26 जनवरी और 15 अगस्त ये दो दिन ऐसे हैं, जिसे राष्ट्रीय पर्व के रूप में हर जाति-धर्म (भारतीय) के लोग एक साथ मनातें हैं। यह धर्म या जाति में नहीं बटता....। कोई एक जाति या एक धर्म का पर्व नहीं है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं, अगले महीने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस है। इस दिन झंडा फहराकर इसे राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है। यह उस देश की आजादी होने को दर्शाता है।
भारत भी एक आजाद देश है। उसका भी अपना ध्वजा है। जिसे हम भारतीय तिरंगे के नाम से जानते है। अर्थात भारतीय राष्ट्रीय ध्वज....।
तिरंगा हमारा गर्व है। हमारी ऑन-बान और शान है। लेकिन देश के अधिकांश लोग को यह नहीं मालूम कि इसका आविष्कार कब हुआ....इसे अपनी पहचान कब मिली.... इसके आविष्कार कौन है....?
आईए, इस लेख के जरिए प्राथमिक जानकारी ले लेते हैं।
"22 जुलाई" का दिन तिरंगा दिवस के रुप में माना जाता है। यानी 22 जुलाई 1947 में भारत के ध्वज को स्वीकृति मिली थी।
आजाद भारत के "प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी" ने पहली बार भारतीय संविधान सभा में तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में घोषित किया। तिरंगे को आजाद भारत का प्रतिक माना गया। जो आज भी हमारे स्वतंत्र देश का गौरव है।
205 फीट का तिरंगा देश के विभिन्न 88 जगहों के करीब गर्व से लहराता रहता हैं।
शैक्षिक संस्थानों में, निजी संगठनों में, कई कार्यालयों में भारतीय नागरिक तिरंगे झंडे को फहराते हैं।
अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद पहली बार 16 अगस्त 1947 की सुबह करीब 8 - 8:30 बजे हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने लाला क़िले की प्राचीर पर तिरंगा झंडा फहराया था।
जैसा कि हम जानते हैं 15 अगस्त को हमें आजादी मिली थी लेकिन 16 अगस्त सुबह आजादी का तिरंगा झंडा फहराया गया था। उसके बाद से हर साल 15 अगस्त को और 26 जनवरी को राष्ट्र के नाम झंडा फहराया जाता है। बहुत लोग इस बात से अंजान हैं।
इस दिन कई संस्थानों, संगठनों, कार्यालयों में तिरंगा झंडा फहराया जाता है।
1953 में सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट पर तेनजिंग नोर्गे और हिलेरी ने फतह कर वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।
देश का झंडा सदा ऊंचा रखा जाता है। उसे जमीन पर लगाना ध्वज का अपमान माना जाता है। अर्थात देश को अपमान करना होता है।
चूंकि तिरंगा देश की शान है इसलिए देश के लिए जान देने वाले शहिदों और देश के महान शख्सियतों के शव को तिरंगे से लपेटा जाता है। शव को जलाने या दफन करने के बाद गुप्त तरीके से उस तिरंगे को जल समाधि कर दी जाती है।
हमारा तिरंगा 205 फीट का है। इसके तीन रंग- साहस, ताकत, सत्य, शांति, एकता, समृद्धि और विकास के पथ पर चलने की प्रेरणा देता हैं।
तय अनुसार तिरंगा सूती कपड़े, सिल्क तथा खादी का बना होना चाहिए लेकिन बाद में धिरे-धिरे और भी विभिन्न, जैसे-कागज, प्लास्टिक आदि चीजों से बनाए जाने लगे।
तिरंगे झंडे के बारे में हम इस तरह की तमाम बातों को जानते हैं लेकिन शायद बहुत कम ही लोग इसके आविष्कार को जानते होंगे।
हमें पता होना चाहिए इसके आविष्कार "पिंगली वेंकैया जी" है। उनका जन्म आंध्रप्रदेश में हुआ था। बेंकैया जी ने आजादी के पहले (संग्राम व आंदोलन के दौरान) से ही झंडे की कल्पना करना शुरू कर दिया था। उन्होंने करीब 30 देशों के राष्ट्रीय ध्वजों का अध्ययन किया। फिर अनेक सोच-विचार कर, अनेक परिवर्तन कर तिरंगे का डिजाइन तैयार किया।
स्वतंत्रता के कुछ दिन पहले उनके बनाए गए ध्वज को अपनाया गया। वो दिन भारतीय संविधान में गौरवपूर्ण अवसर था।
पिंगली वेंकैया जी के डिजाइन तैयार करने से पहले 1921में महात्मा गांधी जी ने ध्वजा की बात कही थी जिसमें उन्होंने दो रंग दिये थे। लाल और हरा। लाल रंग हिंदूओं के लिए तथा हरा रंग मुस्लिम समुदाय के लिए बताया। और बीच में गांधी चरखा चक्र ......। परन्तु इस दो रंग के झंडे को स्वीकृति नहीं मिली।
अन्ततः पिंगली वेंकैया जी के तीन रंगों वाले तथा बीच में नीले रंग के अशोक चक्र वाले तिरंगे झंडे को भारतीय ध्वज के रूप में अपनाया गया।
यही जुलाई का महीना था और दिन 22 जुलाई का..... इसलिए 22 जुलाई तिरंगा दिवस के रूप में जाना जाता है।
अतः समस्त भारतवासियों से निवेदन है- तिरंगे झंडे पर गर्व करने के साथ ही हम सबों को 22 जुलाई तथा पिंगली वेंकैया जी को याद रखना होगा। साथ ही इन पर भी हमें गर्व करना होना। तभी तो आगे की पीढ़ी इसे मेंनटेन करेंगी।
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