कुल्ला व गरारा: नई टेस्ट तकनीक-----

कोरोनावायरस से लड़ने का मुख्य अस्त्र "टेस्ट" है। जिससे मरिज और उसके कंडिशन के बारे में पता चल जाता है। इससे इलाज करने में तथा सावधानी बरतने में सुविधा होती है। 

अब तक हम RT-PCR नामक कोरोना टेस्ट करवाते आए हैं। इस टेस्ट में ज्यादा समय और खर्चा लगता हैं। यही कारण है कि पूरे देश भर में कोरोनावायरस टेस्ट की प्रक्रिया कम तथा धीमें गति से चल रही है। साथ ही अधिकतर लोगों को इस टेस्टिंग से डर भी लगता हैं। प्रचलित तकनीक महंगा होने से गरीब और दरिद्र सीमा के निचे रहने वाले व्यक्ति, टेस्ट करवा ही नहीं पाते। 

RT-PCR प्रक्रिया के जरिए रुई वाली सलाई को व्यक्ति के नाक व मुंह में डाल कर स्वैब (चिपचिपा पदार्थ) सैंपल लिया जाता है। फिर संग्रह किए गए सैंपल को एक निश्चित तापमान पर लैब तक पहुंचाया जाता है। जहां परिक्षण के द्वारा टेस्ट रिपोर्ट दी जाती है। 

यह प्रक्रिया काफी लम्बा होता है। इसलिए अधिक समय लगता है तथा टेस्ट कम होते हैं। यानी कुल मिलाकर प्रचलित (RT-PCR) कोरोना टेस्ट लम्बी प्रक्रिया है, खर्च ज्यादा है तथा रुई की सलाई से अधिकांश लोग डरते भी है, स्वैब की मात्रा कम मिलता है जिससे टेस्ट में असुविधा होती है।
       इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए हमारे देश में एक नई तकनीक आई है....
       जो इस तरह से है_____
       नई तकनीक से साधारण लोगों को टेस्ट के दौरान न दर्द होगा, न ही वे डरेंगे।
       इसमें समय भी कम लगेगा। जिससे समय की बचत होगी। फलस्वरूप टेस्ट ज्यादा होंगे।
       RT-PCR टेस्ट की तुलना में नई टेस्ट तकनीक का खर्चा कम होगा।
       इस टेस्टिंग प्रक्रिया से स्वैब सैंपल प्रर्याप्त मात्र में मिलेगा। जिससे लैब में परिक्षण करने की सुविधा होगी।
       नई तकनीक में सैंपल के लिए साधारण तापमान की ही जरूरत होगी।
       इस पद्धति के दौरान व्यक्ति अपना सैंपल खुद ही संग्रह कर सकते हैं। उन्हें किसी परिक्षण-व्यक्ति की जरूरत नहीं होगी
       व्यक्ति खुद ही कुल्ला व गरारे के जरिए अपना सैंपल संग्रह कर परिक्षण-केन्द्र में जमा कर सकते हैं।

अब जान लेते है कोरोनावायरस टेस्ट की नई पद्धति क्या है__________
                     इस पद्धति के अनुसार व्यक्ति को एक विशेष प्रकार का द्रव्य (तरल प्रदार्थ) दिया जाएगा। जिसे "सलाइन द्रव्य" के नाम से जाना जाएगा। व्यक्ति पहले इस तरल द्रव्य को मुंह में लेकर 15 सैकैंड़ गरारे करेगा फिर उसी द्रव्य से अगले 15 सैकैंड़ कुल्ला करेगा। अर्थात 30 सैकैंड़ बाद उसी द्रव्य को एक विशेष टियूव में रखेगा। टियूव का यह द्रव्य ही सैंपल माना जाएगा। और 3 घंटे के भीतर परिक्षण कर टेस्टिंग रिपोर्ट दे दी जाएगी। 

चूंकि नई टेस्टिंग प्रक्रिया में किसी स्वास्थ्य कर्मचारी की जरूरत नहीं है बल्कि व्यक्ति स्वयं ही अपना सैंपल खुद संग्रह कर सकता है। ऐसे में मन में एक सवाल आ सकता है कि- क्या यह टेस्टिंग प्रक्रिया व्यक्ति अपने घर पर कर सकते हैं? 

वैज्ञानिक व डॉक्टर के मुताबिक यह पद्धति आसान तथा डरवना नहीं है परन्तु किसी परिक्षण-केन्द्र में जाकर स्वास्थ्य कर्मी की उपस्थिति में ही अपना सैंपल संग्रह करना उचित होगा। व्यक्ति अपना-अपना सैंपल खुद ही संग्रह कर पाएंगे इसलिए परिक्षण केन्द्र में भीड़ नहीं होगी। अतः वहां जाकर लोग आराम से नई पद्धति द्वारा सैंपल जमा करवा पाएंगे।
सारी प्रक्रिया स्मूथलि हो जाएगी।

सरकारी सुत्रों के अनुसार नागपुर नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट (N E E R I) के द्वारा कोरोनावायरस टेस्ट की नई तकनीक हमारे सामने आई है। नागपुर के इस संस्था से सीधे तौर पर जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है- नई तकनीक लाने का मूल उद्देश्य है: कम समय, कम खर्च तथा साधारण लोगों के डर को दूर करना है......।

हमारे देश में यह नई तकनीक बहुत जल्द शुरू होगी.....।

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