पृथ्वी का विकल्प, लाल ग्रह---------

भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया (पृथ्वी) में दिन प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ती ही जा रही हैं। पर रहने की जगह सीमित है। जनसंख्या के कारण पृथ्वी के जलवायु, पर्यावरण और ऋतुओं में काफी असर पड़ रहा हैं।

एक जगह ऊंची इमारत बनाकर कई परिवार रह रहे हैं। एक ही ऊंची बिल्डिंग में कई कार्यालय चलाएं जा रहे हैं। खाद्य पदार्थों की पूर्ति करने के लिए एक ही जमीन पर दो-तीन बार खेती की जा रही हैं। जिससे जमीन की उर्वरता और फसलों की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ रहा हैं। जिसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा हैं। कुल मिलाकर पृथ्वी पर बोझ बढ़ता जा रहा है।

कल्पना कीजिए, हममें से कुछ लोग ब्रह्मांड के किसी छोर में जा बसे...... वहां अपना घर, उद्योग, खेती यानी दूसरी दुनिया बसा लिए.....। निचे पृथ्वी पर जो लोग, हमारे परिचित हैं, हमें फोन पर कांटेक्ट करते हैं।वे हमे ऊपरी पृथ्वी पर झूलते हुए फोन पर बात करते नज़र आते हैं। लेकिन किसी को भी गिरने का डर नहीं..... निश्चित हो एक दूसरे से संपर्क बनाए रखे हैं। कभी कोई ऊपरी छोर वाली दुनिया में जा रहा है तो कभी कोई और..... कितने मजे की बात है न....?

मुझे कल्पना करना और जगकर सपने देखना बहुत अच्छा लगता है। काफी खुशी होती हैं।
और आप लोगों को.....?
जरुर होती होगी......।
           
    लेकिन महाशय, विज्ञान युग है....  कहीं हमारे कल्पना के मुताबिक ही ऐसा कुछ न हो जाए.....! विज्ञान रुपी चमत्कारी छड़ी ने हमें अनेक अकल्पनीय भौतिक सुख-सुविधाओं को परोसा हैं। जिसे हम भोग रहे हैं.....

देखिए, मेरी बात, मैं आप तक पहुंचा रही हूं और आप लोगों की बातें मुझ तक आ रही हैं। यह भी इसी का ही तो फल हैं.....। क्या हमने कभी ऐसा सोचा था....? कोई किसी को पहचानते नहीं हैं लेकिन संदेह एक-दूसरे के पास घर बैठे ही पहुंच रहा हैं।

पृथ्वी की जनसंख्या के बोझ को ध्यान में रखते हुए मानव समाज का एक विशेष वर्ग अर्थात विज्ञान से संबंध रखने वाले वैज्ञानिकों का युगों से प्रयास रहा हैं कि, इसका हल कैसे निकाला जाए .....?

प्रकृति के इस "विशाल ब्रह्मांड" में कहां जीवन है....?इस बारे में हम नहीं जानते। अगर जानते हैं तो सिर्फ पृथ्वी और उसी के जीवन के बारे में जानते हैं। परंतु  विज्ञान विभाग व अंतरिक्ष से जुड़े वैज्ञानिकों का सोचना है, ब्रह्मांड में पृथ्वी के अलावा और कहां जीवन है....? खोजना...।

समय-समय पर वे जानने की कोशिश करते रहते हैं। कभी थोड़ी उम्मीद जगती है तो कभी असफल होते हैं। लेकिन प्रयास जारी रही......। 

अभी हाल ही में वैज्ञानिकों का यह प्रयास सफल हुआ। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ ही साथ पूरी दुनिया में खुशी की लहर फैल गई.......।

पृथ्वी के अलावा और कहा जीवन अवस्थित है यह जानने के लिए अमेरिकन अंतरिक्ष एजेंसी से जुड़े वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह अर्थात लाल ग्रह का अभियान चलाया। 
जैसा कि हम जानते हैं मंगल एक ग्रह है, उसे लाल ग्रह से भी जाना जाता है। 

पृथ्वी के अनेक देशों ने मंगल ग्रह अभियान की कोशिश की है। अंततः "अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी" के वैज्ञानिकों की प्रचेष्टा 2021के फरवरी को रंग लाई।
दरअसल, छः पहियों वाला उपकरण "नासा यान" लाल ग्रह (मंगल ग्रह) के वायुमंडल को पार करता हुआ उसकी सतह पर सफलता पूर्वक उतरा। मंगल ग्रह की सतह से पृथ्वी (धरती)तक यह खबर पहुंचने में करीब ग्यारह से बारह मिनट का समय लगा। 

जोखिम भरा यह अभियान ऐतिहासिक और महत्व पूर्ण है। जो कि वहां से कई जानकारियां एकत्रित करके लाएगा। ग्रह से चट्टान लाने का प्रयास किया जाएगा। जिससे पता चलेगा कि लाल, मंगल ग्रह पर कभी कोई जीवन था या नहीं.....?

शायद पृथ्वी के विकल्प की ओर एक कदम आगे बढ़ा है....।

वैसे वैज्ञानिकों का अनुमान है कि मंगल ग्रह में आज से तीन-चार अरब पहले जब वहां पानी बहता था तब जीवन रहा होगा। इस सफल अभियान से वैज्ञानिकों को आशा हैं उन्हें अपने सवाल (जीवन)का जवाब अवश्य मिलेगा तथा उन्हें उम्मीद भी है, अब विज्ञान अपना चमत्कार दिखाना शुरू करेंगा।

इस परियोजना से जुड़े एक वैज्ञानिक का कहना है- अब हमें अति शीघ्र पता चल जाएगा कि इस विशाल ब्रह्मांड में सिर्फ हम ही अकेले नहीं हैं। यानी पृथ्वी के अलावा और भी कहीं जीवन है।

इस अभियान से जुड़ी एक अत्यंत खुशी और गर्व की बात हम भारतीयों के लिए अलग से हैं। क्योंकि इस अभियान का नेतृत्व "भारतीय मूल" की एक "महिला वैज्ञानिक" ने किया है......।

जब उनकी उम्र एक वर्ष थी तब वो अपने माता-पिता के साथ अमेरिका पहुंची थीं। वही उनकी परवरिश हुई। अमेरिकी के वाशिंगटन में पढ़ी-लिखी और बड़ी हुई। अमेरिकी से ही उन्होंने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में स्नातक किया फिर अंतरिक्षयानिकी में एम.एस. तथा पीएचडी की। इसके बाद वहां के ही वैज्ञानिक एजेंसी के साथ जुड़ गई।

लाल मंगल ग्रह की सतह पर नासा यान के सफलतापूर्वक उतरने की घोषणा सबसे पहले इन्होंने ही की और खुशी से झूम उठी।

अमेरिकन अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों को बहुत खुशी हुई। पर हम भारतीयों को दोहरी खुशी हुई।इस टीम में एक भारतीय मूल की महिला जो शामिल है.....।

इस टीम के समस्त वैज्ञानिकों को उनकी सफलता पर बधाई..... साथ ही इस टीम की महिला वैज्ञानिक को "महिला दिवस" (8मार्च) सह, इस सफलता के लिए ढेरों शुभकामनाएं.......।

                          _______________