ई-पुण्यस्नान------------

जन आस्था को ध्यान में रखते हुए पं.बंगाल सरकार ने "गंगासागर ई-पुण्यस्नान" की व्यवस्था की है। हमारा मानना है गंगा जल या इसकी कुछ बूंदें, हमें पवित्र और शुद्ध कर देती हैं।
इसलिए इस तरह का कदम उठाया गया है......।

बचपन से सुनते आए है- सारे तीरथ बार बार......,
                                   गंगा-सागर एक बार......।
एक जमाने में यह बात शत-प्रतिशत सही थी। कारण स्थल दुर्गम मार्ग तथा जल दुर्गम मार्ग द्वारा कई दिनों की यात्रा तय कर लोग गंगासागर पहुंचते थे। तब साधन भी कम थे। नहीं के बराबर, बहुत मुश्किल से पहुंचते थे.....पर, अब वह बात नहीं रही। दिन-प्रतिदिन उन्नति होने के कारण काफी हद तक समस्याओं का समाधान हुआ हैं। अब भारत के किसी भी कौने से, आसानी से, कम समय में गंगासागर पहुंचा जा सकता है। बावजूद उसके यह तीर्थ, और तीर्थ-स्थलों से हट कर है।

दूसरे तीर्थों की बात करें तो, हम कभी भी, किसी भी दिन जा सकतें हैं। परन्तु यह तीर्थ एक ऐसा इकलौता तीर्थ-स्थल है जहां हर राज्य से, देश के कौने-कौने से लोग एक ही दिन यहां आकर स्नान करते हैं। मकर संक्रांति के ही दिन हजारों-लाखों की संख्या में लोग आते हैं और पुण्यस्नान का लाभ उठाते हैं। इस तीर्थ में इसी एक दिन का महत्व माना जाता है। भाग्यशाली ही इस तीर्थ का लाभ उठा पाते हैं।

हिन्दू धर्म तथा शास्त्रों के अनुसार गंगा और सागर के इस मिलन स्थल पर मकर-संक्रांति के दिन स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती हैं। इसलिए इस एक दिन का अत्यंत महत्व माना जाता है।

स्नान के बाद यज्ञ, हवन और दान आदि कर पुण्य कमाते हैं। इसलिए गंगासागर के स्नान को पुण्यस्नान कहा जाता है। यह हमारे विश्वास, श्रद्धा और आस्था से जुड़ा हैं।

मकरसंक्रांति के दिन इस स्थल पर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं रहता। सब एक साथ डुबकी लगाते हैं। चाहे वह किसी भी उम्र या जाति का हो, गरीब या धनी हो, काला या गोरा हो, नारी या पुरुष हो....सब एक हैं.... ऐसा मिलन स्थल कहीं ओर शायद नहीं है।

कपिल देव मुनि जी का मंदिर यहीं है। ऐसा कहा जाता है पहले किसी जमाने में यह मंदिर सालभर गंगा-सागर के जल में समाया रहता था और मकर-संक्रांति वाले दिन यह जल के ऊपर आ जाता था। मंदिर से जल उतर जाता और लोग इसका दर्शन करते थे। मगर अब यह बात नहीं रही। अब तो बारों महिने, तीनों दिन मंदिर जल के बाहर ही रहता है।
कई बदलाव हुए हैं परन्तु हमारे आस्था और विश्वास में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसलिए गंगासागर पुण्यस्नान का महत्व हमारे हिन्दू धर्म में विशेष है। 

कपिल देव मुनि के मंदिर को घेरे इस समय विशाल मेला लगता है। कितनों को रोजगार का अवसर मिलता हैं। तीर्थयात्रियों की सेवा के लिए कितने सेवा संस्थाओं को मानव सेवा का मौका मिलता हैं। ये संस्थाएं अपने-अपने तरीके से नि: शुल्क सेवा उपलब्ध करते हैं। नाश्ता, पानी, भोजन, कम्बल, वस्त्र, चिकित्सा व्यवस्था, दवाएं आदि इस तरह के अनेक सेवाएं करती हैं। इनकी आस्था पुण्यस्नान के साथ-साथ मानव सेवा में भी है।

लेकिन विश्व के साथ कोरोना संक्रमण का प्रभाव, पं.बंगाल में भी पड़ा है। अतः इस वर्ष गंगासागर पुण्यस्नान और वर्षों की तुलना में जरा अलग है। 

चूंकि, इस तीर्थ-स्थल पर लाखों की संख्या में लोग आते हैं और सुबह से शाम तक करीब-करीब एक साथ स्नान करते हैं। इसी कारण इस बार कोरोना संक्रमण का खतरा नजर आता है। जो सबों के लिए काफी चिंता का विषय हैं। 

राज्य में कोरोना ढिलाई के वक्त यहां कई पर्व और त्यौहार मनायें गये। जैसे- दुर्गा पूजा, काली पूजा, छट पूजा आदि। इसके अलावा अन्य धर्मों को मानने वाले समुदाय के लोगों ने भी यहां अपना-अपना पर्व मनाया। सरकार की ओर से कोरोनावायरस के गाईड लाईन को मानते हुए। जिससे इस राज्य में यह संक्रमण अपना पैर ज्यादा पसार नहीं सका। परन्तु गंगासागर में दूसरे राज्यों से लोग इकट्ठे होंगे जो कि सरकार और जनमानस सबके के लिए चिंता का विषय है।

इसलिए पं.बंगाल सरकार ने गंगासागर और मेले के लिए कोरोना संबंधित कुछ नियमों के पालन को अनिवार्य किया हैं। उपस्थित लोगों के लिए कई क़दम उठाए हैं-
१)रेडिस एंटीजेन टेस्ट सेंटर
२)आरटीपीसीआर केन्द्र तथा
३)शरीर के तापमान को मापने की व्यवस्था।
इसके अलावा हर एक को हमेशा माक्स इस्तेमाल करना अनिवार्य हैं। सैनिटाइजर से हाथ साफ  करन, किसी से भी हाथ न मिलाना, कम से कम एक मीटर की दूरी बनाए रखना, डस्टबिन युज करना आदि प्रशासन की ओर से इस तरह की गाइड लाइन जारी की गई हैं। जिसे सभी को मानना होगा। 
अदालत की ओर से इन गाईड लाईनों को हरी झंडी दिखाई गई है। 

इसके अलावा राज्य सरकार की ओर से एक और खास कदम उठाया गया है। जो की काफी सराहनीय है। कोरोना संक्रमण की परिस्थिति में सुरक्षा की ओर ध्यान देते हुए, पुण्यस्नान की विशेष व्यवस्था की गई है। जिससे गंगासागर स्थल पर भीड़ कम होगी। 
दरअसल, इस वर्ष गंगासागर पुण्यस्नान की व्यवस्था अॉन-लाइन की गई है।
      "ई-पुण्यस्नान" की व्यवस्था.......। इससे लोग घर बैठे पुण्यस्नान का लाभ उठा पाएंगे। 

आस्था को ध्यान में रखते हुए अत्यंत कम खर्च में गंगासागर का जल भरा पात्र अॉन-लाइन बुकिंग करवाने से घर बैठे उपलब्ध करवाया जाएगा। तथा कपिल देव मुनि मंदिर का प्रसाद भी मिलेगा।
यह व्यवस्था बुकिंग के माध्यम से होगी।
जिससे भीड़ कम होगा तथा खतरे की संभावना भी नहीं के बराबर होगी।

"ई-पुण्यस्नान" से लोगों की आस्था पूरी होगी, प्रशासन की परेशानी भी कम होगी तथा लोगों में कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा भी टलेगा।

पं.बंगाल सरकार ने यह बहुत अच्छा कदम उठाया है...।
बाकी आगे हर साल गंगासागर पुण्यस्नान और मेला तो होता रहेगा, जैसे वर्षों से होता आया हैं।बस इस बार जरा सावधानी और सचेत रहने की जरूरत हैं........।
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