फेसबुक-------

इस प्लेटफार्म के माध्यम से हुई एक घटना का जिक्र करना चाहूंगी। शायद मेरी इस घटना से आप सब सतर्क हो सके।  

सोशल मीडिया का यह प्लेटफार्म काफी पपूलर व सबों के पसंदीदा में एक है। 
इसके माध्यम हमें अनेक जानकारियां प्राप्त होती रहती हैं। जो हमारे चरित्र और नैतिकता के विकास में सहयोग करता है। हमारे विचारों और चिंतन को प्रॉलिस भी करता है। 

कई ऐसी तस्वीरों से रुबरु होते हैं, जो हमें चकित कर देता हैं। इसके जरिए, समाज के सच्चे और कड़वे दृश्यों को देखते हैं तथा और भी अनेक जानी-अनजानी बातें फेसबुक में बंद हैं। जो "फेसबुक-दोस्तों" के माध्यम से हमारे सामने आते रहते हैं।

जैसा कि हम सभी जानते हैं हर चीज के दो पहलू होते हैं। फेसबुक के भी है। अच्छी और बुरी......हम किस राह को पसंद करेंगे वो हमारे पर निर्भर करता है।

इन सबों के अलावा फेसबुक में एक विशेष बात है। जिस बारे में कुछ जानकारी देना चाहूंगी और सचेत भी करना चाहती हूं......। 
"विज्ञापन"......जी हां, फेसबुक में दिए गये विज्ञापन।
वो विज्ञापन जो रोजगार व आत्मनिर्भरता से जुड़े हैं....।

दोस्तों, एक उम्र के बाद पैसे कमाने की कोशिश हर कोई करना चाहता है और करता भी..... जो जीविका के लिए अति आवश्यक है। चाहे महिला हो या पुरुष सभी अर्न (कमाना) करना चाहते हैं।

हमारे देश में हमेशा से ही रोजगार एक बड़ी समस्या है।
इन दिनों अर्थात पिछले साल से कोरोना महामारी काल में लॉकडाउन के दौरान यह समस्या और कई गुना बढ़ गई है।
लोगों के रोजगार बंद हो गये है। चारों ओर त्राहि-त्राहि मची है। ऐसे में हर कोई कमाई की कोशिश में है।

इन्हीं बातों को मद्दे नजर रखते हुए फेसबुक के विज्ञापन की बात करुंगी। ये सारे विज्ञापन लोगों को ठगी के लिए है। दस विज्ञापन में से नौ ठगी है। जो आपको ठगने के लिए विज्ञापन देते हैं।

मैं, इस लेख के जरिए अपनी कहानी बताना चाहूंगी। क्योंकि मैं "फेसबुक विज्ञापन" के ठगी का शिकार हुई हूं....। मैं आप सबों को सावधान करना चाहूंगी। ताकि आप विज्ञापन के शिकार न हो...।

विज्ञापन के छलावे में आकर कहीं अपनी कमाई के बदले विज्ञापन दाताओं की कमाई न करवा बैठे.....। जैसा की मैंने किया .....।

इन दिनों घर बैठे या ऑनलाइन कमाई करने का क्रेज काफी है। घर बैठे पार्ट-टाइम, फुल-टाइम रोजगार के अवसर प्राप्त वाले विज्ञापनों की भरमार कई माध्यम से हमारे सामने आते हैं। उनमें फेसबुक अहम है।

बात पिछले महीने की ही है। घर बैठे अंग्रेजी के "स्मोल लेटर" से "कैपिटल लेटर" में लिखने के विज्ञापन (Global Pablicing House)  में मैंने संपर्क किया था। 
    फेसबुक में नाम (महिला का) और नंबर दोनों दिये गये थे। 
 
फोन करने पर किसी पुरुष की अवाज आई। और पता चला वो महिला आज नहीं आई है।

मैडम, आप मुझसे कह सकती है लेखनी के बारे में... 
वो मैडम आपको जो बताएंगी, मैं भी वहीं सारी जानकारी आपको दूंगा......

मैंने उनसे ऑफिस का पता पूछा तो बताया गया, लॉकडाउ में  हम अभी किसी को यहां नहीं बुला रहे हैं। हमारा पूरा काम ऑनलाइन के माध्यम से ही हो रहा है। कोरोनावायरस के चलते अभी यहीं निर्माण लिया गया है। 

मैंने सोचा वैसे भी सारे काम इन दिनों घर बैठे ही हो रहे है। सो मैंने विश्वास कर लिया।

उन महाशय ने कहा- मैडम, आपको वाइबल के सात पेज दिये जाएंगे आप को उन्हें अंग्रेजी के कैपिटल लेटर में लिखकर हमें "वारसेप" के जरिए भेजना है।  20 तक की गलतियों को स्वीकार किया जाएगा और उससे ज्यादा हुआ तो हमारे चार्ट के हिसाब से पैसे काटे जाएंगे। बाकी पैमैंट आपको कर दिया जाएगा। यह सारे काम ऑनलाइन होगा।

मैं, आगे कुछ पूछने वाली ही थी कि उन्होंने कहा- मैं आपके सारे सवालों के जवाब एक-एक कर देता हूं। आप ध्यान से सूने.... मैंने तुरंत कहा, आपसे मैंने अभी कुछ पूछा ही कहा है.... मेरी बातों को काटते हुए बड़े शालिनता से हंसते हुए वे बोले- मैडम, हम दिनभर लोगों को समझते हैं। उनके सवालों का जवाब देते हैं। अतः मैं जानता हूं आप क्या पूछना चाहती है, क्या-क्या जानना चाहती हैं। इसलिए आपके सवाल किए वगैर ही मैं आपको सारी जानकारी देता हूं। आप सुनिए। फिर भी अगर कुछ और बाकी रह जाता है तो पूछ लिजिएगा। 

वे बोले- एक प्रोजेक्ट के आपको 12.500रु. मिलेंगे। जो पांच दिनों में पूरा करना है। प्रोजेक्ट जमा करने के तीन दिन बाद, जांच के पश्चात पैमैंट दिया जाएगा। 

महिने में दो प्रोजेक्ट दिए जाते हैं।आपकी महिने की कमाई घर बैठे बीस-बाईस हजार होगी। गलती-सलती काटकर भी आपको बीस हजार तो मिल ही जाएंगे।

हमारे यहां चार हजार के करीब लोग हैं। स्टूडेंट्स, हाउसवाइफ, रीटायर पर्सन या जो ऊपरी व एक्सट्रा इनकम करना चाहता हैं। इतने लोगों को देना होता है इसलिए हरेक को महिने में दो प्रोजेक्ट ही देते हैं।

आपको ऑनलाइन 1499रु और बोटरकार्ड से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। अगर आप भारतीय है तो ही प्रोजेक्ट का काम सौंपा जाएगा।
रजिस्ट्रेशन करने के दूसरे दिन सुबह दस बजे तक आपको प्रोजेक्ट दे दिया जाएगा। और उसे पूरा कर, कब जमा करना होगा बता दिया जाएगा।
रजिस्ट्रेशन फीस रीटनबल (वापस) है। आपके पहली पैमैंट के साथ हम उसे लौटा देंगे।
यहां तीन साल तक आराम से प्रोजेक्ट का काम करते रहे। उसके बाद आपको फिर से रजिस्ट्रेशन कराना होगा....। इसी तरह आप हमारे साथ जब तक चाहे जुड़ीं रह सकतीं है।

मैडम, काम सम्मान जनक है। आप नि:शंकोच यहां काम कर सकतीं है। कहीं आने जाने की भी कोई जरूरत नहीं है।
घर बैठे ही कर सकती है।

उन्होने सारी बात बताई तब मैंने कहा- मैं सोच कर बताती हूं.....ok, कह कर उन्होंने फ़ोन रख दिया।

मैंने सोचा 1500 के करीब देने हैं। छोड़ो..... लेकिन दूसरे दिन उनका फोन आया। मेरे हलो करते से ही हंसते हुए बोले- क्या सोचा ? मैडम....

मैं बोली- पैसों की बात है फिर आजकल ठगी का चक्कर भी है इसलिए..... बीच में वे बोले, मैं एक सीनियर सिटीजन आदमी हूं। रिटायर पर्सन हूं। अपने इस खाली समय में इस कंपनी से जुड़ा हूं। मैं आपको आश्वस्त करता हूं आप ठगी नहीं जाएगी। इस उम्र में आकर मैं झूठ नहीं बोलूंगा। मुझ पर विश्वास करे और ज्यादा न सोच रजिस्ट्रेशन करवा लें। जीवन में मौके बार-बार नहीं आते...
आदि इस तरह की और भी कई बातें उन्होंने मुझे कहीं। साथ ही पहला पैमैंट मिलने पर मिठाई खिलाने तक की बात भी कही.....

मैं चुपचाप उसकी सुन रही थी और हूं, हा कर रही थी।
अंत में वे मुझे अपने पन से बोले- मैडम, अगर आप पहले कहीं ठगी जा चुकी है तो, मैं कहूंगा एक बार और ठग कर देख लिजिए....। जरा रुक कर फिर बोले- मेरे पास तीन प्रोजेक्ट है।आप आज ही रजिस्ट्रेशन करवा लें और समय नष्ट न करें....
विश्वास के साथ काम शुरू कर दें.....।

पहले मैं जरा सोच में थी। पर एक बुजुर्ग इंसान पर अविश्वास करना, मेरा मन नहीं माना। सो उनकी बातों में आकर रीस्ट्रेशन करवा लिया।

दूसरे दिन प्रोजेक्ट, शर्तावली व नियमों को देखा तो मैं समझ गई....। असंभव है....मेरा विश्वास, पैसा, उम्मीद सबों में पानी फीर गया।

मुझे आधा सच और आधा झूठ कहा गया था। सात पेज यानी दोनों ओर मिलाकर चौदह पेज, वो भी फुल बड़े पेज में छोटे-छोट अक्षरों में भर कर लिखा था। जो सुबह 10:30
दिया गया और पांचवें दिन सुबह 12बजे से पहले सम्मीट (जमा) करने को कहा गया। 
अगर समयानुसार प्रोजेक्ट जमा नहीं हुआ तो रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा। 
उसमें तीन रंगों के पेन  प्रयोग में लेना था। पेजों में आधा इंच मार्जिन खिंचकर फिर लिखना था।
कुल मिलाकर प्रोजेक्ट और समय इस तरह से तैयार कर दिया गया था कि कोई भी उसे उनके शर्तानुसार पूरा नहीं कर सकता। कोई कितना भी फ़ास्ट हाथ चलाएं, ज्यादा से ज्यादा समय दे फिर भी उस समय में प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर सकता।
इस चलाकी से रजिस्ट्रेशन फीस ले अपने इनकम के लिए विज्ञापन दिया गया था।

जैसे ही मेरे हाथ में प्रोजेक्ट आया मैंने उन्हें (बुजुर्ग) फोन मिलाया पता चला "सर" मिटींग में है। जबकि ऑफिस बंद है, यह बात कही गई थी।
मैंने फिर बाद में मिलाया और उनसे बोली- सर, समय के हिसाब से प्रोजेक्ट पूरा करना असंभव है....

बहुत लोग करते हैं। किसी को कम पैमैंट मिलता है, किसी को ज्यादा....आप भी कर पाएंगी। काम शुरू कर दिजिए...। उन्होने मुझे बच्चों की तरह समझते हुए कहा...।

फिर मैंने उनके कहने पर अधिक से अधिक समय देकर जल्दी-जल्दी लिखना शुरू किया लेकिन चौथे दिन रात तक मैं सिर्फ आठ पेज, दोनों तरफ मिलाकर‌ ही  लिख पाई।

अगले दिन 12बजे से पहले जमा करना था। जो असंभव था। इसलिए मैंने रात को उन्हें एक बार फिर फोन मिलाया।
उन्होने कह रखा था जब मर्जी फोन मिलाएं कोई दिक्कत नहीं। सो फोन मिलाकर मैंने अपनी बात कही।
वे बोले- मेरे से बात कर समय नष्ट न करें। बल्कि लिखना जारी रखें। कल सुबह तक पूरा हो जाएगा।

इस बार मुझे गुस्सा आया और मैंने पलट कर कहा- आप क्या कह रहे है...? इतने दिनों में, मैं आठ पेज लिख पाई और रातों-रात बाकी के छः पेज लिखना हो जाएगा....?आप कह क्या रहें है...? मुझे तो कुछ समझ..... इतने में उन्होंने फ़ोन कट कर नंबर ऑफ कर दिया।

ऐसे में मेरी आंखों में आंसू आ गए। मेरी अंतरात्मा से अनायास ही बद्दुआ निकलने लगी। बात सिर्फ पैसों की नहीं थी। विश्वास और भरोसे की भी थी.....एक बुजुर्ग इंसान ने छला.....?

अब मुझे एक-एक उनकी कहीं सारी बातें समझ आ रही थी। कहीं अस्पष्टता थी,  कहीं बातों में गांठ थी, कहीं प्रश्न वाचक शब्द थे। शुरू से ही मुझे खटका लगा था लेकिन बुजुर्ग इंसान की बात का सवाल मेरे सामने था। मेरी पारिवारिक शिक्षा मेरे समक्ष खड़ी हो गई थी.......। तभी मैंने रजिस्ट्रेशन करवाया था....।

आज के जमाने में संस्कार और शिष्टाचार का कोई मोल नहीं....?

समय-समय पर हमने कई ठगी की बातें सुनी हैं। पर महामारी के समय.....? न जाने कितने जरुरतमंद लोगों के साथ उन्होंने ऐसा किया होगा.....?

आज तमाम लोगों के साथ आर्थिक संकट है। मौजूदा महामारी काल में रोजगार जैसे सिरीयस मुद्दे को इस तरह के झूठे विज्ञापन दाताओं ने और भी गंभीर बना दिया हैं। लोगों को हताश कर दिया हैं। जैसे- मैं स्वयं हुई.....।

दोस्तों इस लेख के माध्यम से में सबों को सचेत करना चाहूंगी, किसी की चिकनी-चूफडी बातों में नहीं आना है। सावधान रहना है तथा दूसरों को भी सावधान करते रहना है......।

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