ब्लेक-फंगलस...............

ब्लेक फंगलस यानी काली फफूंदी। जो एक प्रकार का संक्रमण रोग है तथा यह एक तरह के जीवाणु से फैलता है।
2020 के इस कोरोना महामारी काल में, अब यह एक नई समस्या सामने आई है।

फफूंदी- खाने की चीजों में, पेड़-पौधों में, जीव-जंतुओं में तथा मानव शरीर में भी अपना असर छोड़ता हैं। यह बीमारी साधारण और आम है। परन्तु इसका असर काफी गंभीर हो सकता है।  जो समस्त स्तरों के लिए जानलेवा हो सकता हैं। 

फंगल कई प्रकार के दिखाई देते हैं- लाल, सफेद,काले आदि रंगों के चक्ते या धब्बों के रूप में दिखाते हैं।

फंगल लगने का मैन कारण गीलापन या नमी है। इसके जीवाणु "मानसून" के समय बड़ी तीव्रता से अपना असर दिखाते है। यह रोग मानसून में तेजी से फैलता है। 

फंगलस, मनुष्य के शरीर में बाहरी तथा भीतरी दोनों ओर लग सकते हैं। 
भीतरी ओर कभी-कभी फंगल लग जाते हैं। बाहरी ओर का पता हमें चल जाता है परन्तु भीतरी फंगलस का पता डॉक्टर के पास जाने से ही लगता है। कुछ लक्षणों और टेस्ट के जरिए। 
शरीर के बाहरी ओर त्वचा, हाथ-पांव की अंगुलियों में,  मुंह, नाखूनों में देखने को मिलता हैं। जो चक्तों, दाद, खाज खुजली के रूप मेें दिखाई देता हैं। 

फंगलस संक्रमण से निजात पाने के कुछ उपाय हैं।
बाहरी संक्रमण के लिए कई स्प्रे, लोशन, क्रीम, शैम्पू, दवाएं इंजेक्शन आदि पाए जाते हैं। जिन्हें लगातार उपयोग करते रहने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा कुछ घरेलू उपाय भी होते हैं- कपूर, गंधक, हल्दी, लहसून, तेल इस तरह की चीजों के प्रयोग से फंगलस दूर होते हैं। परन्तु डॉक्टर साहब की सलाह लेना उत्तम हैं। 
शरीर के भीतरी फंगलस से बचने के लिए एक मात्र उपाय डाक्टर ही हैं।  जिसका परामर्श लें और इलाज करवाये। वरना शरीर के भीतरी फंगलस संक्रमण से बहुत नुक्सान पहुंच सकता हैं।

इन दिनों अर्थात दिसंबर (2020) महीने में फंगलस की एक नई बात सामने आई है। जो बहुत ही डराबनी व चिंताजनक हैं। "ब्लेक फंगलस......।"

पिछले आठ-नौ महिनों से कोविड-19 ने हमारे जीवन में आतंक फैला रखा है। पर चिकित्सा विभाग की प्रचेष्टा से हम काफी उभर चूके हैं। काफी हद तक सफल हुए हैं। अचानक इसी बीच देश की राजधानी दिल्ली के डॉक्टरों से इस बात का खुलासा हुआ है कि जो कोरोना पाजेटीव मरीज, कोरोना नेगेटिव हो स्वस्थ्य हुए हैं उनमें से अधिकांश मरिजों को "ब्लेक फंगलस" संक्रमण हो रहा हैं। जिससे वे अपनी आंखों की रोशनी खो रहे हैं। 
इ.एन.टी. (ENT) डॉक्टर्स के मुताबिक उनके पास आये मरीज जब अपनी परेशानी बता रहें हैं कि, मुंह में सुजन है, आंखें लाल हो गई है तब टेस्ट से पता चल रहा हैं "ब्लेक फंगलस संक्रमण" से वे संक्रमित हैं। और उन्हें कोरोना हुआ था पर अब ठीक हैं। 
ऐसे लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। इससे कईओं ने अपनी आंखों की रोशनी खो दी हैं।

डॉक्टर्स के मुताबिक साधारण तौर पर यह ब्लेक फंगलस के जीवाणु गन्ने की खेतों में पाये जाते हैं पर अब ये हवा में उड़ रहे हैं। मानसून के मौसम में ये तेजी से फैलते हैं। 

कोरोनावायरस से ठीक हुए लोगों में कमजोरी आ जाती हैं। रोग प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है इसलिए "ब्लेक फंगलस" के जीवाणु इनके सांसों के साथ हवा से नाक में प्रवेश कर उन्हें संक्रमित कर रहे हैं।

कोरोनावायरस से हम काफी हद तक सफल हो गए हैं इसलिए जरा लापरवाह हो गए हैं। इधर मानसून भी आ गया है जिससे इस फंगलस का प्रभाव बढ़ गया है। अतः पिछले कुछ दिनों से "ब्लेक फंगलस" का खतरा मंडराने लगा है। 

डॉक्टर्स के लिए फंगलस बीमारी नई नहीं है परन्तु कोरोनावायरस से उबरने वाले व्यक्तियों में हो रही फंगलस आक्रमण जो आंखों की रोशनी छीन रहीं हैं, उससे डॉक्टर्स अवश्य काफी चिंतित हैं। कारण यह जीवाणु सांसों के साथ नाक और आंखों से होते हुए मस्तिष्क तक पहुंच कर अपना असर दिखाता हैं। जिससे व्यक्ति की मौत हो जाने की संभावना बन जाती हैं। 

कोरोना हमारे देश से अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। इसी बीच ब्लेक फंगलस की नई मुसीबत आ पड़ी है। इसलिए डॉक्टरों का कहना हैं- माक्स का युज अवश्य करें। नाक-मुंह को खुला न छोड़ें तथा उसके बाद भी अगर किसी की आंखें लाल हो गई है, नाक बंद हो गया है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है, गाल (जबड़ा) में सूजन आ गई हो, नाक में काली या भूरी परत नज़र आये तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। टेस्ट के जरिए ब्लेक फंगलस का पता लगेगा और इलाज के दौरान ठीक होगें।

इस मामले में जरा भी लापरवाही न बरतें। वरना आंखों की रोशनी खो सकते हैं और अगर फंगलस के जीवाणु दिमाग़ तक पहुंच जाए तो मौत भी हो सकता हैं। 

अतः डॉक्टर्स के सलाह अनुसार "काली फफूंदी" संक्रमण से हमें सावधान रहना चाहिए........।

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