डायमंड भिलेज---------

कल्पना कीजिए, आप जहां रहते है, वहां आस-पास  बड़े-बड़े मैदान या खेत हैं। जिनमें हीरे-जवाहरात बिखरे पड़े हो और उनमें से आपको कुछेक मिल जाए..... तो कैसा होगा.....? आनंद ही आनंद......। जैसे किस्मत बदल सी जाएगी......।

आप सोच रहे होंगे, ये क्या बात हुई..... ऐसा तो सपने में हो सकता है.... कल्पना कैसे कर लें.....।

लेकिन मेरे दोस्तों बात सपना या कल्पना की नहीं, हक़ीक़त की है। चौंकाने वाली है मगर सच है.....।

आंध्रप्रदेश का एक जिला- कर्नूल....। जिसे हम "डायमंड भिलेज" भी कह सकते है। इस जिले में कई मैदान हैं।

साल के जून महीने से नबम्वर महीने के बीच अर्थात करीब छः महीने, गांव के लोग इन मैदानों में किस्मत आजमाने आते हैं। सिर्फ गांव के लोग कहना ग़लत होगा बल्कि उनके साथ ही साथ कई संस्थाएं और सरकार की तरफ से भी मैदान में इस समय लोग आते रहते हैं।

आप सोच रहे होंगे -कैसे.....?

वे लोग वहां मिट्टी हटा-हटा कर कुछ ढुंढते रहते हैं। ढूंढते ही रहते हैं, ढूंढते ही रहते हैं। मन से, ध्यान लगा कर ढूंढते ही रहते हैं। किसी को मिल जाता हैं। किसी को नहीं मिलता। पर लोगों का ढूंढना बंद नहीं होता।

इक छोटी सी आस....जीवन जीने की प्यास..... किस्मत और पुरुषार्थ की लड़ाई..... खोज-खोज और खोज.....।

हारना मंजूर नहीं....। जिसको मिल जाता है उसकी किस्मत चमक जाती है। एक ही पल में लखपति या करोड़पति बन जाता है।
हर साल बरसात के पहले या बाद में लोग अपनी किस्मत आजमाने आते हैं।

दरअसल, इस समय यहां के मैदानों में मूल्यवान पत्थर पाए जाते हैं। जिसमें हीरा भी शामिल हैं। यह कोई कहानी, सपना, कल्पना नहीं हैं। हकिकत है....।

जानकारों के मुताबिक 2019 में उसी जिले के एक किसान भाई को हीरे का एक टुकड़ा मिला था। जिसे बेचकर उसे 60 लाख मिले थे।
2020 में दो लोगों को मूल्यवान पत्थर मिले। जिनकी कीमत 5-6 लाख थी।
हाल ही में एक अत्यंत गरीब किसान भाई को ढूंढते-ढूढते एक हीरा मिला। जिसने उसे धनी बना दिया। रातों रात वह रंक से राजा बन गया।
असल में वह हीरा 30कैरेट का था । जिसकी कीमत उसे "एक करोड़ बीस लाख" मिले।

बरसात के मौसम में बरसात के पानी से मैदानों की धूल-मिट्टी हटती रहती हैं। जिसके फलस्वरूप बहुमूल्यवान पत्थर ऊपर की ओर आ जाते हैं और मिट्टी हटा-हटा कर ढूंढते रहने से किसी-किसी को मिल जाता है। उसके साथ चमत्कार हो जाता है। उसकी किस्मत चमक जाती है।

अब मन में सवाल पैदा होता है कि अगर यह घटना कहानी या सपना नहीं हकिकत है तो उसी जिले के मैदानों में अमूल्य पत्थर क्यों पाए जाते हैं.....? जो कि बहुत ही आश्चर्य की बात है....।

जांच से पता चलता है, वहां के लोगों से कि उनका विश्वास है प्राचिन काल में उस जिले के बहुत बड़े हिस्सों में धन-दौलत गाड़े गए थे।

किसी का कहना हैं मोर्य काल में भूगर्भ में धन-दौलत गाड़े गए थे। कुछ लोगों का यह भी कहना है, 1300-1400ई. के करीब वहां के राजा के मंत्री ने प्रचूर मात्रा में हीरे और सोने के जेवर तथा धन-दौलत के भंडार वहां मिट्टी के नीचे बनाए थे। फिर किसी-किसी का यह भी कहना है- सुल्तान, शाही के शासन काल में भी हीरे- जवाहरात ज़मीन के नीचे दबाए गए थे।

आन्ध्र प्रदेश के इस जिले के मैदानों में जो बहूमूल्य पत्थर मिलते हैं उसके पिछे का कारण भूगर्भ में धन-दौलत गड़े होने का हैं। जो कि प्राचीन काल में गाढ़े गये थे। वे ही सब मैदान में बिखरे नज़र आ जाते हैं।

खैर, बात कुछ भी हो, किसी भी शासन काल की ही क्यों न हो..... प्राचीन काल के लोगों की कृपा से यहां के गांव के कई लोगों की, संस्था के कई लोगों की किस्मत चमक रही हैं। अमूल्य पत्थरों की तरह......।

वैसे यह बात सही है प्रचिन काल में जमीन के नीचे धन-दौलत दबाकर रखने की प्रथा थी।

वहां की सरकार की ओर से भी इसकी जांच की गईं है.......।
अतः इसे "डायमंड भिलेज" कह सकते है......।

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