घर से श्मशान तक--------

समस्त प्रिय पाठक साथियों से निवेदन है कि इस महामारी संकट काल में कोरोनावायरस के प्रति उदासीनता न दिखाएं। हमारी लापरवाही हमें घर से श्मशान तक ले जा सकती है।
सुनने में बुरा लग रहा है पर काफी हद तक यह सच है....।

ऐसा नहीं है कि हम सब के सब इसके प्रति उदासीन हैं, पर हममें से ही कुछ ऐसे हैं, जो वाकई उदासीन हैं।

एक की लापरवाही, कईओं को अपने चपेट में ले सकती हैं और ले भी रही हैं। 

कोरोना महामारी की "दूसरी लहर" आने के पिछे असावधान होना, लापरवाही करना, उदासीन होना व अपने व्यवहार में बदलाव लाना मुख्य हैं। कुछ विशेषज्ञों का ऐसा मानना हैं..।

2020 का महामारी और 2021के दूसरी लहर के महामारी में काफी फर्क है तथा बदलाव भी है। जिस तरह हममें, इसके प्रति बदलाव लाया है वैसे ही कोरोनावायरस ने भी अपने में बदलाव किया है। 
पहली चरण की तुलना में दूसरी चरण का प्रकोप अलग है। दूसरी चरण में कोरोना ने बदलते आचरण के साथ तेजी से फैलने की प्रक्रिया शुरू की है।

पहली बार जब यह संक्रमण हमारे सामने आया तब हमारे समझ के बाहर था। थोड़े समय जाने के बाद समझ के साथ हम सिरीयसली सचेत हो एक्शन में आऐ। तब धिरे-धिरे कोरोना संक्रमण से छुटकारा पाने लगे।
 हां, यह बात सच है कि हमें बहुत नुक्सान का सामना करना पड़ा। बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ी। लेकिन महामारी के संकट से हम उभरने लगे। हमने सोचा कोरोना को हमने जीत लिया है.... उसे हमने हरा दिया है। यही सोच कर हमने अपनी-अपनी जगह से लापरवाही करना शुरू कर दिया.... और हम लापरवाह होने लगे। इसके प्रति उदासीन होने लगे।

नेता-मंत्री से मजदूर, उच्च वर्ग से निम्न वर्ग, साधारण से असाधारण, करीब-करीब सभी लोगों में उदासीनता दिखाई देने लगी। बदलाव होने लगा।   

बस, क्या था कोविड-19 को को मौका मिला... दरवाजा खुला था....वह आसानी से अपना रुप और आचरण बदल कर हमारे घर घुस आया.... बड़ी तेज रफ्तार के साथ।

पिछली साल बुजुर्गो पर यह संक्रमण भारी था। पर इस बार नौजवानों और बच्चों पर भारी है।
पिछली बार इसके लक्षण समझ आये थे पर इस बार इसके लक्षण और रफ्तार में काफी बदलाव हैं। 
लोगों में अलग-अलग प्रकार के लक्षण पाए जा रहे हैं। इसलिए समझने में भी परेशानी हो रही है। कभी  सोच रहे हैं मौसम के चलते ऐसा हो रहा है, कभी फ्लू, कभी एलर्जी आदि बातों की ओर हमारा ध्यान जा रहा है। और यहीं हमसे गलती हो रही है.......।

विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारियां प्राप्त कर, परिवार व आस-पास की जानकारियों को अनुभव कर, कोविड-19 के दूसरी लहर की बात करना चाहूंगी।

बात करना चाहूंगी "K-4" की......। 
यानी - किन्हें हो रहा हैं------
          कैसे पता चलेगा-------
          करना क्या है-------------
          कब अस्पताल जाना है--------

पहले बात करते है, कोविब-19 के दूसरे चरण के अंतर्गत किन्हें कोरोना संक्रमण जैसा विचित्र रोग हो रहा है......तो जानकारी के तौर पर हमें मालूम होना चाहिए कि इस बार यह नौजवानों और बच्चों को ज्यादा तर हो रहा है।
पिछली बार बुजुर्गो को होते देखा था। उनमें इलाज रुपी बेरीकेट लगा है। अतः कोरोना वायरस उन तक पहूंच नहीं पा रहा। स्वाभाविक रूप से वे वायरस दूसरी ओर (नौजवान तथा बच्चों) जा रहा है।

अब समझने की कोशिश करते हैं कैसे पता चलेगा कि हम कोरोना से आक्रमणित हुए हैं..... दूसरे चरण में कोरोना ने अपने लक्षण बदले हैं। इसमें बड़ों में अलग-अलग लक्षण देखने को मिल रहे हैं और बच्चों में अलग।

साधारणतः बड़ों में श्वाशतंत्र की समस्या दिख रही हैं और बच्चों में पाचनतंत्र की......

बुखार, खांसी, सिर दर्द, कफ, सांस लेने में दिक्कत, गले में दर्द व खरास, कमजोरी, सर्दी-जुकाम,नाक से पानी निकलना आदि इस तरह के लक्षणों के साथ कोरोना आया है। लेकिन सबों में ये सारे लक्षण एक साथ पाए जाएंगे ऐसा नहीं है। किसी में दो लक्षण दिख रहें हैं तो किसी में चार। फिर किसी में कुछ नहीं।

बच्चों की बात करें तो उनमें उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन तथा अवश्य बुखार के लक्षण दिख रहे हैं।

कोविड-19 के दूसरी लहर में दो प्रकार की दिक्कतें सामने आ रहे हैं। श्वासतंत्र और पाचनतंत्र से संबंधित परेशानी।

इन लक्षणों (कुछ न कुछ)के पाए जाने से जांच के दौरान कोरोना मरिज का पता चल रहा हैं।

इसके बाद जान लेते हैं कोरोना संक्रमित होने से हमें करना क्या है.... माक्स, सैनेटाइजर और सोशल डिस्टेंस की बात सब जानते हैं अतः इस बारे में नहीं बोलूंगी। पर इतना कहना चाहूंगी पहले हमें डॉ की सलाह देनी जरूरी है। 

छानबीन कर मैंने पाया, प्राथमिक तौर पर कोरोना ग्रसित लोगों को आराम करना बहुत जरूरी है। कुछ-कुछ समय पश्चात तरल खाद्य प्रदार्थ का सेवन करते रहना हैं और दर्द निवारक व बुखार की दवा "पेरासिटामोल" लेनी चाहिए। यह दवा दिन में चार बार लिया जा सकता हैं। नुकसान नहीं होता। ऐसा डाक्टरों का कहना हैं। इसके अलावा खाने में जो चिज़ अच्छी लगे खाते रहना चाहिए। ताकि कमजोरी से जुझ सके। भाप लेने से भी काफी राहत मिलती है।

अंत में बात करते है कब अस्पताल जाना चाहिए....इस चरण में व्यक्ति को जब श्वास तंत्र में ज्यादा ही परेशानी हो यानी जब सांस लेने में दिक्कत आ रही हो तथा बुखार अगर 94 डिग्री से ऊपर हो तब तुंरत समय न गवा कर डाक्टर साहब की सहायता से अस्पताल में भर्ती हो इलाज करवाना चाहिए।

दोस्तों पिछले साल परिवार के एक सदस्य को, वो भी अधिक उम्र वाले व्यक्ति को कोरोना संक्रमित होते देखा गया था। परन्तु इस साल कोरोनावायरस की दूसरी लहर में एक के संक्रमित होने से परिवार के सारे सदस्यों को इससे प्रभावित होते देखा जा रहा है तथा इसका प्रभाव तीव्र गति से फैल रहा हैं। पहले से इस साल के संक्रमण में काफी फर्क है। अतः हमें इस संकटकाल में कोविड-19 वाइरस के प्रति उदासीनता दिखाना नहीं चाहिए।

जरा सी लापरवाही हमें अपनों से दूर ले जा सकती है.....।
अतः सावधान और सचेत रहने की जरूरत है.......।

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