हमारे देश और समाज में अनेक तर्क हैं। जैसे कई लोगों का मानना हैं- इस जन्म में अगर कोई व्यक्ति अपना जो अंग दान करेगा, अगले जन्म में उसे उस अंग के बिना ही जन्म लेना पड़ेगा। फिर किसी "ब्रेन-डेथ" मरीज के परिजनों को उसके अंग दान करने को अनुरोध किया जाता है तो अधिकतर परिवार वाले इसके लिए तैयार नहीं होते। क्योंकि उनका मानना हैं, अगर फिर से दोबारा मरिज का ब्रेन सुचारू रूप से चलने लगे तो....? इस तरह के अनेक कारणों से भारत पिछे है। 

जीवित व्यक्ति जीते-जी अपना रक्त(खून) दान कर सकता है। इसके अलावा किडनी और लीवर भी दान कर सकता हैं परंतु "ब्रेन-डेथ" व्यक्ति किडनी, लीवर, हार्ट, फेफड़े,नेत्र जैसे अपने शरीर के कई अंग दान कर सकता है। जिससे आठ जिंदगियों को नया जीवन मिल सकता हैं। 

किसी भी उम्र में अंग दान किया जा सकता है। उम्र कोई बाधा नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को सूगर या हाई-प्रेशर जैसी बीमारी है, तो भी वह अपना अंगदान कर सकता है। कोई रोक नहीं है। डॉ से इस बारे में जानकारी ली जा सकती है
 
जीवित कालिन कोई भी व्यक्ति "अंगदान" अर्थात "अॉर्गन डोनेट" करने के लिए "प्लेज-फार्म" भर कर रख सकता है। मृत्यु उपरांत उसके आर्गन (अंग) दूसरों की जिंदगी बचा सकता हैं। इसलिए अंगदान को "महादान" माना जाता है.....।

        मनुष्य को ईश्वर ने बनाया है। जिसकी हम पूजा करते हैं। ईश्वर के बाद हम डाक्टर को भगवान का दूसरा रूप मानते हैं। कारण इलाज कर वे हमें बचाते हैं। नया जीवन देते हैं।
         अब इस वैज्ञानिक युग में तीसरे स्थान पर खुद इंसान, जो मृत्यु के बाद "आर्गन-डोनर" के रूप में कई जिंदगियों को बचा कर, उस परिवार के लिए ईश्वर का एक और रुप बन सकता हैं।

साधारण से साधारण परिवार के लोग भी "आर्गन-डोनर" बन सकते हैं। बसरतें कि हम जागरूक हो अपनी सोच बदले। लेकिन लोगों की सोच बदलने के लिए स्वस्थ्य-विभाग तथा सामाजिक कार्यकर्ता को आगे आना पड़ेगा। समाज के लोगों को समझना पड़ेगा। अंगदान के प्रति लोगों के मन में उठ रहे सवालों का जवाब दे। उन्हें जागरूक करना होगा। उनकी शंकाओं और भ्रांतियों को दूर करना होगा। समाज के लोगों में अंगदान के प्रति एक आंदोलन फैलाना होगा। ताकि अधिक से अधिक लोग महादान का हिस्सा बन सके। 

भारत का प्रथम अंगदान, किडनी था। जो 1997 में दान किया गया था। वह सफल भी रहा। चिकित्सा विभाग के अनुसार आर्गनस डोनेशन की काफी डिमांड हैं। पर और जगहों की तुलना में भारत में जो नहीं के बराबर है। इसलिए हमारे डाक्टरों के हाथ से कई जिंदगियां फिसल जाती हैं। दूसरी ओर नये "ब्रेन-डेथ" मरिजों को डोनर भी नहीं बनाया जा सकता। दोनों तरफ़ से डॉक्टरस अफसोस कर रह जाते हैं। सिर्फ हमारे जागरूक न होने की वजह से......।
वैसे इन दिनों कुछेक हार्ट बदले जाने की बातें सामने आती हैं परन्तु इस बीच कोरोना महाकाल में यह भी बंद सा हो गया है। यह समय काफी चुनौतीपूर्ण रहा। हर तरफ से। इस साल (2020) आर्गनस (अंग) संग्रह हुआ ही नहीं या यूं कह सकते हैं पहले की तुलना में और भी कम हुआ है। 

वैसे सुनने में आया है स्वास्थ्य विभाग इस ओर विशेष कदम उठा रही है। लोगों को कुसंस्कार और सामाजिक परम्पराओं के साथ ही साथ धर्म जैसी गंभीर समस्याओं से बाहर निकालने की सोच रही हैं। इसके अलावा इस विभाग ने "जी.आर.पी.'' के साथ सम्पर्क किया है। जिससे उम्मीद कर रहे हैं आर्गेन-डोनर की संख्या में वृद्धि हो सकती हैं।
          इस देश और समाज के लोगों को भी अपनी ओर से समझना चाहिए तथा अपनी तरफ से एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। क्योंकि हो सकता है, शायद कभी हमारे ही परिवार के किसी को अंग बदलने की जरूरत आन पड़े जिससे उसे पुनः नया जीवन मिले। आम तौर पर देखा गया है कई मरीजों को खून की जरूरत होती है और परिवार वाले उसके लिए बहुत परेशान होते हैं। 
          खैर, हम सबों को अपनी ओर से समझना होगा- अंगदान महादान है....।
          अक्सर हम दान-पुण्य करते हैं। रुपए-पैसे, कपड़े-लत्ते, सोना-चांदी,भोजन सामग्री,
जमीन-जायदाद आदि इस प्रकार की अनेक चीजें गरीबों में, संस्थाओं में, मंदिरों में दान दिया करते हैं।पर इन सबों से ऊपर ....अंगदान हैं। जो महादान माना जाता है...।
   इस बारे में हमें सोचना चाहिए.....।

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